Sensational Crime Story: साढ़े सात महीने पहले पलाश के पेड़ पर मिली थी संभ्रात परिवार के एक युवक की लाश, तफ्तीश में चौंका देने वाली कई कड़वी सच्चाई हुई उजागर
भोपाल। हमारी टीम की यह खासियत है कि हम समाचार का काफी लंबे समय तक पीछा करते हैं। उसके परिणाम को जानने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। ऐसी ही एक सनसनीखेज कहानी (Sensational Crime Story) इस बार आपके सामने पेश की जा रही है। इस घटनाक्रम का सिलसिला लगभग साढ़े सात महीने पहले शुरु हुआ था। इस दौरान राजधानी भोपाल की पुलिस शहर और देहात में तब्दील हो गई। लेकिन, लाश पर रहस्य बरकरार है। हालांकि इसकी जांच के दौरान कई स्टोरी निकलकर सामने आई। जिसे आपको जानना चाहिए। यह खोजपरक खबर यह भी बताती है कि पुलिस विभाग कितनी बारीकी और शिद्दत से अपने कर्त्तव्यों के प्रति जागरुक रहता है।
यहां से शुरु हुई कहानी
सुखी सेवनिया थाना पुलिस को 15 अगस्त की रात लगभग 10 बजे ग्राम भदभदा के नजदीक पलाश के पेड़ पर एक युवक की लाश लटके होने की सूचना मिली थी। यह जानकारी पूरण सिंह यादव (Puran Singh Yadav) ने पुलिस को दी थी। मौके पर पुलिस के अधिकारी पहुंचे। पेड़ से लाश को नीचे उतारने में लगभग पांच घंटे लग गए थे। लाश पांच दिन पुरानी थी। इसलिए उससे काफी दुर्गंध आ रही थी। जहां लाश मिली थी वह काफी भीतर जंगली इलाका था। इसलिए शव को पीएम के लिए पहुंचाने में जंगल से मैन रोड पर लाने में दो घंटा लगा। सुखी सेवनिया पुलिस मर्ग 30/21 दर्ज कर मामले की जांच कर रही थी। यह जांच एएसआई बीपी बुंदेला (ASI BP Bundela) के पास थी। उन्होंने लावारिस लाश के संबंध में विभाग से किए जाने वाले प्रयास शुरु किए। जिसके बाद श्यामला हिल्स थाना क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार ने सुखी सेवनिया थाना पुलिस से संपर्क किया। इसके बाद कहानी में कई मोड़ आते चले गए जो रोचक है।
स्कूटी में लगा रखा था जीपीएस
श्यामला हिल्स थाना पुलिस ने 7 अगस्त को विश्वजीत सिंह पिता लालजी सिंह उम्र 25 साल की गुमशुदगी 13/21 दर्ज की थी। विश्वजीत सिंह के पिता दिल्ली में रहते हैं। उसने मल्होत्रा कॉलेज से बी.फार्मा का कोर्स किया था। जिसके बाद वह श्यामला हिल्स स्थित स्मार्ट सिटी अस्पताल (Smart City Hospital) में जॉब भी करने लगा। भोपाल में वह चाचा के बेटे प्रभात सिंह के साथ पहले रहता था। जब उसकी जॉब लग गई तो वह हमीदिया कॉलेज में नर्स का काम करने वाली एक युवती के साथ लालघाटी इलाके में रहने लगा। उसके पास प्रभात सिंह (Prabhat Singh) के नाम की स्कूटी भी थी। वह स्कूटी लेकर लापता हुआ था। जिस दिन वह गायब हुआ उसी दिन स्कूटी में लगे जीपीएस सिस्टम के जरिए उसको तलाशा गया। यहां पता चला कि वह हमीदिया रोड स्थित एक मोबाइल दुकान गया था। जहां उसने अपना मोबाइल बेचा फिर वह बैरागढ़ में एक व्यक्ति के पास पहुंचा। यहां उसने प्रभात सिंह की स्कूटी को गिरवी में रख दिया। इसके बाद वह परिवार को दोबारा नहीं मिला।
नर्स ने थाने में की शिकायत
