MP Cop Gossip: पुलिस कमिश्नर के लिए कैबिन में उछल रहे सिक्के

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MP Cop Gossip: महिला सिपाही ने सरकार से लेकर महकमे के डीजीपी को सोचने मजबूर किया

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमे के भीतर की वह खबरें जो चर्चा में सामने नहीं आई। हालांकि वे भीतर ही भीतर ज्वालामुखी का रुप लेती रही। ऐसे ही कुछ मामले हर गुरुवार सुबह प्रकाशित होने वाले नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) में इस बार आपके लिए प्रस्तुत कर रहे है। इसके जरिए किसी व्यक्ति अथवा संस्था को कम—ज्यादा आंकना प्रयोजन नहीं है।

ऐड़ी चोटी का लगाना पड़ा जोर

भोपाल के एक थाने में दूसरे जिले के सिपाही के साथ मारपीट हुई। इसकी शिकायत लेकर वह थाने पहुंचा। लेकिन, अफसरों ने उसको इतनी भयभीत और आतंकित किया। उसे केस दर्ज करने से रोका जाने लगा। हालांकि सिपाही अपनी जिद और अधिकार को लेकर डटा रहा। जब उसने सीएसपी को फोन मिलाने की धमकी दी तो सामान्य धारा में मारपीट का केस दर्ज कर लिया गया। अब आप सोच सकते होंगे कि एक सामान्य नागरिक को अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगी।

‘ईट’ लगाते हैं थाने में

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राजधानी का एक थाना ऐसा है जहां तैनात होने वाला टीआई रिटायरमेंट की अवधि में ही उस कुर्सी में बैठता है। यहां जितने भी प्रभारी बने वे कुछ महीने बाद रिटायर हो गए। अब महकमे के ही लोग इसे आखिरी ईट लगाने वाला अफसर मानकर उन्हें संबोधित करते है। कर्मचारियों को लगता है कि पहले का मिथक युवा अधिकारी को मिले तो यह परंपरा टूटे। लेकिन, दूर—दूर तक इसके आसार नहीं दिख रहे। अभी जो प्रभारी है वह भी कुछ महीने बाद रिटायर होने वाले है।

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पसीना—पसीना हुए अफसर

पिछले दिनों शहर में एक सनसनीखेज मर्डर हुआ। उसके दो आरोपियों को अदालत ने जेल भेजने के आदेश दिए। उन्हें लेकर जब कर्मचारी जेल पहुंचे तो आरोपियों को प्रवेश देने से इंकार कर दिया। दरअसल, आरोपियों को चोटें थी। जिन्हें देखकर उनके मेडिकल के बाद प्रवेश देने की शर्त रख दी गई। इसके बाद कर्मचारी आरोपियों को लेकर डॉक्टर के सामने पहुंचे तो चोट पर पुलिस को ही घेर लिया। फिर क्या था यहां—वहां फोन घनघनाने लगे। फिर डॉक्टर रिपोर्ट बनाने को तैयार हुए। इसके बाद पुलिस कर्मचारियों ने राहत की सांस ली। हालांकि ऐसा करते—करते रात नौ बज चुके थे।

जेंडर बदलने का आसान नहीं था मामला

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एक महिला सिपाही ने अपना जेंडर बदलने के लिए बड़ा संघर्ष किया। यह संघर्ष भीतर ही भीतर कई महीनों से चल रहा था। इस बात को लेकर सरकार भी परेशान थी। महिला सिपाही ने साहस नहीं खोयाा। वह डॉक्टरों की ग्वालियर और दिल्ली से राय लेने में कामयाब रही। इतना ही नहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सामने रखा। जिसमें एक व्यक्ति को उसके जेंडर चयन करने के अधिकार थे। इससे पहले डीजीपी से लेकर तमाम कई अफसरों (MP Cop Gossip) ने काफी मंथन भी किया।

कमिश्नर प्रणाली पर टिकी निगाहें

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प्रदेश के दो शहरों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा एक बार फिर सीएम ने की है। इस घोषणा के बाद सरकार भी समीक्षा कर रही है। दरअसल, कोविड की तीसरी संभावित लहर की चेतावनी विश्व स्तर से मिल रही है। यदि यह आई तो उससे निपटना पुलिस कमिश्नर प्रणाली में काफी चुनौतीपूर्ण होगा। यदि हालात बिगड़े तो ठीकरा स्वभाविक ही है सरकार पर ही फूटेगा। इसके अलावा व्यवस्था के बदलाव से इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी खर्चा होगा। बजट की कमी से जूझ रहे महकमे के लिए अतिरिक्त खर्च सरकार के लिए चिंता का विषय बन रहा है। इधर, आईपीएस लॉबी में कौन पहले बैठेगा को लेकर कई कैबिन में सिक्के उछालने के साथ—साथ ताली बजाकर शर्ते लगाई जा रही है।

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