संपत्ति हथियाने के लिए बिजली के बिल का इस्तेमाल करके फर्जी तरीके से कर ली गई थी रजिस्ट्री, थानों की सीमा तय करने में पुलिस विभाग को लग गए छह महीने
भोपाल। टीटी नगर पुलिस ने जालसाजी (Bhopal Fraud Case) के एक मामले में प्रकरण दर्ज किया है। इस प्रकरण की शुरूआती जांच अवधपुरी थाना पुलिस ने की थी। मामला बिजली के बिल की मदद से संपत्ति को हथियाने से जुड़ा है। इस मामले में दो थानों की सीमाएं आमने—सामने आ रही थी। जिसे तय करने में पुलिस विभाग को पूरे छह महीने बीत गए।
टीटी नगर पुलिस के मुताबिक दुर्गेश विहार, नरेला शंकरी के नजदीक जेके रोड निवासी शंकरलाल ने इस मामले की 2016 में पुलिस के अफसरों से शिकायत (Bhopal Fraud Case) की थी। जिसकी जांच सबसे पहले अवधपुरी थाना पुलिस ने की थी। क्योंकि शंकर लाल का मकान अवधपुरी इलाके में खजूरीकला स्थित रोहतास नगर में बने शताक्षी गार्डन में था। इस संपत्ति को हथियाने के लिए पति—पत्नी ने मिलकर साजिश रचा था। जिसकी भनक लगने पर मामला पुलिस अफसरों के पास पहुंचा। शंकरलाल ने पुलिस को बताया कि आरोपी दीपा चौहान है। जिसने वल्लभ नगर के नजदीक बिजली विभाग में फर्जी दस्तावेज और हस्ताक्षर करके बिजली के बिल को अपने पति नीरज चौहान के नाम पर ट्रांसफर कराया। इसकी लिखित में सूचना वल्लभ नगर जोन में तैनात बिजली अफसरों को भी दी गई। संपत्ति हथियाने को लेकर एसडीएम कोर्ट में परिवाद लगा दिया गया है। जिसकी सुनवाई अभी भी जारी है।
प्रकरण की जांच पहले अवधपुरी थाना पुलिस ने की थी। लेकिन, थाना पुलिस ने रिपोर्ट में बताया कि दीपा चौहान, उसके पति नीरज चौहान और अन्य ने प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करा ली थी। यह रजिस्ट्री टीटी नगर थाना क्षेत्र के 12 दफ्तर में हुई थी। इसलिए जांच रिपोर्ट के साथ प्रतिवेदन टीटी नगर थाने को भेज दिया गया। पुलिस ने अब प्रकरण दर्ज कर लिया है लेकिन, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास
आरोपी दीपा चौहान, नीरज चौहान, गंजेन्द्र सिंह, हुकुम सिंह, एके तिवारी, रसीद बेग, नसीम बेग एवं अन्य के खिलाफ जालसाजी और दस्तावेजों की कूटरचना का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपी राजनीतिक रसूख (Political Pressure) रखते थे। इसलिए 2016 से हुई जांच में कोई भी पुलिस का अफसर निर्णय नहीं ले पा रहा था। इधर, शंकरलाल आरटीआई में सारी जानकारी जुटा भी रहा था। यह रिपोर्ट लेकर पिछले दिनों शंकरलाल डीआईजी सिटी इरशाद वली के पास पहुंचा। डीआईजी सिटी ने रिपोर्ट देखने के बाद मैदानी अफसरों को फटकार लगाते हुए एक सप्ताह के भीतर में एफआईआर के संदर्भ में सूचित करने के आदेश दिए थे।