Bhopal News: रोशनपुरा में तीन युवकों को आन लाइन रिपोर्टिंग करने से रोकते हुए फर्जी पत्रकार के आरोपों में किया गया गिरफ्तार
भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण सरकार के लिए गले की हड्डी बना हुआ है। इस विषय पर कांग्रेस एक तरफ हावी है तो दूसरे दल समाजवादी पार्टी समेत अन्य मौजूदा सरकार को चुनाव टालने के लिए दोष डाल रहे हैं। इधर, ओबीसी वर्ग की राजनीति में तूफान उस वक्त आ गया जब उनके नेता राजधानी भोपाल (Bhopal News) में प्रदर्शन करने के लिए आने लगे। ओबीसी नेताओं को पहले पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। वहीं रोशनपुरा में सक्रिय कई लोगों को उठाया गया। इसमें से तीन युवकों को हिरासत में लिया गया। तीनों युवकों पर आरोप है कि वे फर्जी पत्रकार बनकर वहां बिना पहचान पत्र रिपोर्टिंग कर रहे थे। इस मामले में अरेरा हिल्स थाने में केस दर्ज किया गया है।
यह बोलकर दर्ज की गई एफआईआर
अरेरा हिल्स थाना पुलिस के अनुसार 02 दिसंबर की दोपहर लगभग ढ़ाई बजे 05/22 धारा 419/34 (फर्जी कार्य होने के बावजूद उसको करना और एक से अधिक आरोपी) का प्रकरण दर्ज किया गया है। शिकायत मछली कारोबारी वकील उद्दीन पिता कफिल उद्दीन उम्र 40 साल ने दर्ज कराई है। इस प्रकरण में आरोपी रीवा (Rewa News) निवासी पुष्पराज सिंह पिता कमल सिंह उम्र 25 साल, राहुल सिंह पिता कैलाश सिंह उम्र 24 साल और धनंजय सिंह पिता कमल सिंह उम्र 23 साल है। तीनों पर आरोप है कि वे रोशनपुरा स्थित ओबीसी वर्ग की महापंचायत को अवैधानिक तरीके से मीडिया की आड़ में कवरेज कर रहे थे। पुष्पराज सिंह और धनंजय सिंह भाई है। दोनों फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि राहुल सिंह (Rahul Singh) प्रोफेसर कॉलोनी पॉलीटेक्निक इलाके में रहता है। वह बीएससी का छात्र भी है। वकील उद्दीन (Wakil Uddin) जिसने शिकायत की है उसका कहना है कि तीनों उनके पास पत्रकार बनकर आए थे। उनके पास द विलेज की एक आईडी थी। जिसमें मोबाइल स्टेंड के जरिए रिपोर्टिंग की जा रही थी। उनके पास मान्यता प्राप्त पत्रकार होने की आईडी नहीं थी।
राजधानी में यह बोलकर मचाया हल्ला
दरअसल, ओबीसी महापंचायत का मामला विशुद्ध राजनीतिक है। जिसमें मुख्य मीडिया की अभी तक कोई सक्रिय भूमिका सामने नहीं आई है। अमूमन न्यूज वेबसाइट या रीजनल स्तर पर ही इसको कवरेज किया जा रहा है। इस बीच तीनों की गिरफ्तारी के बाद शहर (Bhopal News) में फर्जी पत्रकारों के खिलाफ मुहिम के नाम पर अफवाह फैला दी गई। जबकि इस आंदोलन को दबाने और उसको रोकने के लिए पुलिस की तरफ से तमाम हथकंड़ें अपनाए गए। ओबीसी वर्ग आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे नेता लोकेंद्र गुर्जर (Lokendra Gurjar) को सादी वर्दी में आए पुलिस ने भोपाल में घुसने के पहले ही हिरासत में लिया था। जिन्हें बाद में जंगल ले जाकर छोड़ दिया गया था। यह जानकारी उन्होंने बकायदा वीडियो बयान देकर वायरल की थी।
न्यूज वेबसाइट के मुद्दे ने पकड़ा तूल
इधर, अरेरा हिल्स थाने में दर्ज आरोपियों पुष्पराज सिंह (Pushpraj Singh), राहुल सिंह और धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) के मामले में दर्ज एफआईआर के बाद फैलाई गई हवा पुलिस के लिए मुसीबत बन गई। दरअसल, फर्जी पत्रकारों को लेकर चली खबर के बाद एक धड़ा शहर में सक्रिय न्यूज वेबसाइट को लेकर मुखर हो गया। कई ऐसे वरिष्ठ पत्रकार है जो न्यूज वेबसाइट चला रहे हैं। वे दशकों तक सक्रिय और बड़े मीडिया हाउस में नौकरी कर चुके हैं। सरकार डिजीटल मीडिया की पॉलिसी को लेकर सक्रिय नहीं दिख रही। इसकी वजह सरकार ही है क्योंकि उसने ही डिजीटल मीडिया को एक जमाने में रेवड़ियों की तरह विज्ञापन देकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया था। यह मामला आज भी जांच की आड़ में ईओडब्ल्यू में लंबित चल रहा है। इससे पहले कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने भी अपने जाते समय डिजीटल मीडिया को लेकर सक्रियता दिखाई थी। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य में डिजीटल मीडिया की नीति बन चुकी है। यही हाल केंद्र में भी है। वहां अब तक किसी तरह की हलचल नीति को लेकर नहीं दिख रही।
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