Bhopal Cyber Fraud: चार महीने से यहां—वहां भटक रहा था आवेदन, टेलीग्राम के अलग—अलग तीन ग्रुप में जोड़कर टारगेट पूरा करने पर लाभ मिलने का लालच देकर पैसा ऐंठा
भोपाल। टेलीग्राम के ग्रुप में जोड़कर टारगेट पूरा करने की आड़ में फर्जीवाड़ा करने वाला गिरोह इन दिनों सक्रिय है। यह गिरोह पहले छोटे—छोटे टारगेट पर 50 रुपए से लेकर तीन हजार रुपए का भुगतान करता है। इसके बाद बडा टारगेट बोलकर मोटी रकम लेने के बाद अपने पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर देता है। ऐसा ही एक मामला भोपाल (Bhopal Cyber Fraud) शहर में सामने आया है। जिसमें पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। इस मामले का पहला पीड़ित चार महीने पहले पुलिस से मदद मांगने गया था। उसके साथ करीब सवा पांच लाख रुपए का फर्जीवाड़ा हुआ है।
पीड़ित को अहसास ही नहीं होता कि वह सायबर फ्रॉड गिरोह के जाल में फंस गया है
पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले का पीड़ित कमला नगर (Kamla Nagar) थाना क्षेत्र में रहने वाला उमेश कुमार झाला (Umesh Kumar Jhala) है। उसने अपने और पत्नी मेघा झाला (Megha Jhala) के खाते से जालसाजों के खाते में करीब पांच लाख 21 हजार रुपए जमा करा दिए। उससे फर्जीवाड़े की शुरुआत मार्च, 2024 में हुई थी। उसके टेलीग्राम (Telegram) में एक लिंक आई थी। उसके जरिए वह एक ग्रुप में जुड़ा। वहां सैंकड़ों लोग थे। सभी को गुगल मैप रिव्यू का टारगेट दिया गया। जिसके सही जवाब थे उन्होंने ग्रुप की महिला एडमिन से संपर्क किया। उस महिला एडमिन ने दूसरी महिला का नंबर दिया। उसको कॉल किया तो भुगतान इंडसइंड बैंक(Indusind Bank) के खाते से हुआ। इसके बाद तीन सही रिव्यू करने पर उसे 600 रुपए फिर मिले। यह रकम लेने के बाद उसको ग्रुप में नया टारगेट पूरा करने पर बड़ी रकम मिलने का लालच दिया। इसके लिए उससे दो हजार रुपए लिए गए। यह रकम जमा करने के बाद सही जवाब देने पर उसे 2800 रुपए मिले। इसके बाद अगले टास्क के लिए नौ हजार रुपए जमा कराए गए। यह रकम लेने के बाद उसे फिर नए ग्रुप में जोड़ा गया। यहां उसे एक व्यक्ति ने गाइडेंस टीचर बनकर बातचीत करते हुए उससे अगले टारगेट पूरा करने पर भारी रकम मिलने का लालच दिया। इसके एवज में उसको तीसरे और चौथे टारगेट पूरा करने के नाम पर दो किस्त में करीब पौने पांच लाख रुपए जमा करा लिए गए। वह दिया गया टारगेेट जीत गया। फिर उससे कहा जाने लगा कि उसको वह रकम लेने के लिए विड्रा टारगेट पूरा करने के लिए बोला गया। इसके लि उससे आठ लाख 88 हजार रुपए मांगे जाने लगे। इसके बाद उसे अहसास हो गया कि वह सायबर फ्रॉड का शिकार हो गया है। वह सबसे पहले राज्य सायबर मुख्यालय पहुंचा था। यहां उसको केंद्रीय शिकायत केंद्र में कॉल करने की सलाह दी गई। इसके बाद केस भोपाल सायबर क्राइम के पास जांच के लिए पहुंचा।
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