Bhopal News: बीएमडब्ल्यू बुक कराई है तो यह पढ़ लें

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Bhopal News: प्रदेश में जूम एप्लीकेशन के जरिए ट्रांसपोर्ट विभाग को लगाई जा रही चपत, पांच आरोपियों को दबोचने के बाद सामने आया कई तरह का फर्जीवाड़ा, दिल्ली—मुंबई के रिच सोसायटी के लोग रहते थे टारगेट पर, जालसाजों से बरामद हुई चार करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी, फर्जी सिम देने वाला दुकानदार, घर मालिक समेत कई अन्य पुलिस की जांच में फंसे

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आरोपियों से बरामद मोबाइल जमाते हुए पुलिसकर्मी।

भोपाल। देशभर में ड्रायवर लैस लग्जरी वाहन उपलब्ध कराने वाली कंपनी जूम एप्लीकेशन के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। यदि आप भी इस एप्लीकेशन के जरिए कोई लग्जरी वाहन बुक कर रहे हैं तो यह समाचार पहले पढ़ लीजिए। उसके बाद कोई वाहन बुक करिएगा। यह ताजा खुलासा भोपाल (Bhopal News) शहर के अवधपुरी थाना पुलिस ने किया है। पुलिस ने पांच शातिर जालसाजों को दबोचा है। उनसे करीब चार करोड़ रुपए की संपत्ति भी बरामद हुई है। इसमें दो बीएमडब्ल्यू कार भी शामिल है। आरोपियों से जुड़ी कई जानकारियां सामने आना बाकी है। जिसके संबंध में पूछताछ करने के लिए पुलिस आरोपियों को रिमाड पर लेने जा रही है।

महंगे शोक के चलते पुलिस को मिल गई थी मुखबिरी

डीसीपी जोन—2 डॉक्टर संजय कुमार अग्रवाल (DCP Sanjay Kumar Agrawal) ने पत्रकारों को बताया कि अवधपुरी (Awadhpuri) स्थित रीगल टाउन (Regal Town) में दबिश दी गई थी। यहां से पांच आरोपियों को दबोचा गया है। यह सभी फ्लैट में बैठकर जूम ऐप (Zoom App) के जरिए दिल्ली, मुम्बई समेत अन्य शहरों के लोगों से फर्जीवाड़ा कर रहे थे। आरोपी यह काम घुमने—फिरने और नशे के शोक को पूरा करने ऐसा कर रहे थे। आरोपी रीगल टाउन के ब्लाक नम्बर एक में स्थित फ्लैट नम्बर 301 में जुलाई, 2024 में किराए से रहने आए थे। मकान मालिक आशुतोष गुप्ता (Ashutosh Gupta) हैं जो कि प्रोफेसर हैं। आरोपियों की लाइफ स्टाइल देखकर पुलिस को मुखबिरी हुई थी। जिसके बाद वहां टीम ने जाकर दबिश दी थी। पुलिस को यहां यश सलूजा (Yash Saluja) , अंशुल प्रियांश सिंह (Anshul Priyansh Singh) , मयंक ठाकुर (Mayank Thakur) , अखिलेश पाण्ड़े (Akhilesh Pandey) और सहजप्रीत सिंह (Sahajpreet Singh) मिले। आरोपियों ने बताया कि वे जूम कार कंपनी (Zoom Car Company) के लिए काम करते है। उसका हेड ऑफिस बैंगलोर में है। उस कंपनी में ऑनलाईन कार किराये पर देने की एप्लीकेशन व दूसरे कार की छ: अलग—अलग ऐंगल से छ: फोटो जिसे गुगल वेबसाइट से निकालकर डालते हैं। यह बताने पर पुलिस को शंका हुई। उन्होंने बकायदा वीडियाग्राफी करके सारी सामग्रियों के साथ उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।

