MP Fisheries Scam: थाने में आम ही नहीं सरकारी महकमे के अफसरों को भी एफआईआर के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है, कमिश्नर की फटकार के बाद मामला दर्ज
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भोपाल। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद अफसरों की फौज हो गई। जिसमें आम नागरिक को न्याय मिलना बहुत ज्यादा चुनौती भरा हो गया है। यह बात हम यूं ही नहीं कर रहे। लूट के मामले सादा चोरी में दर्ज किए जा रहे हैं। लूट की वारदातों को मीडिया से छुपाकर उसका सीधा खुलासा करते वक्त बताया जा रहा है। यह सारी घटनाएं भोपाल (MP Fisheries Scam) शहर के तहत चल रही पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली की हैं। यहां बात हमने आम नागरिकों की थी। पुलिस की व्यवस्थाओं में सरकारी महकमा भी पीस रहा है। ताजा मामला मत्स्य विभाग के जारी अनुदान में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ा है। जिसके लिए विभाग ने पुलिस के अफसरों से एक दो नहीं कई बार मौखिक और लिखित में आवेदन दिया था। अब थाना पुलिस ने फटकार के बाद प्रकरण दर्ज कर लिया है।
इन समितियों के खिलाफ दर्ज किया गया है मामला
हाईकोर्ट में जा चुका है प्रकरण
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पुलिस ने सुनील बाथम और शैलजा बाथम के मामले में जांच शुरु कर दी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पत्राचार पातरा स्थित सहायक संचालक कार्यालय की तरफ से किया जा रहा था। हालांकि यह दफ्तर तलैया (Tallaiya) थाना क्षेत्र में आता है। पुलिस ने शाहजहांनाबाद थाने में किन कारणों से यह मुकदमा दर्ज किया गया यह साफ नहीं हो सका है। कार्रवाई को लेकर मत्स्य उद्योग विभाग (MP Fisheries Scam) की तरफ से बताया गया है कि घोड़ापछाड़ डैम में केज निर्माण और फीडमील निर्माण राशि का गलत इस्तेमाल किया गया है। जिसकी जांच जिला पंचायत सीईओ की अगुवाई में हो चुकी है। उसी प्रतिवेदन के आधार पर प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई थी। मत्स्य उद्योग विभाग जून, 2019 से लगातार एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रयास कर रहा था। इस बीच समिति के सदस्य हाईकोर्ट चले गए थे। वहां से स्थगन आदेश जारी हुआ था। अब उसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जिसके बाद फिर मत्स्य विभाग ने पत्राचार शुरु किया था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि एफआईआर के लिए नवंबर, 2023 से लगातार अफसर लगातार पत्राचार कर रहे थे। इसके अलावा क्राइम ब्रांच में भी आवेदन दिया गया था।
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