Bhopal Corporate Fraud: भोपाल आरटीओ से बिना रजिस्ट्रेशन कराए बेच दी थी बीएस—4 मॉडल की कार, जांच के बाद जालसाजी का प्रकरण दर्ज
भोपाल। यदि आप सुरजीत हुंडई से कार खरीदने जा रहे हैं तो यह समाचार आपको जागरुक करने वाला है। यदि आपको कंपनी वहां से रजिस्ट्रेशन करके कार दे तो भोपाल आरटीओ में जाकर एक बार तस्दीक जरुर कर ले। यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे। दरअसल, भोपाल (Bhopal Corporate Fraud) शहर के पिपलानी थाने में जालसाजी का ऐसा ही एक मामला पहुंचा है। यह भंडाफोड़ तब हुआ जब पीड़ित की कार का बीमा खत्म हुआ। पुलिस ने सुरजीत हुंडई के मालिक के खिलाफ जालसाजी का प्रकरण दर्ज किया है।
इन धाराओं में दर्ज किया गया है प्रकरण
पिपलानी (Piplani) थाना पुलिस के अनुसार जालसाजी के शिकार डॉक्टर शिवओम दुबे (Dr Shivom Dubey) पिता श्यामलाल दुबे उम्र 58 साल हुए हैं। वे शाहपुरा (Shahpura) थाना क्षेत्र स्थित सहयोग विहार कॉलोनी (Sahyog Vihar Colony) में रहते हैं। डॉक्टर शिवओम दुबे ने पुरोहित में पीएचडी कर चुके हैं। वे पंडिताई का काम भी करते हैं। उन्होंने जेके रोड (JK Road) में स्थित सुरजीत हुंडई (Surjeet Hyundai) से 2019 में हुंडई आई टेन कार (Car) ली थी। सरकार के नियमों के अनुसार आटो एजेंसी को ही कार का रजिस्ट्रेशन नंबर देना होता है। इस कारण उन्होंने उसका बकायदा शुल्क भी भुगतान कर दिया। उस वक्त दो साल का बीमा हुआ था। वह जैसे ही समाप्त हुआ तो डॉक्टर शिवओम दुबे बीमा कंपनी उसको रिन्यू कराने पहुंचे थे। वहां पता चला कि उनकी कार का बीमा नहीं हो सकता। क्योंकि कार का रजिस्ट्रेशन भोपाल आरटीओ (Bhopal RTO) में नहीं है। इस बात की शिकायत लेकर वे जेके रोड में स्थित सुरजीत हुंडई में पहुंचे। यहां कंपनी ने उनकी कार का एक साल का बीमा मुफ्त में उस वक्त करा दिया। लेकिन, फिर वे बीमा कंपनी पहुंचे तो वही समस्या दोबारा सामने आई। इसके बाद वे भोपाल आरटीओ में पहुंचे। उन्हें बताया गया कि उनकी कार बीएस—4 मॉडल की है। जिसका रजिस्ट्रेशन अब नहीं हो सकता। इस कारण पीड़ित ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के बाद सुरजीत हुंडई के मालिक रमेश ननवानी (Ramesh Nanwani) के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। इस मामले की जांच एसआई आनंद परिहार (SI Anand Parihar) कर रहे है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 557/24 धारा 420 (जालसाजी का प्रकरण) दर्ज कर लिया है। इस फर्जीवाड़े में भोपाल आरटीओ की भी भूमिका संदिग्ध है। इसके अलावा निगरानी करने वाली ट्रांसपोर्ट की अन्य एजेंसियों की भी पड़ताल की जा सकती है। जालसाजी का यह प्रकरण राजस्व चोरी से भी जुड़ा है।
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