इस कमी का फायदा उठाकर कमा रहे थे पैसा

आरोपियों यश सलूजा, अंशुल प्रियांश सिंह, मयंक ठाकुर, अखिलेश पांडे और सहजप्रीत सिंह को थाने लाकर पूछताछ की गई। आरोपियों ने बताया कि वे जूम एप्लीकेशन (Zoom Application) के साथ फर्जीवाड़ा कर रहे थे। यश सलूजा का दोस्त नितेश गोस्वामी (Nitesh Goswami) पहले जूम कंपनी के लिए काम कर चुका है। वह कंपनी की लग्जरी कार लेकर भी भाग गया था। जिस कारण उसके खिलाफ कंपनी ने गबन का भी मुकदमा दर्ज कराया था। वह पहले यश सलूजा के साथ ही रहता था। इस कारण यश सलूजा को पता था कि एक बार फर्जीवाड़ा करने के बाद आईडी ब्लॉक की जाती थी। लेकिन, भौतिक सत्यापन नहीं किया जाता था। इसी कमी का फायदा उठाकर आरोपी जूम एप्लीकेशन से फर्जीवाड़ा करते थे। इस बात की भनक कंपनी को भी नहीं थी। आरोपियों ने बताया कि कार बुकिंग तीन दिन बाद शुरु हो जाती थी। इसमें कार नान कामर्शियल वाहन लगती है इसमें कार को बिना ड्रायवर के ग्राहक को देनी होती है। जिसमें आरोपीगण कार की बुकिंग का स्थान मुंबई तथा दिल्ली बताते है जहां से ग्राहक को कार मिलनी होती थी। बुकिंग करके आरोपी पैसा लेकर अपना फोन बंद कर लेते थे। कंपनी जिनसे कार बुकिंग का अनुबंध करती है उसकी शर्तों के अनुसार 40 प्रतिशत कंपनी रखती थी बाकी कार मालिक को भुगतान होता था। यह रकम फिर कई खातों में भेजे जाते थे।

आरोपियों से यह माल हुआ बरामद

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आरोपियों से बरामद कारें

कंपनी ने इस मामले को अपनी साख गिरने से बचने के लिए छुपा रखा था। ग्राहक जूम रिटेलिंग कंपनी को फोन लगाता था तो जूम कंपनी आरोपियों का नम्बर बंद होने पर उनके बैंक खातों, सिम और आईडी को सिर्फ ब्लॉक करने का काम करती थी। इसके बाद पांचों आरोपी (Bhopal News) दूसरे सिम दूसरे मोबाईल में दूसरे बैंक एकाउण्ट नम्बर में जोडकर फिर एक नया एप्लीकेशन जूम कार अपलोड करते थे। इस प्रकार फिर से एक नये कार के छ: अलग से छ:फोटो व एक नया सिम नम्बर व एक नया बैंक अकाउण्ट नम्बर व एक फर्जी व्यक्ति का नाम अपलोड करते थे। फिर उसी तकनीक में पैसा लेने के बाद अगली कार्रवाई को अंजाम देते थे। आरोपियों के कब्जे से राजस्थान (Rajasthan) नंबर की BMW कार आरजे—07—सीए—7317, दूसरी BMW कार एमएच—14—डीएन—2584 और XUV 500 कार एमपी—04—केजी—2329 जब्त हुई है। इसके अलावा 48 मोबाइल फोन और टेबलेट मिले हैं। आरोपियों के कब्जे से 37 एटीएम कार्ड बरामद हुए। पुलिस ने आठ पासबुक और 13 चेकबुक बरामद की है। आरोपियों की तलाशी लेने पर 92 सिम मिली। वहीं एक नोट गिनने की मशीन भी रखी थी। इन सभी उपकरणों को जांच के लिए सायबर फोरेंसिक टीम को भेजा जाएगा। इसके अलावा सभी आरोपियों की मोबाइल कॉल डिटेल भी मंगाई जा रही है।

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आरोपियों के खिलाफ दर्ज है इतने भारी भरकम मुकदमे

