Bhopal News: गैस पीड़ित संगठनों ने सरकार से 85 करोड़ रुपए की राशि को लेकर मांगा हिसाब
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal News) में हुई भीषणतम गैस त्रासदी को अगले महीने 37 साल हो जाएंगे। एशिया की इस भीषण त्रासदी को लेकर गैस पीड़ितों के अलग—अलग चार संगठन सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे हुए हैं। इन्होंने एक सप्ताह से प्रतिदिन एक सवाल पूछकर सरकार को बेनकाब करने की योजना बनाई है। यह सिलसिला 37 दिनों तक यूं ही जारी रहेगा। इसी क्रम में संगठनों का आरोप है कि गैस राहत मंत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र की नाली—सड़क बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री से पत्र लिखकर सिफारिश की थी। यह बजट गैस पीड़ितों का था। विरोध करने पर प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली थी।
लोन की योजना को कोर्स में बदला
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी का आरोप है कि सरकार के पास पिछले 10 साल से 85 करोड़ की राशि होने के बावजूद आज तक वह किसी गैस पीड़ित या उसकी संतान को रोजगार नहीं दिला सकी है। इसके लिए 2010 में भोपाल में मंत्रियों के समूह ने गैस पीड़ितों और उनके बच्चों को रोजगार देने के लिए रियायती लोन के लिए 104 करोड़ रुपए का प्लान पारित किया था। हालांकि अगले साल बिना कोई कारण सरकार ने रियायती लोन देने की योजना को व्यावसायिक पाठ्यक्रम में परीक्षण देने बदला। आरोप है कि सरकार ने 2011 से 2014 के बीच 12,355 गैस पीड़ितों और उनके बच्चों को प्रशिक्षण देने 22 संस्थाओं को 18 करोड़ दिए। हालांकि इस प्रयास का गैस राहत विभाग के अधिकारियों और निजी संस्थानों के अलावा अन्य किसी को नहीं मिला। इस प्रदर्शन में भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की शहजादी बी, भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा, नवाब खाँ और नौशीन खान भी शामिल है।
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