मध्यप्रदेश में ईसाई महासंघ के तत्कालीन जनसंपर्क अधिकारी ने किया था कारनामा, ईओडब्ल्यू में आठ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) ईसाई महासंघ (Christian Federation) के तत्कालीन जनसंपर्क अधिकारी आनंद मुंटूगल समेत आठ लोगों के खिलाफ आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (Economic Offense Wing) ने मुकदमा दर्ज किया है। मुंटूगल पर आरोप है कि संस्था में रहते हुए उन्होंने अपने मित्र को लाभ पहुंचाया। यह मित्र संस्था का सदस्य भी नहीं हैं। हालांकि आरोपों पर मुंटूगल का कहना है कि मेरा उस व्यक्ति और संस्था से कोई लेना—देना नहीं हैं।
ईओडब्ल्यू से मिली जानकारी के अनुसार यह मुकदमा 17 अक्टूबर को दर्ज किया गया है। जिसकी शिकायत अक्टूबर, 2017 में हुई थी। शिकायत जीजी जॉन (GG John) व अन्य ने की थी। आवेदन में बताया गया था कि मैसर्स सेन्ट जूद कॉलोनाइजर (MS Cent Jood Colonizer ) नाम की एक संस्था बनाई गई। इसके 377 सदस्य हैं जिन्हें भूमि पर प्लॉट देने का झांसा दिया गया था। इसके बदले में उनसे रकम ली गई थी। इस शिकायत की पड़ताल की गई। जिसके बाद ईसाई महासंघ के तत्कालीन जनसंपर्क अधिकारी फादर आनंद मुंटूगल (Father Anand Mutungal), कोषाध्यक्ष त्रिलंगा निवासी राय जॉन तट्टा, साकेत नगर निवासी आभा टोप्पो, सीआई होम्स निवासी क्लारा क्रांति, बैरागढ़ निवासी और क्राइस्ट मेमोरी स्कूल के प्रिंसीपल मैनीष के मैथ्यू, तुलसी नगर सेवा सदन में टाइपिस्ट रहे अजमल सिंह मीणा और बैरागढ़ कला निवासी नैन सिंह को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में फादर आनंद मुंटूगल का कहना है कि उन्हें ईओडब्ल्यू में एक महिला अधिकारी ने तलब किया था। लेकिन, उन्होंने कोई बयान दर्ज नहीं किए। यह संस्था निजी है उसका ईसाई महासंघ से कोई लेना—देना नहीं है। वहीं उनका दावा है कि मैंने संस्था से कोई लाभ हासिल नहीं किया है। यह सुनियोजित षड़यंत्र है जिसमें मुझे आरोपी बनाया गया है। मैं इस मामले में अदालत के समक्ष अपने निर्दोष होने के प्रमाण प्रस्तुत करूंगा।
इधर, ईओडब्ल्यू अफसरों का दावा है कि मैसर्स सेन्ट जूद कॉलोनाईजर नाम से संस्था बनाई गई थी। यह भागीदारी संस्था है जिसमें जॉर्ज चेरियन, रिचर्ड डिसल्वा और विपिन टोप्पो मुख्य थे। भोपाल नगर निगम में इस संस्था का पंजीयन 2009 में कराया गया था। संस्था के अध्यक्ष जॉन चेरियन थे। मुंटूगल को लेकर ईओडब्ल्यू अफसरों का दावा है कि उनकी नियुक्ति ईसाई महासंघ में जनसंपर्क अधिकारी के रूप में 2005—2006 में हुई थी। उन्होंने मैसर्स सेन्ट जूद कॉलोनाइजर के पार्टनर विपिन टोप्पो और कोषाध्यक्ष राय जॉन तट्टा के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया। भागीदारी नियम पांच के तहत उल्लंघन करने का आरोप मुुंटूगल पर लगाया गया है। राय जॉन तट्टा निज सहायक भी थे आनंद मुंटूगल के।
टाइपिस्ट अजमल सिंह मीणा की मदद से उन्होंने अलग—अलग चैकों से रकम निकाली। यह रकम इंद्रपुरी स्थित साउथ इंडियन बैंक से निकालकर शाहपुरा स्थित पंजाब नेशनल बैंक में जमा कराई गई। पंजाब नेशनल बैंक शाहपुरा में सेन्ट जूद कॉलोनाइजर का खाता है। कॉलोनाइजर अध्यक्ष की बिना अनुमति फिर इसे निकाल लिया गया। यह रकम मैनीष को दिया गया। मैनीष मैसर्स सेन्ट जूद कॉलोनाइजर संस्था के सदस्य भी नहीं हैं। मामले में ही आरोपी विपिन टोप्पो ने अपनी पत्नी आभा और बहन क्लारा के नाम से जमीन खरीद ली। ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में पाया कि विपिन ने इस बात की जानकारी सरकारी विभाग से छुपाई थी। दरअसल, वह सरकारी नौकरी में तैनात था।
कहानी में कई झोल
मामला बेहद पेंचीदा बनाया गया है। मैसर्स सेन्ट जूद कॉलोनाईजर नाम की संस्था के अध्यक्ष इस पूरे फर्जीवाड़े से अनजान बने रहे। सूत्र बताते है कि यह विवाद ईसाई महासंघ के भीतर चल रही खींचतान का परिणाम है। कई जगह ईओडब्ल्यू भी आरोपियों की भूमिका को साबित नहीं कर सका है। हालांकि उसका कहना है कि अभी इस मामले में कई अन्य बिन्दु सामने आना बाकी है। फादर आनंद मुटूंगल यह निजी संस्थाओं के मामले में उन्हें जबरिया फंसाने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं ईओडब्ल्यू कह रहा है कि जांच पूरी बारीकी से की गई है।