MP Cop Gossip: पुलिस अधिकारी के नाम को बेदाग रखने और बेटे को अपहरण के मामले से बचाने भारतीय न्याय संहिता का पहला खेल उजागर हुआ तो कई लोग नपेंगे
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग काफी बड़ा होता है। इसमें कई खबरें मीडिया में आ जाती है। उसमें से कुछ दबी रह जाती है। ऐसे ही घटनाओं का हमारा नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। इसमें हमारी हरसंभव कोशिश होती है कि बात उन अफसरों तक पहुंच जाए लेकिन, नाम न बताया जाए। लेकिन, कुछ खबरों में नाम आते हैं वह छोटे मीडिया हाउस में प्रकाशित खबरों के आधार पर दी जाती है। इस बार भी ऐसे ही कई चर्चित किस्सों के साथ नियमित साप्ताहिक कॉलम।
राजधानी के मुकाबले उज्जैन शहर मेें चल रहे प्रयोग
एमपी की राजधानी वैसे तो भोपाल है। यहां पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली भी लागू है। शहर की हालात किसी से छुपी नहीं है। थानों में फोर्स की बहुत ज्यादा कमी है। कई थाने बारिश में छत टपकने के चलते एडजस्ट करके वैसे ही चलते हैं। हालात से सिस्टम वाकिफ नहीं हैं ऐसा भी नहीं है। जब राजधानी की यह दुर्दशा है तो बाकी दूसरे शहरों की हालात बयां करना नामुमकिन है। लेकिन, प्रदेश के उज्जैन शहर से अलग बयार इन दिनों चर्चा का विषय बन रही है। इस शहर को मिसाल लेकर हर कोई बातें भी कर रहा है। क्योंकि यहां से प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जो आते हैं। यहां पिछले दिनों सट्टे का बड़ा रैकेट भी पकड़ाया था। इधर, उज्जैन शहर में नया नवाचार शुरु किया गया है। जिसमें वरिष्ठ नागरिक सेल बनाया गया है। जिसमें महिला थाने में प्रत्येक बुधवार को यहां आने वाले बुजुर्गों की गुहार सुनी जाएगी। इस सेल का गठन परेशान व बेसहारा बुजुर्गों की सहायता करने और उन्हें सम्मानजनक जीवन यापन के लिए सहारा बनने के उद्देश्य से किया गया है। इस सेल के शुभारंभ अवसर पर एसपी प्रदीप शर्मा ने 20 बुजुर्गों की समस्याएं सुनीं और उनके निराकरण का आश्वासन दिया।
पुलिसकर्मियों के परिवार ने थाने में मचाया गदर
पन्ना शहर के कोतवाली थाने में पुलिसकर्मियों से झूमाझटकी की गई। मामला एक ही परिवार से जुड़ा था। जिसमें मुर्गा और शराब पार्टी के लिए पैसा नहीं देने पर कहासुनी हुई थी। जिन पर आरोप था वे भी थाने पहुंच गए। उन्होंने पहले पीड़ितों से गाली—गलौज शुरु की फिर आरक्षकों की वर्दी पकड़ना शुरु कर दिया। इस मामले में दो व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जब प्रकरण में किरकिरी हुई तो आरोपियों के खिलाफ एक नहीं बल्कि दो अलग—अलग एफआईआर दर्ज की गई।
जब न्यायालय ने दिखाया पुलिस के सिस्टम को आईना
थानों के भीतर बंदरबाट बहुत ज्यादा चल रही है। राजनीतिक हस्तक्षेप सीधा है। ऐसा नहीं है कि यह केवल पुलिस थानों में हैं। दरअसल, नेता ही अपने खास को कुर्सी देते हैं तो परोपकार का कर्ज उतारना और हर दिन परीक्षा देना पड़ता है। ऐसे राजनीतिक पट्ठों के चलते इंदौर शहर का मामला मीडिया में थोड़ा आकर दबा रह गया। यह पूरा मामला तब सामने आया जब इंदौर न्यायालय ने प्रकरण में संज्ञान लिया। पुलिस ने कुलदीप बुंदेला की जगह अभिषेक सोनी को आरोपी बनाकर पेश कर यिा था। यह मामला लसूडिया थाना क्षेत्र का था। इंदौर शहर से प्रदेश के कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय प्रतिनिधित्व सरकार में करते हैं। ऐसा नहीं है कि यह पहला मामला इस तरह का सामने आया हो। इससे पहले भोपाल के बागसेवनिया में डेढ़ दशक पूर्व भी बिल्डर के लिए ऐसी करतूत की जा चुकी है।
सिस्टम भी थाना प्रभारी को मानने राजी नहीं
पिछले दिनों एक कार्यवाहक को थाने की कमान सौंपी गई। यह पूरे भोपाल (MP Cop Gossip) शहर में चर्चा का विषय बनी है। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। इससे पहले भी उनके लिए एक थाने की कुर्सी खाली की गई थी। तकनीकी चूक के चलते महकमे की किरकिरी हो गई थी। अब नए सिरे से थाने की कमान सौंपी गई। हालांकि थाना प्रभारियों की सूची में उनका नाम अभी भी नहीं चढ़ाया गया है। थाने की कमान सौंपने के पहले एक सीनियर सब इंस्पेक्टर को दूसरे थाने शिफ्ट किया गया। फिर उसी अफसर को दूसरे दिन विधानसभा सेल में बुला लिया गया। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली में चल रही इस दरियादिली की वजह महकमे में बेहद कमजोर राजनीतिक मजबूरी के चश्मे से इस पूरे घटनाक्रम को देखा जा रहा है।
प्रदेश के एक थाने में एक युवक को काले रंग की स्कॉर्पियों से अगवा किया गया। उसे बुरी तरह से पीटा गया। मामला पुलिस थाने पहुंचा। घटना का पता चलने के बाद पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया। लेकिन, अपहरण समेत अन्य धारा भारतीय न्याय संहिता से गायब हो गई। भीतरखाने की खबर है कि यदि स्कॉर्पियों का नाम आता तो अफसर का भी नाम उछलता। इसलिए नीचे—नीचे ही खेल किया गया। आपको बता दे कि यह थाना केंद्र सरकार के अधीन आवंटित जमीन पर राज्य सरकार लीज पर चला रही है। इधर, भीतरखाने की खबर यह भी है कि जिसको पीटा गया वह एक हिंदू संगठन के कार्यकर्ता के पास पहुंचा है। वह इस मुद्दे को तूल देने के लिए प्रयास कर रहा है। यदि ऐसा हुआ तो एक बार फिर किरकिरी होना तय है।
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