MP Political News: ट्रायबल में ‘रेप वाला टॉक्सिक’ फैला, कांग्रेस विधायक के विधानसभा सत्र में पूछे गए सवाल पर घिरी भाजपा सरकार, पुलिस मुख्यालय ने विधानसभा को पिछली बार गलत तथ्य उपलब्ध कराए थे

भोपाल। मध्यप्रदेश में बलात्कार की बेतहाशा वृद्धि हो गई है। चिंता करने वाली बात यह है कि सर्वाधिक समस्या आदिवासी अंचलों में बहुत ज्यादा हो गई है। जिसे ‘रेप वाला टॉक्सिक’ बोलकर सरकार को घेरा जा रहा है। यह शर्मसार करने वाले आंकड़े सरकार ने कांग्रेस विधायक (MP Political News) की तरफ से पूछे गए एक सवाल पर दिए हैं। जिसके बाद सरकार भी बैकफुट पर आ गई है।
कांग्रेस का दावा सरकार ने पहले आंकड़े छुपाए थे
विधायक को यह दी गई है जानकारियां
अदालत में यह है बलात्कार मामलों की स्थिति

विधायक पंकज उपाध्याय ने न्यायालय में बलात्कारों के प्रकरण की सक्सेस रेट भी सरकार से पूछा। चूंकि गृह विभाग प्रदेश के मुख्यमंत्री है इसलिए उनकी तरफ से विपक्ष के विधायक (MP Political News) को जवाब दिया गया। सक्सेस रेट पर बताया गया कि पांच वर्षों में महिला बलात्कार की अनुसूचित जाति के 2739 प्रकरणों के फैसले हुए, जिसमें 23 प्रतिशत को सजा तथा 77 बरी हो गए। इसी तरह अनुसूचित जनजाति में 3163 फैसले में 22 को ही सजा मिली। जबकि 78 प्रतिशत आरोपी बरी हो गए। पिछड़ा वर्ग के 3982 फैसले में 21 को ही सजा मिल सकी। वहीं 79 प्रतिशत आरोपी बरी हो गए। सामान्य श्रेणी के 1222 फैसलों में से 18 प्रतिशत को ही सजा हुई। वहीं 82 प्रतिशत लोगा बरी हो गए। बलात्कार की घटनाओं में सबसे ज्यादा वृद्धि 158 प्रतिशत झाबुआ जिले में हुई। इंदौर (Indore) शहर में 103 तो इंदौर ग्रामीण में 69 प्रतिशत की दर रही। इसी तरह भोपाल (Bhopal) शहर में 59 फीसदी तो रतलाम (Ratlam) में 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। नक्सल प्रभावित बालाघाट (Balaghat) जिले में 33 प्रतिशत, जबलपुर (Jabalpur) में 15 प्रतिशत की कमी हुई। गुना, अशोक नगर, भिंड, बुरहानपुर, शाजापुर, कटनी, सिवनी, पन्ना , सतना, अनूपपुर और राजगढ़ जिले में भी कमी हुई। इसके अलावा ग्वालियर, दमोह, विदिशा में संख्या लगभग समान रही। उक्त संपूर्ण जानकारी विधायक पंकज उपाध्याय ने मीडिया को विधानसभा से प्राप्त जानकारी के आधार पर दी है।
- प्रदेश में 20 बलात्कार की घटनाएं प्रतिदिन
- प्रदेश में पिछले साल 7294 बलात्कार
- पांच साल के भीतर में 19 प्रतिशत की हुई वृद्धि
- इंदौर जिले में सर्वाधिक पांच साल में 2301 प्रकरण
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