MP Fisheries Scam: घोड़ापछाड़ डैम के लिए जारी अनुदान में फर्जीवाड़ा

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MP Fisheries Scam: थाने में आम ही नहीं सरकारी महकमे के अफसरों को भी एफआईआर के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है, कमिश्नर की फटकार के बाद मामला दर्ज

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद अफसरों की फौज हो गई। जिसमें आम नागरिक को न्याय मिलना बहुत ज्यादा चुनौती भरा हो गया है। यह बात हम यूं ही नहीं कर रहे। लूट के मामले सादा चोरी में दर्ज किए जा रहे हैं। लूट की वारदातों को मीडिया से छुपाकर उसका सीधा खुलासा करते वक्त बताया जा रहा है। यह सारी घटनाएं भोपाल (MP Fisheries Scam) शहर के तहत चल रही पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली की हैं। यहां बात हमने आम नागरिकों की थी। पुलिस की व्यवस्थाओं में सरकारी महकमा भी पीस रहा है। ताजा मामला मत्स्य विभाग के जारी अनुदान में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ा है। जिसके लिए विभाग ने पुलिस के अफसरों से एक दो नहीं कई बार मौखिक और लिखित में आवेदन दिया था। अब थाना पुलिस ने फटकार के बाद प्रकरण दर्ज कर लिया है।

इन समितियों के खिलाफ दर्ज किया गया है मामला

पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले को भी मैन स्ट्रीम मीडिया से छुपाया गया। गोपनीय तरीके से 09 फरवरी को दर्ज की गई है। जिसमें पुलिस ने 59/24 धारा 420/406/120—बी (जालसाजी, गबन और साजिश के तहत प्रकरण) दर्ज किया है। इस प्रकरण के लिए शिकायत मत्स्य उद्योग के ​सहायक संचालक सत्य प्रकाश सैनी (Satya Prakash Saini) पिता सरमन लाल सैनी उम्र 60 साल ने दर्ज कराई है। वे टीटी नगर थाना क्षेत्र स्थित तुलसी नगर (Tulsi Nagar) में रहते हैं। सत्य प्रकाश सैनी ने शाहजहांनाबाद (Shahjahanabad) पुलिस को सोना मत्स्य उद्योग सहकारी समिति(Sona Fisheries Industry Cooperative Society) के खिलाफ आवेदन दिया है। जिसमें बताया गया है कि समिति के अध्यक्ष सुनील बाथम (Sunil Batham) और उनके संचालक मंडल ने फर्जीवाड़ा किया है। इसी आवेदन में एकलव्य एकवा इंटरप्राइजेस (Eklavya Ekva Enterprises) की संचालक शैलजा बाथम (Shailja Batham) की भी शिकायत की है। हालांकि मत्स्य उद्योग विभाग (Fisheries Department) की तरफ से पुलिस को लगाए गए आरोपों को लेकर कोई दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए हैं। उक्त दोनों समितियों पर आरोप है कि उन्होंने विभाग से बिना अनुमति लिए बैंक में कूटरचित दस्तावेजों की मदद से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है।

हाईकोर्ट में जा चुका है प्रकरण

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शाहजहांनाबाद थाना, जिला भोपाल फाइल फोटो

पुलिस ने सुनील बाथम और शैलजा बाथम के मामले में जांच शुरु कर दी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि पत्राचार पातरा स्थित सहायक संचालक कार्यालय की तरफ से किया जा रहा था। हालांकि यह दफ्तर तलैया (Tallaiya) थाना क्षेत्र में आता है। पुलिस ने शाहजहांनाबाद थाने में किन कारणों से यह मुकदमा दर्ज किया गया यह साफ नहीं हो सका है। कार्रवाई को लेकर मत्स्य उद्योग विभाग (MP Fisheries Scam) की तरफ से बताया गया है कि घोड़ापछाड़ डैम में केज निर्माण और फीडमील निर्माण राशि का गलत इस्तेमाल किया गया है। जिसकी जांच जिला पंचायत सीईओ की अगुवाई में हो चुकी है। उसी प्रतिवेदन के आधार पर प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई थी। मत्स्य उद्योग विभाग जून, 2019 से लगातार एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रयास कर रहा था। इस बीच समिति के सदस्य हाईकोर्ट चले गए थे। वहां से स्थगन आदेश जारी हुआ था। अब उसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जिसके बाद फिर मत्स्य विभाग ने पत्राचार शुरु किया था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि एफआईआर के लिए नवंबर, 2023 से लगातार अफसर लगातार पत्राचार कर रहे थे। इसके अलावा क्राइम ब्रांच में भी आवेदन दिया गया था।

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