MP Cop Gossip: फरार न हो जाए इसलिए स्पेशल टीम निगरानी के लिए बैठाई, निलंबित एएसआई के ढ़ेरों कारनामे हुए उजागर
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई
भोपाल। पिपलानी स्थित निजी बंगले में रिश्वत लेते धराया निलंबित एएसआई की तबीयत बिगड़ गई है। पुलिस के अफसर (MP Cop Gossip) इसको षडयंत्र का हिस्सा मान रहे हैं। इसलिए उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां सादी वर्दी में तैनात स्पेशल पुलिस टीम की निगरानी में इलाज चल रहा है। अभी तक ऐशबाग थाने में पकड़ाए फर्जी कॉल सेंटर के मामले में आरोपियों को बचाने के बदले में मांगी जा रही 25 लाख रुपए की रिश्वत मामले में किसी तरह की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सभी आरोपियों के खिलाफ दोष साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत हैं।
स्टाफ ही नहीं पत्नी भी चल रही थी प्रताड़ित
निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक पवन रघुवंशी पिपलानी थाना क्षेत्र स्थित विवेकानंद कॉलोनी में रहते हैं। यहां उनका निजी आलीशान बंगला भी है। आरोप है कि वह हर काम में पैसा वसूलता था। जिस कारण विभाग की छवि धूमिल हो रही थी। उसके खिलाफ थाने में दर्ज यह पहला मुकदमा नहीं है। इससे पहले पिपलानी थाने में 16 जून, 2023 को उसकी पत्नी ने भी प्रकरण दर्ज कराया था। आरोप था कि उसके किसी महिला के साथ संबंध थे। जिससे वह लंबी—लंबी बातचीत किया करता था। इस बात को लेकर विरोध करने पर उसको गाली—गलौज करते हुए मारपीट की की गई थी। निलंबित एएसआई की पत्नी का मायका देवास में हैं। उसकी शादी लगभग 16 साल पहले हुई थी।
थाने की कमान बदली गई
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पवन रघुवंशी पर आरोप है कि उन्होंने खुदकुशी के एक मामले की केस डायरी में काफी गड़बड़ी की थी। अब उस फाइल को भी नए सिरे से खंगालने का काम किया जा रहा है। इस पूरे मामले में ऐशबाग थाने में एसीपी जहांगीराबाद सुरभि मीणा की तरफ से एफआईआर दर्ज की गई। यह एफआईआर बुधवार—गुरुवार की दरमियानी रात लगभग पौने एक बजे दर्ज की गई। जिसमें आरोपी ऐशबाग थाने के तत्कालीन प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल, एएसआई पवन रघुवंशी, मनोज कुमार और प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह को बनाया गया है। इससे पहले इन सभी को पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने निलंबित कर दिया था। अब थाने की कमान एसआई लक्ष्मण राई के पास हैं। वे टीटी नगर, जहांगीराबाद के बाद ऐशबाग थाने में तैनात हुए हैं।
ऐशबाग थाना क्षेत्र स्थित फर्जी कॉल सेंटर के मामले में थाने ने 22 फरवरी, 2025 को दबिश दी गई थी। यह कार्रवाई निलंबित एएसआई पवन रघुवंशी के नेतृत्व में ही की गई थी। इससे पहले पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय में पीड़ित परिवार ने आरोपियों को बचाने के बदले में दस लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। जिसको लेकर तीन दिनों तक जमकर मीडिया रिपोर्टिंग हुई थी। इसके बाद छापा मारा गया था। फर्जी कॉल सेंटर प्रभात चौराहे के पास चल रहा था। यह एटीएस नाम की कंपनी से चलाया जा रहा था। पुलिस ने इस मामले में अफजल खान पिता स्वर्गीय मोहम्मद नजीर उम्र 50 साल, विपिन घोष पिता तरुण घोष उम्र 25 साल, रामचंद्र यादव पिता पूर्णमुंशी प्रसाद यादव, बृज किशोर साहू पिता गंगाराम साहू उम्र 29 साल, श्रेयांश सेन पिता सुरेश सेन उम्र 23 साल, रानू भूमरकर पिता सुखनंदन भूमरकर उम्र 26 साल, अंकुर माछीवार पिता सत्यप्रकाश माछीवार उम्र 24 साल और मोनिस यादव पिता लखन यादव उम्र 25 साल को गिरफ्तार किया गया था। इस संबंध में यह आधिकारिक बयान तीन दिन मीडिया ट्रायल के बाद जारी हुआ था। अफसरों ने अभी भी पूरे प्रकरण में चुप्पी साध रखी है।
एसीपी को जांच में यह बातें पता चली
यह पूरा प्रकरण पुलिस थाने में जब पहुंचा जब वहां काम करने वाली तीन युवतियों ने सैलरी नहीं मिलने को लेकर शिकायत की थी। जिसकी जांच करने एएसआई पवन रघुवंशी ही पहुंचा था। यहां भारी मात्रा में सिम भी मिली थी। इसके बाद जब बवाल हुआ तो मामले की जांच एसीपी सुरक्षि मीणा के पास आई। जिसमें पता चला कि कम्मू का बाग ऐशबाग में रहने वाला अफजल खान केवल चेहरा था। इसके पीछे उसका टीकमगढ़ जिले में रहने वाला साला मोइन खान मुख्य आरोपी था। उसे बचाने के लिए ही 25 लाख रुपए की डील हुई थी। जिसमें पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए निलंबित एएसआई पवन रघुवंशी ट्रैप हो गया। बाकी दस लाख रुपए की रकम लेकर अंशुल जैन फरार हो गया था। पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रकरण में उसे भी आरोपी बनाया है।
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