MP Cop Gossip: कैबिनेट के एक मंत्री ने दूसरे राज्य मंत्री को विवादों से बाहर आने में पिछले दरवाजे के रास्ते की मदद
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमा काफी बड़ा होता है। जिसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही बातों का यह हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। जिसमें हम वह बातें आपसे साझा करते हैं जिनके कोई सबूत नहीं होते। ऐसे ही दो मामले आपके लिए इस बार गुदगुदा सकते हैं। हमारा मकसद व्यवस्थाओं को कम—ज्यादा आंकना नहीं हैं। वहीं किसी पद, व्यक्ति को कमतर आंकना। इसके जरिए केवल यह संदेश देना है कि बातें नहीं छुपती।
आयोग के पास जाना पड़ा
सार यह है कि धन है तो दम है
पिछले दिनों एक मंत्री अपने पुत्र मोह के चलते काफी सुर्खियों में आए। उन्होंने तीन दिनों तक तो भोपाल की मीडिया को कुछ नहीं समझा। जब लगातार कवरेज होने लगा तो केंद्रीय नेतृत्व जागा। जिसके बाद मंत्री न्यूट्रल हुए और अपने दांव—पेंच पर चुप्पी तोड़ी। उसके बाद मैन स्ट्रीम मीडिया में उनके पक्ष में खबरें आने लगी। साक्षात्कार प्रकाशित होने लगे। इतना ही नहीं वह पीड़िता जो घटना (MP Cop Gossip) के दूसरे दिन मीडिया से न्याय की गुहार लगा रही थी उन्होंने भी चुप्पी साध ली। अब भीतर की खबर यह है कि जिस रेस्टोरेंट के कर्मचारी इस पूरे एपिसोड का गवाह था उसके रास्ते तोड़ निकाला गया। वह रेस्टोरेंट में पार्ट टाइम जॉब करता था। इसके अलावा वह ब्यूरोक्रेसी के एक बड़े अधिकारी के बंगले में साहब की सेवा करता है। साहब जिस विभाग से जुड़े है उसकी कुर्सी दूसरे मंत्री के प्रयासों से मिली थी। जिसका कर्ज चुकाने की बारी आई। अब आलम यह है कि थाने में दर्ज काउंटर मामले में सबकुछ स्याही फैलने वाला है।
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