Bank Loan Fraud: आत्मनिर्भर बनाने की योजना में बंदरबांट 

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Bank Loan Fraud: नीमच कलेक्टर ने पकड़ा था सवा तीन करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा, चार सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट पर ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया प्रकरण, इंडियन ओवरसीज बैंक के तत्कालीन मैनेजर ने दलाल की मदद से दो दर्जन से अधिक लोन कमीशन लेकर अपात्रों को बांटे

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ग्राफिक्स डिजाईन टीसीआई

उज्जैन/भोपाल। मध्यप्रदेश के नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में योजना लांच हुई थी। यह योजना पीएम एम्पलायमेंट जनरेशन प्रोग्राम की तरह मेल खाती थी। इन दोनों योजनाओं के लिए आरक्षित बजट में से करीब सवा तीन करोड़ रुपए की राशि बंदरबांट कर दी गई। यह घोटाला (Bank Loan Fraud) चार साल तक इंडियन ओवरसीज बैंक के मैनेजर ने दलाल की मदद से किया। गड़बड़ी कलेक्टर ने पकड़ी तो इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। अब इस मामले में उज्जैन ईओडब्ल्यू ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।

इंडियन ओवरसीज बैंक मैनेजर की थी अहम भूमिका

जानकारी के अनुसार यह प्रकरण जांच के लिए नीमच कलेक्टर के जरिए भोपाल के मालवीय नगर (Malviya Nagar) में स्थित इंडियन ओवरसीज (Indian Overseas Bank )  के मुख्यालय में भेजी गई थी। इससे पहले कलेक्टर ने चार सदस्यीय समिति बनाकर मामले की जांच कराई थी। जांच में पता चला कि नीमच (Neemuch) जिले में स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक से 30 लोन मंजूर किए गए थे। यह सारे लोन विवादित थे और उनमें नियमों की अनदेखी की गई। यह लोन जब दिए गए तब वहां पर सुशील कुमार भटनागर (Sushil Kumar Bhatnagar) तैनात थे। वे उस शाखा में 15 जून, 2012 से 30 अप्रैल, 2016 तक पदस्थ रहे थे। उनके संपूर्ण कार्य और गतिविधियों की पड़ताल के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक के मुख्यालय को आदेश दिया गया। जिसके बाद सीनियर मैनेजर जेम्स प्रसाद (James Prasad) ने प्रकरण को जांच के बाद ईओडब्ल्यू (EOW) को भोपाल भेजा। ईओडब्ल्यू ने 09 अप्रैल, 2019 को प्राथमिक जांच के लिए प्रतिवेदन को मंजूर कर लिया। यह जांच पहले चार साल तक भोपाल यूनिट ने की थी। इसके बाद प्रकरण को उज्जैन इकाई का मानते हुए केस डायरी 09 अक्टूबर, 2023 को भेज दी गई। जांच में जिन 30 लोगों ने फर्जी तरीके से लोन लिए उनके बयान दर्ज किए गए। जिसमें इस पूरे नेक्सस का भंडाफोड़ हो सका। जांच में पता चला कि अधिकांश लोन नीमच जिले के जीरन तहसील में बांटे गए। जिन 30 लोगों को लोन बांटे गए वह मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, पीएम एम्पलायमेंट स्कीम, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, डेयरी और हार्टिकल्चर स्कीम में दिए गए। जिन्होंने लोन लिए उनमें एक ही गांव में रहने वाले पति—पत्नी, भाई—बहन, भाभी—देवर, पिता—पुत्र समेत अन्य रिश्तेदार शामिल थे। इन सभी लोगों के लोन मंजूर कराने वाले दलाल मधुकर राव चव्हाण (Madhukar Rao Chavan) से कनेक्शन थे। लोन लेने वाले लोगों ने बताया कि वह ऐसा करने के बदले में कमीशन लेता था। दलाल कमीशन में से बड़ा हिस्सा इंडियन ओवरसीज के बैंक मैनेजर सुशील कुमार भटनागर को देता था। बैंक मैनेजर को दस लाख रुपए तक का लोन मंजूर करने की पात्रता था। इसके बावजूद वह लोन ऐसे बांट रहा था जैसे रेवड़ियां बांट रहा हो। उसकी गड़बड़ी को इंडियन ओवरसीज बैंक ने भी साजिश मानते हुए एफआईआर से पूर्व ही 30 मार्च, 2020 को आरोप पत्र उसे सौंप दिया हैं। बैंक मुख्यालय ने तत्कालीन बैंक मैनेजर को निलंबित करते हुए उसकी पेंशन में 20 प्रतिशत की राशि भी काट दी है।

