GWALIOR CRIME : बिशप का दफन शव अदालत के आदेश पर कॉफिन से निकाला गया

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GWALIOR CRIMEदुर्घटना में संदिग्ध मौत के मामले को दबाने का आरोप, पोस्टमार्टम के बाद शव सेंट पॉल चर्च को वापस सौंपा गया

ग्वालियर। श्योपुर मिशनरी स्कूल से वापस जाते हुए सड़क दुर्घटना में हुई मौत के मामले में पांच महीने बाद शव निकाला गया। शव निकालने के आदेश अदालत ने जारी किए थे। मौत को लेकर ईसाई समाज की ही एक महिला ने शंका जाहिर की थी।
जानकारी के अनुसार दुर्घटना 14 दिसम्बर, 2018 को श्योपुर जिले के फौरी थाना क्षेत्र में हुई थी। कार में बिशप थॉमस थेन्नाट और तीन अन्य सवार थे। बिशप को ग्वालियर जिले के धर्म प्रांत की पदवी मिली हुई थी। इस मामले में शंका डॉली थेरेसा ने की थी। उनका कहना था कि कार में तीन अन्य व्यक्ति सवार थे लेकिन, उन्हें खरोंच भी नहीं आई थी। इसके अलावा बिशप थॉमस थेन्नाट के शव का पोस्टमार्टम किए बिना उन्हें कब्रिस्तान में दफना दिया गया था। इसे मुद्दा बनाते हुए डॉली थेरेसा ने मोर्चा खोला और वह न्यायालय की शरण में पहुंची थी। इस मामले में मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट पेश करने की मांग रखी गई है। पोस्टमार्टम में यह पता लगाया जा रहा है कि मौत दुर्घटना की वजह से हुई है अथवा नहीं।
उनकी तरफ से अदालत में अधिवक्ता गिर्राज सिंहल ने की। सिंहल ने बताया कि इस मामले में वह पहले हाईकोर्ट गए थे। धारा 174-176 के तहत लगाए गए आवेदन पर शिवपुरी मजिस्ट्रेट को सुनवाई के लिए कहा गया। जिला अदालत में प्रथम सत्र न्यायाधीश निधि नीलेश श्रीवास्तव ने दलीलें सुनीं। इसके बाद उन्होंने ग्वालियर जिला प्रशासन को आदेश दिया कि बिशप थॉमस थेन्नाट के शव को निकालकर उसका पोस्टमार्टम कराया जाए। इसी आदेश पर ग्वालियर जिला प्रशासन ने कार्रवाई की।
इस मामले में सेंट पाल चर्च में प्रवक्ता और सचिव एबल एस्ट्रफ ने कहा कि अदालत के आदेश पर तहसीलदार की मौजूदगी में शव निकाला गया। पोस्टमार्टम के बाद वापस उसी रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया है।

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