प्रभात सिंह ने बताया कि हमें शुरुआत में उस युवती पर शक गया जिसके साथ विश्वजीत सिंह (Vishawjeet Singh) रहता था। पिता को उसके गुम होने की जानकारी दे दी थी। वे भी कुछ दिन भोपाल में आकर बेटे को तलाशते रहे। बेटे के नहीं मिलने पर वे भी परेशान होकर दिल्ली लौट गए। प्रभात सिंह बैटरी की एक कंपनी में जॉब भी करते हैं। उन्होंने विश्वजीत सिंह के साथ रहने वाली युवती से संपर्क किया। उसने बताया कि लापता होने से पहले वह काफी नशे की हालत में आया था। जिसके बाद वह उसके बारे में कोई जानकारी नहीं रखती है। युवती मूलत: बैतूल (Betul) की रहने वाली थी। उसके जीजा और बहन भी एक अन्य सरकारी अस्पताल में जॉब करते हैं। युवती को विश्वजीत सिंह के परिजन बार—बिार संपर्क कर रहे थे। इस कारण उसने प्रभात सिंह के खिलाफ छेड़छाड़ की झूठी शिकायत पुलिस अधिकारियों से कर दी। जब सच्चाई अफसरों को पता चली तो उन्होंने बिना एफआईआर जांच को बंद कर दिया।
इस कारण टीआई को मिला नोटिस
सुखी सेवनिया पुलिस को मौके पर राजश्री गुटखे के पाउच मिले थे। शर्ट और पेंट को कीड़ों ने लगभग नष्ट कर दिया था। इसलिए पुलिस के पास सुराग के नाम पर कोई ठोस जानकारी नहीं थी। उसको प्रभात सिंह से हुई मुलाकात के बाद पेड़ पर लटकी मिली लाश की कहानी सुलझती (Sensational Crime Story) नजर आ रही थी। हालांकि यह कहानी कुछ महीने बाद सुखी सेवनिया पुलिस के लिए फिर जटिल हो गई। प्रभात सिंह की स्कूटी जहां गिरवी रखी गई थी, वहां कई अन्य वाहन भी रखे थे। इसमें से कुछ वाहन चोरी के थे। यह जानकारी लगने पर एक थाने की टीम ने वहां से चोरी के वाहन बरामद किए थे। हालांकि इसमें एक थाने के प्रभारी ने क्रेडिट लेने के लिए विश्वजीत सिंह के मामले की जांच को छुपा लिया। जिसके बाद उस व्यापारी ने अफसरों से शिकायत कर दी, जहां से स्कूटी बरामद हुई थी। लेकिन, सफाई के बाद टीआई को पिछले दिनों क्लीनचिट मिल गई।
चमत्कार से कम नहीं यह जानकारी
हुलिए के आधार पर विश्वजीत सिंह का शव होने की अटकलें पुलिस लगा रही थी। भौतिक साक्ष्य जैसे हाथ में पहना हुआ कड़ा और कद—काठी मेल खा रहा था।लेकिन, हाथ के कड़े पर मोटा—पतला होने के चलते उसमें विरोधाभास भी था। पुलिस ने उन संभावनाओं को यकीन पर बदलने के लिए विश्वजीत सिंह के पिता लालजी सिंह (Lalji Singh) खून का नमूना लिया। ताकि डीएनए रिपोर्ट की बदौलत अटकलों को साबित किया जा सके। इसी बीच मार्च, 2021 में एक अनोखा चमत्कार हो गया। विश्वजाती सिंह गुजरात के सूरत शहर में मिल गया। उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। इसलिए उसका अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है। इधर, थाने की पुलिस को तीन महीने बाद भी डीएनए की रिपोर्ट नहीं मिली। जबकि जिस युवक के लिए यह कवायद की जा रही थी, वह सामने आ गया। उसके सामने आते ही अब सुखी सेवनिया थाना पुलिस के सामने वापस साढ़े सात महीने पहले वाली अवस्था (Sensational Crime Story) बन गई है। पुलिस अब नए सिर से शव की पहचान के प्रयास कर रही है। इसके लिए वह वैज्ञानिक और फोरेंसिंक पहलूओं पर भी जांच के बिंदु बनाने का प्रयास कर रही है।
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