Company Fraud : निवेशकों के पौने 6 करोड़ रुपए लेकर कंपनी चंपत

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Company Fraud
भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया जालसाजी और गबन का मामला, दर्जनों निवेशकों को विज्ञापनों के जरिए दिखाए थे जमीन और राशि दोगुने होने के सपने

भोपाल। रियल स्टेट और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद के आयात—निर्यात करने वाली कंपनी निवेशकों को (Company Fraud) धोखा देकर भाग गई। इससे पहले कंपनी ने दर्जनों निवेशकों से करीब पौने छह करोड़ रुपए हथिया लिए थे। मामले की जांच आर्थिक प्रकोष्ठ विंग कर रही थी, जिसने अब मामला दर्ज कर लिया है।
ईओडब्ल्यू के अनुसार मामले की शिकायत हर्षवर्धन राठौर, रामचंद्र चौधरी, राजेन्द्र पाटीदार, हरीश प्रसाद गुप्ता, सागर शर्मा, दिलीप परिहार समेत अन्य ने की थी। शिकायत मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने 2013 में प्राथमिकी दर्ज कर ली थी। जांच में पाया गया कि आरोपी बकील सिंह, उर्मिला बघेल, मुकेश बघेल, बनवारी लाल बघेल, राजवीर सिंह, संजीव सिंह, सुरेन्द्र सिंह, धर्म सिंह, किशन सिंह, और इटावा निवासी हरीश बाबू हैं। अधिकांश आरोपी ग्वालियर के गोले का मंदिर और भिंड के रहने वाले हैं। ईओडब्ल्यू ने (Company Fraud) जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ गबन, जालसाजी समेत अन्य धारा में प्रकरण दर्ज कर लिया है। रिपोर्ट के बाद बयान लेने के लिए ईओडब्ल्यू नोटिस ​जारी करेगी। जिसके पूरे होने के बाद वह अदालत में चार्जशीट दाखिल करेगी।

दो कंपनियों के एक ही संचालक
यह सभी आरोपी दो कंपनी चलाते थे। पहली कंपनी बीपीएन रियल स्टेट एंड एलाइट थी। यह कंपनी अप्रैल, 2006 में बनी थी। इस कंपनी का दफ्तर अभय प्लाजा, बीपीएन काम्पलेक्स सिटी सेंटर ग्वालियर में था। यह कंपनी रियल स्टेट के अलावा निर्माण कार्य और लाइफ इंश्योरेंस का लायसेंस ग्वालियर पंजीयन कार्यालय से लिया था। इसी तरह दूसरी कंपनी दिल्ली के लक्ष्मी नगर स्थित रॉयल प्लाजा के पते पर सितंबर, 2008 में रजिस्टर्ड हुई थी। इस कंपनी का काम बिजली के उपकरणों का आयाता—निर्यात के अलावा मार्केटिंग का काम था। इन दोनों (Company Fraud) कंपनियों के संचालक एक ही थे जो जांच में उजागर हुए।

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ऐसे दिया था धोखा
आरोपियों ने लोगों को झांसे में लेने के लिए बकायदा समाचार पत्रों में विज्ञापन भी दिया था। यह कंपनी एक साल की आरडी में 4, तीन साल पर 10, पांच साल की आरडी पर 20 फीसदी ब्याज और कमीशन देने का लालच देती थी। कंपनी ने (Company Fraud)  आरडी मैच्योर होने के बाद बकायदा सर्टिफिकेट भी जारी किए थे। जिसे बाद में निवेशकों से वापस ले लिए गए थे। कंपनी वर्ष 2015 में दोनों जगहों के दफ्तर पर ताले लगाकर भाग गई। ईओडब्ल्यू के अनुसार जांच में पता चला है कि यह दोनों कंपनियां निवेशकों के करीब पांच करोड़, 71 लाख और 57 हजार से अधिक की रकम लेकर भागी है।

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