सभी आरोपियों को अदालत में पेश करके पांच दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। गिरफ्तार यश सलूजा पिता सुरेन्द्र कुमार सलूजा उम्र 27 साल इस गिरोह का मास्टर माइंड है। वह प्राईड सिटी (Pride City) कटारा हिल्स का रहने वाला है। फिलहाल रीगल टाउन अवधपुरी में रह रहा था। उसके खिलाफ आठ मुकदमे पहले से दर्ज है। यश सलूजा के खिलाफ छतरपुर में 2012 में मारपीट, जबलपुर में 2021 में जालसाजी, अवधपुरी थाने में ही 2016 में जालसाजी का प्रकरण दर्ज है। इसके अलावा हबीबगंज थाने में वह 2019 में जालसाजी के प्रकरण में गिरफ्तार हो चुका है। यश सलूजा को दमोह कोतवाली पुलिस ने 2019 में जालसाजी के प्रकरण में गिरफ्तार किया था। इसी तरह धार जिले में वह 2021 में गिरफ्तार हुआ था। हबीबगंज पुलिस ने गबन के मामले में 2018 में भी गिरफ्तार किया था। इसी तरह गिरफ्तार अंशुल प्रियांश सिंह पिता गुलाब सिहं उम्र 28 साल के खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज है। वह उत्तर प्रदेश के झांसी (Jhansi) जिले में स्थित महुरानीपुर का रहने वाला है। अंशुल प्रियांश सिंह ने एमबीए किया है। वह छतरपुर जिले में दर्ज मारपीट के तीन प्रकरणों में 2013 और 2014 में गिरफ्तार हो चुका है। इसी तरह मयंक ठाकुर पिता मनोज ठाकुर उम्र 23 साल के खिलाफ भी दो प्रकरणों की जानकारी मिली है। आरोपी छिंदवाड़ा जिले के ​जुन्नारदेव तहसील के दमोआ का रहने वाला है। वह चोरी के आरोप में गिरफ्तार हुआ था। अविनाश पाण्ड़े पिता मनोज कुमार पाण्डे उम्र 28 साल का कोई पुलिस रिकॉर्ड नहीं मिला। वह छतरपुर जिले के गल्ला मंडी सरानी का रहने वाला है। सहजप्रीत सिंह पिता विक्कर सिंह उम्र 23 साल भी छतरपुर जिले में रहता है। हालांकि वह मूलत: पंजाब (Punjab) के तहसील टाडा जिला सिमारपुर का रहने वाला है।

मकान मालिक के खिलाफ दर्ज होगा प्रकरण

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पत्रकारों को जानकारी देते हुए मध्य में डीसीपी संजय कुमार अग्रवाल, चित्र में बाएं तरफ एडीसीपी महावीर मुजाल्दे और दाहिनी तरफ अवधपुरी थाना प्रभारी रतन सिंह परिहार।

डीसीपी ने बताया कि आरोपियों से बरामद कार बीएमडब्ल्यू के संबंध में मालिक का पता लगाया जाना बाकी है। इसके अलावा भारी मात्रा में खरीदे गए मोबाइल को लेकर भी पड़ताल की जा रही है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि आरोपी प्रायवेट वाहनों से कमर्शियल एक्टिविटी कर रहे थे। जिसके संबंध में एमपी आरटीओ (MP RTO) को जूम एप्लीकेशन के खिलाफ जांच करने को लेकर पत्राचार किया जाएगा। आरोपियों ने भारी मात्रा में घोड़ा नक्कास से सिम खरीदी है। उसको देने वाले दुकानदार के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। आरोपियों ने पैसा ट्रांजेक्शन के लिए मनरेगा मजदूरों के खातों का इस्तेमाल किया है। इस संबंध में भी जानकारी जुटाई जा रही है। डीसीपी ने कहा कि प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता ने किराएदार को रखने से संबं​धित जानकारी नहीं थी। इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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