MP Cop Gossip: सांसद की खबरें दबाते सांसे फूल गई 

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MP Cop Gossip: रेस्क्यू के बाद दो दिन बाद दूसरा रेस्क्य, चलने लगी बातें राजधानी में चल क्या रहा है, एक अधिकारी ने दूसरे अधिकारी के थाने की खोल दी पोल

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत बड़ा होता है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। लेकिन, छपता वही है जो थानों में दर्ज एफआईआर में होता है। पर्दे के पीछे चल रहे खेल का हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip)  है। जिसमें हम उन्हीं खेल को लेकर बोल देते हैं। हमारा मकसद किसी व्यवस्था, व्यक्ति, पद या कार्रवाई की आलोचना नहीं बल्कि यह बताना होता है कि बातें नहीं छुपती है।

लूट का मामला मारपीट में दर्ज

पिछले दिनों सीएम हाउस के सामने एक बड़ी लूट की वारदात हुई। उसमें दुर्घटना और मारपीट का मामला दर्ज किया गया। यह बात धीरे से मीडिया में लीक हुई तो अफसर सक्रिय हुए। पता चला कि लूट तो ठीक है लेकिन रकम हवाला की है। इसके बाद तो सारा महकमा ही सक्रिय हो गया। तार गुजरात से जुड़ रहे थे। इसलिए फूंक—फूंककर कदम रखे जा रहे थे। दरअसल, एक कहावत है न ‘झूठ—कपट निंदा को त्यागो हर प्राणी से प्यार करो, घर पर आए अतिथि कोई तो यथा शक्ति सत्कार करो, क्यों पता नहीं किस रुप में आकर नारायण मिल जाएगा’। यह सोच करके पड़ताल हुई तो आधा दर्जन से अधिक आरोपी मिल गए। उन्होंने ही बताया कि कुछ महीने पहले एक ओर थाना क्षेत्र में भी दस लाख रुपए की लूट की थी। उसका पता लगाया गया तो मालूम हुआ कि उसमें भी मारपीट का प्रकरण दर्ज है। फिर क्या अधिकारी चले तो उन्होंने अपने आला अधिकारी के कान में मंत्र फूंक दिया। क्योंकि जिस थाना प्रभारी के क्षेत्र में वारदात हुई वहां के अधिकारी मंत्री कृपा पर कुर्सी संभाले हुए हैं। उनकी योग्यता थाने के अनुसार नहीं है। यह सारे अधिकारी भी जानते हैं। इसलिए उनके गुनाहों के पिटारे में एक ओर फूल धागे में पिरो दिया गया है। जिस दिन उनकी विदाई थाने से हुई उस दिन वह उन्हें पहनना तय है।

हत्या पर भी खामोशी यह पहली बार

पिछले दिनों एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। एफएसएल आई और उसने इशारों ही इशारों में सबकुछ बता दिया। सरगर्मी से पड़ताल हुई और जैसे ही जांच एक पार्टी के सांसद की चौखट तक पहुंची तो सारे अधिकारियों की सांसे फूल गई। काफी तत्परता दिखाते हुए सभी आराम करने के लिहाज से बैकफुट पर आ गए। मामला आया और मीडिया में कुछ अनमने भाव से छप गया। जब उसकी पूरी तह तक पड़ताल करके उसका खुलासा हुआ तो सारा मीडिया उस अनसुलझी मौत की पहेली पर टूट पड़ा। अभी भी इस प्रकरण में कई अनसुलझे सवाल है। जिसका पता लगाने का साहस कोई नहीं कर पा रहा है।

यह तो हद ही हो गई

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पिछले दिनों राजधानी में डिजीटल अरेस्ट की कार्रवाई हुई। जिसको दूसरी एजेंसी के अफसरों ने अंजाम दिया। इसमें बाइट स्थानीय अधिकारियों ने दी। यह मामला नेशनल लेवल पर चल पड़ा। जिसके बाद बाइट से लेकर तमाम अफसर चमक गए। यह देख एक अधिकारी (MP Cop Gossip) ने इसको अपने क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप मान लिया। दो दिन बाद फिर डिजीटल अरेस्ट होने पर तुरंत वही अमलीजामा पहनाया गया। लेकिन, इस बार पहले की तरफ जानकारियां उतनी जल्दी और बारीकी के साथ मीडिया तक नहीं पहुंच सकी। इससे साफ है कि कुछ तो है जो एक साथ कुछ ही दिनों के भीतर में हुई है। जिसमें एक अधिकारी पहले बाजी मार ले गए तो दूसरे अधिकारी कैमरे के सामने अचानक आने लगे। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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