MP Cop Gossip: डीआईजी का तीन महीने पुराना वीडियो हुआ वायरल, एसपी ने जब एक एसआई की फोन पर रद्द कर दी छुट्टी, ट्रैफिक कांस्टेबल को महंगा पड़ा बैच नंबर बताना, एक घटना की तीन कहानी एक ही जगह बताई
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत बड़ा है। जिसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें मीडिया में आ जाती है तो कुछ सबूतों के अभाव में दब जाती है। उन्हीं घटनाओं को लेकर हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) हैं। जिसमें हम उन बातों को बताते हैं। हमारा मकसद किसी व्यवस्था को कम—ज्यादा आंकना नहीं है। बल्कि इस बात का अहसास कराना है कि बातें छुपती नहीं हैं।
बहुत बुरी स्थिति में पहुंच चुकी है जुगाड़ की रणनीति
एमपी में हर विभाग कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा है। सरकार की माली हालात वैसी ही ठीक नहीं हैं। सरकारी सेवाओं को लगभग आउटसोर्स पर लाकर रख दिया गया है। इस समस्या से पुलिस विभाग भी अछूता नहीं हैं। प्रदेश में महिला एसआई की भारी कमी है। राजधानी भोपाल के शहर और देहात थानों में कई जगह पर एसआई नहीं हैं। पिछले दिनों भोपाल देहात में एक महिला एसआई अवकाश पर चली गईं। अभी उनकी छुट्टी पूरी भी नहीं हुई थी कि दूसरी महिला एसआई ने अपना आवेदन एसपी के पास लगा दिया। अब साहब के सामने बहुत बुरी स्थिति बन गई। क्योंकि जिस महिला थानेदार को अवकाश पर जाना था उसने जैक के साथ आवेदन लगाया था। नतीजतन, साहब को स्वयं अवकाश पर गईं महिला अधिकारी को कॉल लगाकर उसकी छुट्टी रद्द करने की बात बोलते हुए तत्काल बुलाया गया। इतना ही नहीं उसे ज्ञान की भारी घुट्टी भी पिलाई गई। ऐसे ही हालातों से भोपाल शहर के कई थाने भी जूझ रहे हैं।
पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर समझे हैं क्या….
पिछले दिनों यातायात की एक जगह पर चैकिंग चल रही थी। इसी दौरान एक राजनीतिक पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता को रोक लिया गया। उसने पार्टी के एक प्रवक्ता को कॉल मिलाया। उनसे मदद मांगी। नेता ने आग्रह पूर्वक उस कर्मचारी से बातचीत कराने के लिए बोला। कर्मचारी तो कर्मचारी ठहरा उसने आव देखा न ताव अपना रौब दिखाते हुए विभाग की नंबर प्लेट बता दी। कार्यकर्ता से कहा गया कि जाओ तुम्हारे नेताजी को बता दो जो उखाड़ना है उखाड़ लो। यह बात दूसरी तरफ मौजूद नेता जी ने सुन ली। उसके बाद तो उनका पारा जमीन पर था ही नहीं। उन्होंने तुरंत पुलिस कमिश्नर को फोन घनघना दिया। सारा घटनाक्रम बता दिया। इसके बाद तो नेता जी के पास दे अफसरों के फोन पर फोन। कोई बोले आपके स्तर का कर्मचारी नहीं हैं छोड़िए, भूलिए और मान जाइए। इसके बाद तो एक थानेदार चरण वंदना करने पहुंच गए। प्रभु मैं तो आपको नाम ही नहीं चेहरे से भी जानता हूं। उसने पिछले कुछ साल पहले पिलाई गई एक चाय का हिसाब भी दे दिया। हालांकि इस उधेड़बुन के बाद नेताजी की नाराजगी को कंट्रोल में लाने के लिए एक कांस्टेबल को लाइन जाना ही पड़ा। यह वही कांस्टेबल है जो वर्दी में लगी नेमप्लेट दिखाकर कार्यकर्ता को रौब दिखा रहा था।
एटीएस ने तो वाकई ही अति कर दी, अब हाशिए पर पहुंचे
