MP Cop Gossip: डीसीपी हेडक्वार्टर ने दिया 31 कर्मचारियों को गिफ्ट

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MP Cop Gossip: होटल के एक बलात्कार मामले में सवाल—जवाब में फंसे राजधानी के टीआई, अब हर फरियाद को गंभीरता से सुनने को हुए राजी

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश (MP Cop Gossip) पुलिस महकमा काफी बड़ा होता है। इसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही मामलों का हमारा नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप है। इसमें वह बातें प्रमुखता से बताने का प्रयास किया जाता है जो चर्चा में हैं। इस कवायद से हमारा मकसद किसी संस्था, व्यक्ति अथवा पद को छोटा—बड़ा दिखाने का नहीं होता है। बस यह बताने का प्रयास होता है कि बातें छुपती नहीं है।

निशाने पर आ गए एडीजी

पुलिस महकमे के एक एडीजी स्तर के अधिकारी इन दिनों सत्तारूढ़ सरकार के लिए चुनौती बन गए हैं। दरअसल, उन्होंने पिछले दिनों एक मुकदमा दर्ज किया था। इस मुकदमे से राजनीतिक फायदा उठाया जाना था। लेकिन, इसके दूरगामी परिणाम निकले और वे सरकार के निशाने पर आ गए। खबर है कि वे सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं। लोग उनके इस कारनामे के बाद फरियाद लेकर आने भी लगे हैं। क्योंकि कई लोगों को लगता है कि यदि सत्ता परिवर्तित हुआ तो उन्हें जरूर कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। क्योंकि उन्होंने जो एफआईआर दर्ज की है उससे सीधे विपक्षी पार्टी को फायदा मिल रहा है।

सरकार के खिलाफ जेलर का फैसला

प्रदेश के एक जेलर को एक महीने बाद ही तबादला कर दिया गया। इसकी वजह उनका लिया गया एक फैसला था। दरअसल, उनकी जेल में कुछ ऐसे लोग बंद थे जिनको लेकर सरकार नरम थी। इसलिए उन्हें जेल के भीतर सख्ती बरतने के लिए निर्देश दिए गए थे। उन लोगों को स्पेशल सेल में रखा जा रहा था। जेलर साहब ने कुर्सी संभालते ही उस स्पेशल ट्रीटमेंट को बंद (MP Cop Gossip) करने का निर्णय लिया। जिसकी जानकारी मंत्रालय तक पहुंची और वे रातोंरात जेल से रवाना कर दिए गए।

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न्यायालय के चक्कर काटकर परेशान कर्मचारियों को तोहफा

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मध्यप्रदेश में 2002 में सिपाहियों की भर्ती हुई थी। उस दौर में विभागीय पदोन्नति के लिए परीक्षाएं आयोजित हुोती थी। इन सिपाहियों में लगभग 60 फीसदी सिपाहियों को 1997 के जीओपी के अनुसार पदोन्नत कर दिया गया था। लेकिन, 2012 के एक आदेश के बाद यह बंद हो गया। जिसको लेकर कई मैदानी कर्मचारी हाईकोर्ट भी गए थे। जिसमें उनकी जीत हुई थी। प्रदेश के कई जिलों में 2002 बैच के सिपाहियों को प्रमोशन मिल गया था। लेकिन, भोपाल शहर के 31 कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिला। यह वे कर्मचारी थे जिन्होंने अ श्रेणी केे लिए परीक्षा दी थी और उत्तीर्ण हो गए थे। इस बात को लेकर शांतिदूत बनकर एक प्रतिनिधि मंडल डीसीपी मुख्यालय से रूबरू हुआ। सारी परिस्थितियों को सुनने के बाद मुख्यालय ने पिछले दिनों वरिष्ठता देने पर सहमति जता दी। इस संबंध में आदेश भी जारी हो गए हैं।

शहर का बहुचर्चित बन जाता यह वाला कांड

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पिछले दिनों शहर के एक कोचिंग सेंटर से लड़की को ले जाकर होटल के कमरे में बलात्कार किया गया। इसमें एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता का भी नाम सामने आया था। जिसके बाद कई थानों के टीआई फूंक—फूंककर कदम रखने लगे। इसके बाद यह मुकदमा पुराने शहर के एक थाने जो तालाब में होने वाली आत्महत्या के चलते परेशान रहता है वहां पहुंचा। यहां प्रकरण तो दर्ज कर लिया गया लेकिन इस दौरान बरती गई लापरवाही की जानकारी आला अधिकारियों को बता दी गई। इसके बाद विभागीय कार्रवाई शुरू हुई। जिसके लिए पीड़ित परिवार के साथ—साथ जांच से जुड़े सारे अधिकारी और कर्मचारियों के एक—एक करके बयान दर्ज किए गए। आपको बता दें कि इस कांड की मीडिया रिपोर्टिंग न हो इसका विशेष ख्याल रखा गया। यह प्रकरण मीडिया की चौकस निगाहों से बचा रह गया। खबर है कि पीड़िता शहर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक की बेटी थी। परिवार संभ्रात लोगों से भी जुड़ा था, जो नहीं चाहते थे यह बातें सामने आए। इस फैसले से शहर के थानों में तैनात पुलिस के कई अधिकारियों की जान बच गई।
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