Gabbu Pardhi Case: पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से अपनी अध्यक्षता में जांच करने की मांग की थी
गुना। मध्य प्रदेश की राजनीति (MP Political News) इन दिनों काफी उथलपुथल से गुजर रही है। कांग्रेस (MP Congress) के बागी दल बदलकर भाजपा (MP BJP) जाने में रुकने का नाम नहीं ले रहे है। इसी घमासान के बीच प्रदेश (MP News) के गुना (Guna News) जिले में एक ऐसा व्यक्ति आ गया जिसकी वजह से राजनीति के दो बड़े चेहरे आमने—सामने आ गए थे। मामला गुना की एक सरकारी कॉलेज की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के दौरान हुई एक दलित की मौत (Guna Dalit Death) के बाद सुर्खियों में आया था। इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (BJP MP President VD Sharma) ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (EX CM Digvijay Singh) के लिए काम करने वाला व्यक्ति बताया था। जिसके बाद सांसद दिग्विजय सिंह ने भी पलटवार किया था। अब उस व्यक्ति को एक साल के लिए तड़ीपार (Gabbu Pardhi Case) किया गया है।
यह है मामला
मध्य प्रदेश के गुना जिले में जगनपुर चक्र में नए सरकारी आदर्श महाविद्यालय (Guna Government College Land Case) के लिए जमीन आवंटित थी। इस जमीन पर राजकुमार अहिरवार (Rajkumar Ahirwar) का कब्जा था। परिवार का दावा था कि यह जमीन उसने खेती के लिए बटाई पर गब्बू पारदी (Gabbu Pardhi Case) से ली थी। इस हटाने की कार्रवाई के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। वहीं घटना को लेकर एक वीडियो भी वायरल हुआ था। जिसमें पुलिसकर्मी दलित परिवार को बेरहमी से पीट (Guna Cop Beaten Case) रहे थे। इस मामले ने दो दिन बाद राजनीतिक तूल ले लिया था। यह पूरी घटना राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई थी।
छह पुलिसकर्मी हुए थे सस्पेंड
राजकुमार अहिरवार (Rajkumar Ahirawar Ki Berahmi Se Pitai) के साथ पिटाई के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने भी ट्वीट किया था। जिसके बाद प्रशासनिक गलियारे में हड़कंप मच गया था। इसके बाद गुना एसपी तरुण नायक (Guna SP Tarun Nayak) ने छह पुलिसकर्मियों को निलंबित (Guna Cop Suspended) कर दिया था। निलंबित होने वालों में एसआई अशोक सिंह कुशवाह (SI Ashok Singh Kushwah), आरक्षक राजेन्द्र शर्मा, पवन यादव, नरेन्द्र रावत, महिला आरक्षक नीतू यादव (Constable Neetu Yadav) और रानी रघुवंशी (Constabl Rani Raghuvanshi) को निलंबित कर दिया गया था। यह कार्रवाई घटना के दो दिन बाद यानि 16 जुलाई को हुई थी।
एक वर्ष के लिए जिलाबदर
इस संबंध में गुना कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम (IAS Kumar Purushottam) ने बुधवार को गब्बू पारदी को एक साल के लिए जिलाबदर (Gabbu Pardhi Jilabadar Order) किया गया है। यह जानकारी देते हुए मीडिया सेल प्रभारी अभियोजन निर्मल कुमार अग्रवाल (Nirmal Kumar Agrawal) ने बताया कि वह गुना के अलावा उससे सटे जिले भोपाल, राजगढ़, शिवपुरी, विदिशा और अशोक नगर में भी नहीं रह सकता। उसको एक दिन के भीतर में इन पांचों जिलों से अलग सीमा पर पहुंचाने के आदेश हुए हैं। कलेक्टर ने आदेश में लिखा है कि गब्बू पारदी की वजह से सामाजिक शांति और लोक व्यवस्था बिगड़ सकती है। नियंत्रण के लिए एक साल के लिए जिलाबदर किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है।
इस कारण मामले ने पकड़ा था तूल
गुना में पुलिस पिटाई और उसके वायरल वीडियो में दलित की मौत के बाद राजनीति गर्मा गई थी। सबसे पहले आक्रामक होकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को घेरा था। शर्मा ने दावा किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री के साथ गब्बू पारदी के संपर्क हैं। इन आरोपों के बाद दिग्विजय सिंह ने कहा था वीडी शर्मा अपनी अगुवाई में ही कमेटी बनाकर मामले की जांच कर ले। इसके अलावा पलटवार करके दिग्विजय सिंह ने दावा किया था कि गब्बू पारदी की पत्नी भाजपा की पूर्व विधायक ममता मीणा (BJP Leader Mamta Meena) के पति को राखी बांधती है।
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कौन है गब्बू पारदी
गुना जिले का यह कुख्यात बदमाश गब्बू पारदी (Jaganpur Ka Gabbu Pardhi) जिसके खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज है। वह सरकारी जमीनों पर कब्जे करके उसको बेचने का काम करता था। उसके झांसे में कई अन्य परिवार भी आए थे। लेकिन, इस संपूर्ण मामले की जांच करने की बजाय गब्बू पारदी को जिलाबदर करके मामले को नया मोड़ दिया जा रहा है। यदि गब्बू पारदी की राजनीतिक रसूख के संबंध में बारीकी से जांच हुई तो कई सफेदपोश बेनकाब हो सकते हैं। विपक्ष को घेरने के लिए यह मुद्दा भी मिल गया था। वह रणनीति पर कामयाब होता उसके पहले गुना कलेक्टर ने उसको जिलाबदर कर दिया।
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