पिछले दिनों एमपी एटीएस ने दूसरे राज्य में जाकर दबिश दी। इस दौरान एक व्यक्ति कूद गया जिसकी मौत हो गई। प्रकरण में संबंधित राज्य को अंधेरे में रखकर कार्रवाई की गई। जिस कारण वहां के स्थानीय अफसरों ने भी हाथ खड़े कर दिए। जिसके बाद तो एमपी पुलिस मुख्यालय (MP Cop Gossip) में कई लोगों के हाथ भी कांप गए। क्योंकि जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए वे किसी अफसर के कहने पर वहां गए थे। उन्हें बचाने से लेकर पूरा आपरेशन में ही समझौता एमपी पुलिस को करना पड़ गया। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी भी हुई। अब एमपी पुलिस मुख्यालय भी सख्त हो गया है। इस पूरे आपरेशन से जुड़े सभी अफसरों पर तलवार लटक गई है। जिसमें सामने आया है कि कई स्तर पर काफी गंभीर चूक हुई। जिसके कारण एमपी पुलिस की साख को बट्टा लगा। जिन्हें नापा गया अब उनके बाद अब आगे की कार्रवाई की तारीख तय की जा रही है।
ऐशबाग थाना क्षेत्र में स्थित छह एकड़ जमीन को लेकर एक विवादित मामला चल रहा है। इस मामले से जुड़े सारे किरदार रसूखदार है। इसलिए भोपाल पुलिस तटस्थ होकर काम कर रही थी। इस दौरान एसआई गया प्रसाद ने चूक कर दी। उन्होंने पैसा ले लिया जिसका आडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। यह सबकुछ तब हुआ जब थाना प्रभारी अवकाश पर चल रहे थे। जब वे अवकाश पर नहीं थे तब भी उन्हें जो करना था वो कर ही नहीं पा रहे थे। क्योंकि उन्हें मालूम था कि उत्साह दिखाया तो महंगा पड़ेगा। हुआ भी वैसा ही लेकिन, वे अपने मातहतों को यह बताना ही भूल गए। बहरहाल आडियो वायरल होने के बाद पूरे प्रकरण की सारी फाइल अधिकारियों ने अपने पास बुला ली है। अब देखना यह है कि जिन्होंने नस्ती बुलाई है वे कितना साहस दिखा सकते हैं। क्योंकि पूरा प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है जिसमें भारी फर्जीवाड़ा अब तक किया जा चुका है।
डीआईजी की कहानी भोपाल पुलिस मुख्यालय पहुंची
पिछले दिनों सोशल मीडिया में शहडोल जिले के एक डीआईजी की वीडियो वायरल हो गई। वे एक पुलिस मुख्यालय की तरफ से चलाए गए अभियान को लेकर स्कूल में संंबोधित कर रहीं थी। इस दौरान उन्होंने बेटा—बेटी के भेदभाव को लेकर एक पुराने मिथक को लेकर विचार व्यक्त किए। यह मिथक ऐसा वायरल हुआ कि तीन महीने बाद लोगों को यह समझ में आने लगा। यह किस्सा यहां—वहां होते हुए पुलिस मुख्यालय के गलियारे में पहुंच गया। जिसके बाद सारे अधिकारियों ने अपना माथा पकड़ लिया है। खबर है कि यह आडियो डीआईजी के लिए काफी महंगा साबित होने वाला है। उन्हें अन्यत्र भेजे जाने वाली सूची में नाम जुड़ने वाला है। ऐसा करने वाले उनके ही महकमे के खास लोग है जो उनकी कुर्सी पर नजर जमाए हुए थे।
एक घटना की तीन कहानी, एक ही जगह बताई गई
पिछले दिनों भोपाल देहात में लूट की सनसनीखेज वारदात हुई। जब वारदात हुई तब थाना प्रभारी ने बताया कि पीड़ित को उसके रिश्तेदार ने कॉल करके बुलाया। इस मामले का कुछ दिन बाद खुलासा किया गया। यह खुलासा अधिकारियों ने किया जिन्होंने पूरी हिकमतअमली से लेकर तमाम कहानियां सुनाई। साहब ने बताया कि मास्टर माइंड और उसकी गर्ल फ्रेंड एक जगह पर काम करती थी। इसलिए दोनों के बीच दोस्ती हुई। तीसरी कहानी दूसरे अधिकारी ने बताई कि पुलिस ने कैसे मोबाइल कॉल डिटेल, फिर सीसीटीवी कैमरे खंगाले और आरोपियों को दबोच लिया। जबकि हकीकत यह है कि लूट करने वाले गिरोह के लिए जिस युवती ने फोन लगाया था उसने अपने प्रेमी को भेजकर वारदात कराई थी। इसके भीतर भी एक अन्य कहानी जिस पर पर्दा डाला गया है। ऐसा नहीं है कि वह एक्सपोज नहीं होगी। वह अंदरूनी कहानी अदालत के कठघरे में आएगी। उस दिन पुलिस को कई सुलगते सवालों के जवाब देने में पसीना आना तय हैं।
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