MP Scam News: साढ़े तीन सौ एकड़ से अधिक सरकारी जमीन का फर्जीवाड़ा

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MP Scam News: तहसील कार्यालय के प्रभारी ने पटवारी के साथ मिलकर दो दर्जन से अधिक जाली फर्जी पट्टे बनाकर किया था घोटाला, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में हुए इस स्कैम की कई परतें अभी भी सरकारी जांच में दबी

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। प्रदेश में कंप्यूटर खरीदी, अनाज घोटाला, व्यापमं फर्जीवाड़ा से लेकर तमाम स्कैंडल होते रहते हैं। अब ताजा मामला एमपी (MP Scam News) में सरकारी जमीन में हुए बंदरबाट से जुड़ा है। इस मामले में दो साल चली लंबी जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने प्रकरण दर्ज कर लिया है। इसमें मुख्य आरोपी सिंगरौली जिले के देवसर तहसील कार्यालय में तैनात अभिलेखागार अधिकारी है। उसने साजिश को तत्कालीन पटवारी की मदद से अंजाम दिया था। यह उसका पहला कारनामा नहीं हैं। इससे पहले भी वह दो अन्य गांवों की सरकारी जमीनों में फर्जीवाड़ा कर चुका है।

ऐसे सामने आया था पूरा फर्जीवाड़ा

ईओडब्ल्यू (EOW) के अनुसार इस मामले में अभी तक 27 नामजद लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। जिसमें दो अभिलेखागार और तत्कालीन पटवारी है। जिन 25 प्रकरणों की यह जांच की गई उसके पट्टाधारक मौके पर ही नहीं मिले। इसलिए अभी यह कहना संभव नहीं है कि यह सभी नाम वास्तविक हैं अथवा नहीं। ईओडब्ल्यू ने 39/23 धारा 420/467/468/120—बी/13—1—ए/13—2 (जालसाजी, दस्तावेजों की कूटरचना, साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण) दर्ज किया गया है। मामला सिंगरौली (Singrauli) जिले की देवसर तहसील में स्थित मझिगंवा गांव की 367 एकड़ से अधिक की जमीन से जुड़ा है। यह जमीन कागज में 25 लोगों के नामों में दर्शाई गई थी। पूरा प्रकरण तब सामने आया जब इन दस्तावेजों की निगरानी करने वाला सूर्यभान सिंह (Suryabhan Singh) लापता हो गया। वह ग्राम मझिगंवा का तत्कालीन पटवारी था। उसको आखिरी बार जमीनों के दस्तावेज सुदेश कुमार गौतम (Sudesh Kumar Gautam) ने सौंपे थे। प्रकरण में तहसीलदार उपेंद्र सिंह चौहान (Upendra Singh Chauhan) ने जांच की थी। जिन जमीनों को पट्टा बताया गया उसे सरकार ने अगस्त, 2011 में ही सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में चढ़ाने के आदेश जारी किए थे।

इनके खिलाफ दर्ज की गई है एफआईआर

सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज की गई जमीन हर पांच साल में अपडेट की जाती है। लेकिन, आरोपियों ने ऐसा करने की बजाय सरकारी दस्तावेजों में हेर—फेर की। ऐसा काम आरोपी 1998 से 2008 तक करते रहे थे। यह पता चलने के बाद आरोपियों ने जिन जमीनों को ट्रांसफर किया था उसे बहाल करने के आदेश हुए थे। ग्राम मझिगंवा तहसील का प्रभारी मुनेंद्र प्रसाद मिश्रा सिंगरौली से पूर्व कठदहा और कर्री गांव की भी जमीन में भी इसी तरह फर्जीवाड़ा कर चुका था। ईओडब्ल्यू ने उसके अलावा तत्कालीन पटवारी सूर्यभान सिंह, मोहम्मद मुर्तजा, भगवान दास पटवा, अलाउद्दीन, प्रेमिया, सावित्री, कौलेसिया सिंह, मुस्तकीम, पारस नाथ, अंजू, नारायण सिंह, बृजलाल, रंगदेव, ऋषिकांत, जमाल उद्दीन, जाकिर हुसैन, अमृत लाल बैस, रामधारी सिंह, बिट्टी सिंह, कनीज, सविता गौड, कनीज, अभय राज पटवा, अशोक, सूर्यवली सिंह और मोहम्मद गुलाम को आरोपी बनाया है। रिकॉर्ड में इनमें कुछ पिता—पुत्र हैं। ईओडब्ल्यू की टीम इन सभी आरोपियों के रिकॉर्ड को खंगाल रही है। ताकि यह पता चल सके कि इनके नाम पर जमीन का कैसे अलॉटमेंट किया गया।

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