नियम विरुद्ध अभियुक्त का वकील बदलने और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने का वकील ने लगाया आरोप
जबलपुर। राजधानी भोपाल के बहुचर्चित गुडिया रेप एंड मर्डर (Gudiya Rape & Murder Case Bhopal) केस के दोषी को क्या हाईकोर्ट से रियायत मिल जाएगी ? ये सवाल मामले में अपनाई गई कानूनी प्रक्रिया पर लगे गड़बड़ी के आरोपों के बीच खड़ा हुआ है। दोषी करार दिए गए विष्णु भमरे की तरफ से पैरवी करने वाले एक वकील मनोज श्रीवास्तव ने दो न्यायाधीशों के खिलाफ हाईकोर्ट के रिजस्ट्रार से शिकायत की हैं। रजिस्ट्रार ने भी श्रीवास्तव के आवेदन को स्वीकारते हुए जांच शुरू कर दी है।
यह है मामला
कमला नगर थाना क्षेत्र में नौ साल की गुडिय़ा से आरोपी विष्णु भमरे ने ज्यादती की थी। फिर उसने उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद आरोपी ने शव के साथ अप्राकृतिक संभोग किया था। इस मामले में भोपाल जिला अदालत ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। फांसी पर अंतिम मुहर हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट से अभी लगना बाकी है। भोपाल जिला अदालत में जब ट्रायल शुरू हुआ था, ऐसा आरोप है कि तभी विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी।
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न्यायालय अवमानना की श्रेणी
मनोज श्रीवास्तव की तरफ से आरोप लगाते हुए कहा गया है कि विधिक प्राधिकरण की तरफ से न्यायाधीश आशुतोष मिश्रा और पीठासीन अधिकारी ने न्याय संगत मांग करने पर वह नफरत का शिकार हुआ है। आरोपी विष्णु भमरे मनपंसद वकील न मिलने से समुचित बचाव करने से वंचित रह गया। उक्त मामला लोक सेवकों की तरफ से अपने दायित्वों का निर्वहन कानून एवं विधि की मंशा के अनुरूप ना होकर न्यायालय अवमानना की श्रेणी में आता है।
इन कारणों से बना गतिरोध
आरोपी विष्णु की तरफ से तीन गवाहों को अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव के समक्ष पेश किया गया। इसके बाद अचानक 27 नंबर वाले गवाह को पेश किया जाने लगा। जिसका विरोध करते हुए मनोज श्रीवास्तव ने कैमरा ट्रायल की मांग की। श्रीवास्तव का आरोप है कि यही मांग पीठासीन अधिकारी को नागवार गुजरी। जबकि जिन तीन गवाहों के बयान हुए थे वह दस्तावेजों से मेल नहीं खाते थे। यह दस्तावेज वारदात वाली जगह के नक्शे थे।
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कोई नहीं लडऩा चाहता था केस
आरोपी विष्णु भमरे को कमला नगर थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी के साथ ही भोपाल जिला अदालत के वकीलों ने उसकी तरफ से पैरवी करने से इंकार कर दिया था। नतीजतन, जिला बार एसोसिएशन ने तीन नामों का पैनल बनाकर भोपाल विधिक प्राधिकरण को भेजा था। प्राधिकरण की तरफ से नियुक्त वकील ने पैरवी करने से इनकार कर दिया। इस कारण अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया। श्रीवास्तव को यह नियुक्ति डीजे के हस्तक्षेप के बाद मिली थी।
बातचीत करने से इनकार
पीठासीन अधिकारी ने इस मामले (Gudiya Rape & Murder Case Bhopal) में बातचीत करने से इंकार कर दिया। वहीं विधिक प्राधिकरण के सचिव आशुतोष मिश्र ने कहा कि जो भी कार्रवाई अधिवक्ता को लेकर की गई है वह न्याय संगत हैं। बाकी हाईकोर्ट में हमारी तरफ से तथ्य और प्रमाण प्रस्तुत किए जाएंगे। इधर, शिकायत करने वाले अधिवक्ता मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि मैं दोषी के कृत्य का बचाव नहीं कर रहा। लेकिन, पूरी प्रक्रिया दूषित हुई उसमें जो न्यायिक कार्रवाई होनी थी वह नहीं हुई उसकी शिकायत करने गया हूं।
अब सवाल ये उठता कि मनोज श्रीवास्तव की शिकायत यदि प्रमाणित होती है तो क्या इसका असर गुड़िया रेप एंड मर्डर केस पर नहीं पड़ेगा? क्या दोषी विष्णु भमरे को इसकी वजह से रियायत नहीं मिलेगी? रजिस्ट्रार हाईकोर्ट ने भी यदि कानूनी प्रक्रिया में गड़बड़ी को प्रमाणित किया तो क्या दोषी के खिलाफ फांसी की सजा बरकरार रहेगी ?