Bhopal NGO Fraud: जीव सेवा संस्थान की 20 एकड़ जमीन बेचने में घोटाला

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Bhopal NGO Fraud: राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज दर्जनों पेड़ों को बिल्डर ने राजस्व अधिकारियों की मदद से गायब कराया, हवाला के जरिए ली गई करोड़ों रुपए की रकम, राजस्व और पंजीयक विभाग के आधा दर्जन अफसरों पर कार्रवाई की तलवार, स्कूल खोलने का आवेदन देकर अशासकीय संस्था ने अस्पताल बनाया

Bhopal NGO Fraud
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने करोड़ों रुपए के हुए घोटाले के मामले में जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है। यह मामला भोपाल (Bhopal NGO Fraud) शहर के गांधी नगर स्थित 30 एकड़ जमीन का है। यह 30 एकड़ जमीन अशासकीय संस्था जीव सेवा संस्थान को स्कूल खोलने के लिए आवंटित की गई थी। लेकिन, संस्था के कोषाध्यक्ष हीरो ज्ञानचंदानी ने बिल्डर रोशन चावला (Roshan Chawla)  के साथ मिलकर जमीन को बेच दिया। यह जमीन बिल्डर के अलावा दो अन्य व्यक्तियों ने खरीदी। जमीन बेचने से मिली रकम दस्तावेज में कम दिखाकर दूसरे रास्ते से पैसा लिया गया। अब संस्थान की जमीन पर अस्पताल का निर्माण चल रहा है। भोपाल ईओडब्ल्यू ने इस मामले में संस्था के अधिकारी, बिल्डर, राजस्व विभाग के अफसरों और पंजीयक शाखा के अधिकारियों को आरोपी बनाया है।

रास्ता मांगने के बहाने शुरु हुआ भ्रष्टाचार

ईओडब्ल्यू के अनुसार संस्था को गांधी नगर स्थित गोदरमउ के नजदीक 28 एकड़ से अधिक जमीन आवंटित की गई थी। यह आवंटन कांग्रेस सरकार में वर्ष 2001 में किया गया था। संस्थान ने हायर सेकेंड्री स्कूल निर्माण के लिए जमीन लिया था। इसी जमीन में से 10 एकड़ भूमि बिल्डर रोशन चावला को बेची गई। इसे बेचने के लिए दस्तावेज में भारी हेर—फेर किए गए। जमीन बेचने के लिए बताया गया कि वहां रास्ते के लिए जगह नहीं हैं। जबकि संस्थान को जब रजिस्ट्री की गई थी तब नक्शे में रास्ता दिखाया गया था। जमीन का सौदा रजिस्ट्री करते वक्त 13 लाख 10 हजार रुपए में दर्शाया गया। जबकि रेरा को सौंपे गए रिकॉर्ड में जमीन की कीमत 40 करोड़ रुपए बताई गई। रजिस्ट्री के वक्त जमीन की कीमत कम दर्शाकर स्टांप ड्यूटी की चोरी की गई। उस वक्त उप पंजीयक रश्मि सेन (Rashmi Sen)  थी।

ऐसे किया गया हवाला से भुगतान

रोशन चावला चावला एसोसिएट के नाम से कारोबार करते हैं। उन्होंने जब रजिस्ट्री कराई थी तब काफी पेड़ जमीन पर मौजूद थे। ऐसी अवस्था में स्टांप ड्यूटी ज्यादा वसूली जानी थी। लेकिन, उप पंजीयक रश्मि सेन ने इस बात को नजर अंदाज किया। इतना ही नहीं रजिस्ट्री के बाद पेड़ काटने के बदले में रोशन चावला ने भारी जुर्माना भी भुगतान किया। यहां यूकेलिप्टस के पेड़ लगे थे जो कि रजिस्ट्री करते वक्त लगे फोटो में दिखाई भी दे रहे हैं। लेकिन, उसको रिकॉर्ड में छुपाया गया। हीरो ज्ञानचंदानी (Hero Gyanchandani)  ने रोशन चावला को जमीन में से अपने मार्ग का इस्तेमाल करने की अनुमति दी। ऐसा करने के बदले में कोई पैसा नहीं लिया गया। इस बात की तस्दीक के लिए ईओडब्ल्यू ने राजस्व विभाग से दस्तावेज तलब किए थे। लेकिन, राजस्व विभाग के अफसरों ने कागजात नहीं दिए। शिकायत में आरोप है कि हीरो ज्ञानचंदानी को दो नंबर में पैसों का भुगतान हवाला के जरिए किए गया।

फेरा में फंसना तय

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भोपाल स्थित आर्थिक प्रकोष्ठ विंग मुख्यालय

हीरो ज्ञानचंदानी को विदेशों से अनुदान मिलता था। इसी अनुदान से संस्था ने जमीन खरीदी थी। लेकिन, संस्था ने रोशन चावला के अलावा गुजरात के सूरत शहर के अकानिल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रायवेट लिमिटेड के संचालक भरत कुमार दतवानी को पांच एकड़ जमीन बेच दी। इसी तरह लैंडमार्क कांटेक प्रायवेट लिमिटेड के संचालक महेश राजदेव को पांच एकड़ जमीन बेची। रोशन चावला ने डुप्लेक्स की कॉलोनी काट दी। वहीं दो अन्य कारोबारियों ने वहां दुकाने तान दी। इस डील को लेकर लेन—देन की राशि अभी सामने नहीं आई है। जमीन को लेकर तीन बार लैंड यूज भी बदला गया। यह बदलाव 2001, 2003 और 2020 में किए गए। हीरो ज्ञानचंदानी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने एफसीआरए नियमों के तहत अनुदान की राशि का ब्यौरा नहीं दिया। इस कारण उन पर फेरा नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जांच के बाद जीव सेवा संस्थान के कोषाध्यक्ष हीरो ज्ञानचंदानी, चावला एसोसिएट के रोशन चावला, उप पंजीयक रश्मि सेन, संस्थान केे अन्य पदाधिकारी, राजस्व विभाग के अफसरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।

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