Bhopal Property Fraud: आदिवासी किसान परिवार की जमीन दो लोगों को बेचने के एक मामले में सामने आया माफियाओं का बंदरबाट, दो सगे भाईयों और तीन दलालों के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज
भोपाल। मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज को कांग्रेस के शासन काल से ही जमीन आवंटित की जाती रही है। यह काम भाजपा की सरकार ने भी किया। इसके बावजूद गरीब आदिवासियों की कृषि भूमि को हथियाने का एक खेल भीतर ही भीतर चल रहा है। जिसमें एक बहुत बड़ा नेटवक पूरे मध्यप्रदेश में सक्रिय हैं। दलालों की मदद से चल रहे इस नेक्सस में करोड़ों रूपए का कमीशन खाया जा रहा है। यह बात हम यूं ही नहीं कर रहे। दरअसल, भोपाल (Bhopal Property Fraud) शहर के कोलार थाने में एक जालसाजी का प्रकरण दर्ज हुआ है। जिसकी एफआईआर में इस नेक्सस से जुड़ी एक बात सामने आई है। इसी एफआईआर में बताया गया है कि दलाल भू—राजस्व संहिता की एक धारा की आड़ में जमीन का सौदा करा रहे थे। इसी दौरान उन्होंने उसी जमीन का सौदा दूसरे व्यक्ति से करा दिया।
ऐसे बेची दूसरी पार्टी को जमीन
पहले से दर्ज है कई मामले
पुलिस को शशि शंकर शर्मा ने 23 अप्रैल, 2022 को आवेदन दिया था। जिसकी जांच के बाद तीन दलाल नारायण सिंह मीणा (Narayan Singh Meena) , भगवान सिंह, वचन सिंह, जमीन मालिक घनश्याम धुर्वे और जीतमल धुर्वे के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। इस मामले में कोशिया बाई की मौत हो चुकी है। वहीं जांच के दौरान पता चला है कि नारायण सिंह मीणा और भगवान सिंह (Bhagwan Singh) के खिलाफ कोलार (Bhopal Property Fraud) थाने में 1306/22 धारा 420/384/34 (जालसाजी, ब्लैकमेलिंग और एक से अधिक आरोपी का मामला) दर्ज है। इसके अलावा 469/21 धारा 420/506/34 जालसाजी, धमकाना और एक से अधिक आरोपी का केस दर्ज है। खबर है कि इन दोनों मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। शशि शंकर शर्मा ने अपने आवेदन में दावा किया है कि उन्हें भू—राजस्व संहिता की धारा 165—6— के तहत आदिवासी की जमीन को दूसरे व्यक्ति को बेचने के लिए छह महीने का समय लगता है। यह बोलकर दलालों ने मोहलत मांगी थी। इसी दौरान दलालों ने दूसरी पार्टी से सौदा कर लिया। इतना ही नहीं छह महीने बाद एग्रीमेंट और मूल अनुबंध गुम होने का झांसा देकर नई तारीख में अनुबंध बनाया गया। हालांकि उस वक्त कोशिया बाई नहीं थी। तब यह कहा गया कि उससे पॉवर आफ अटॉर्नी ले ली गई है।
दूसरी बार भी झांसा देकर रकम ऐंठ ली
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