इन लोगों ने लिया सरकारी लोन

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

तत्कालीन बैंक मैनेजर सुशील कुमार भटनागर, दलाल मधुकर राव चव्हाण के गठजोड़ में तीसरा नाम ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद निकाल लिया है। यह सबकुछ फर्जीवाड़ा सिंहल ब्रदर्स (Singhal Brothers) के प्रोपरायटर राकेश सिंहल (Rakesh Singhal) के बैंक खातों से उसे लीगल किया जा रहा था। राकेश सिंहल ने भी अपनी पत्नी सीमा सिंहल (Seema Singhal) को भी प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (Prime Minister Self-Employment Scheme) में रकम दिलाई थी। सरकारी स्कीम की रकम से पैसा लेकर महेश माली ने टेंट का बिजनेस डाला। उसकी लोन (Bank Loan Fraud) की राशि 31 लाख रुपए मंजूर की गई थी। यह रकम लोन खाते में जमा करने की बजाय तत्कालीन बैंक मैनेजर ने राकेश सिंहल के खाते में डाली थी। इसके बाद सिंहल ने अपने खाते के दो चेक देकर मधुकर राव चव्हाण को दस लाख रुपए का भुगतान किया था। यह रकम जनवरी, 2016 में दी गई थी। जिसके बाद यह रकम चव्हाण ने महेश माली को दी थी। बैंक मैनेजर ने सरकारी स्कीम में लोन दिलाने के लिए कई तकनीकी चूक की है। जिसमें हितग्राहियों से मार्जिन मनी लेना थी। कई लोन उसने बिना मार्जिन मनी लिए जारी कर दिया। इतना ही नहीं लोन खाता खोलकर डिमांड ड्राफ्ट के जरिए उसका भुगतान होना था। लेकिन, बैंक मैनेजर ने हितग्राहियों के खाते में सीधे रकम ट्रांसफर कर दी। उज्जैन ईओडब्ल्यू (Ujjain EOW) की जांच में अभी तक 30 लोन फर्जी तरीके से जारी करने के प्रमाण मिल गए हैं। इसमें तीन करोड़, 20 लाख रुपए से अधिक की रिकवरी इंडियन ओवरसीज बैंक को करना अभी भी बाकी है। इस घोटाले की जांच से जुड़े तथ्य को जुटाने के लिए करीब तीन दर्जन लोगों के बयान ईओडब्ल्यू दर्ज कर चुकी है। जिसके बाद 26 दिसंबर को ईओडब्ल्यू उज्जैन ने जालसाजी, गबन, साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है। ईओडब्लयू ने इस प्रकरण में अभी आरोपी तत्कालीन बैंक मैनेजर सुशील कुमार भटनागर, दलाल मधुकर राव चव्हाण के अलावा सिंहल ब्रदर्स के संचालक राकेश सिंहल को बनाया है। ईओडब्ल्यू का कहना है कि जांच के बाद दस्तावेजों के आधार पर अन्य आरोपी भी बनाए जा सकते हैं। ईओडब्ल्यू ने सरकारी स्कीम में बांटे गए करीब सवा तीन करोड़ रुपए के लोन लेने वाले एक दर्जन लोगों को चिन्हित कर लिया है। उन्हें नोटिस देकर बयान भी दर्ज कर लिए गए हैं। जिन्होंने लोन लिया उनमें अंगूर बाल पाटीदार, बग्दीबाई पाटीदार, भगतराम पाटीदार, चंद्रशेखर पाटीदार, नंदलाल पाटीदार पिता म​थुरालाल पाटीदार, नंदलाल पाटीदार पिता अंबालाल पाटीदार, शांति बाई पाटीदार, लखन पाटीदार, राजकुंवर गायरी, शंकरलाल गायरी, गंगा बाई पाटीदार, ललिता बाई पाटीदार, अर्जुन पाटीदार, अजय कुमर बरेठ, ईश्वर लाल बागड़ी, ज्योति बैरागी, खुशबू जाटव, मीनाक्षी यादव, नंदकिशोर पाटीदार, नारायण लाल रेगर, रेखा भंडारी, शंतिलाल पंवार, विजय जाटव, जमाल उद्दीन मंसूरी, शुभम राव, सीमा सिंहल, निकिता बाल्दी, राहुल बाल्दी और महेश माली है। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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