Fisheries Company Scam Part-4: फिश फॉरच्यून ने किसानों को लूटने से पहले एग्रीमेंट में किया था रिसर्च

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Fisheries Company Scam Part-4:चैक बाउंस के अलावा आपराधिक मुकदमा दर्ज करने में हैं कई तरह के पेंच, हरियाणा सरकार से लेंगे मदद

Fisheries Company Scam Part-4
कंपनी की वेबसाइट से लिया गया चित्र

भोपाल। मध्य प्रदेश का नाम घोटालों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहा है। वह चाहे व्यापमं हो या ई—टेंडर सभी घोटालों में सुनियोजित योजना थी। कुछ इसी तरह की योजनाओं के साथ फिश फॉरच्यून प्रोड्यूस कंपनी (Fisheries Company Scam Part-4) ने किसानों को अपने जाल में फंसाया। भोले किसानों को यह पता नहीं था कि वह मछली को जाल में फंसाने की जगह वे खुद एमओयू करके एक साजिश में फंस रहे है। कंपनी ने घोटालों को अंजाम देने के लिए ही इस तरह का एमओयू बनाया था।

एमओयू और एग्रीमेंट की परिभाषा में अंतर

कंपनी का दफ्तर हरियाणा (Haryana) स्थित गुरुग्राम में है। कंपनी ने हरियाणा राज्य से ही नोटरी कराकर किसानों से एमओयू कराया था। जिस एमओयू में किसान हस्ताक्षर कर रहे थे उन्हें यह पता नहीं था कि बाद में राज्यों की सरहदें उनके इंसाफ में बाधा बनेगी। दरअसल, एमओयू उल्लंघन का मामला मध्य प्रदेश राज्य का नहीं बनता है। इसलिए लोगों को हरियाणा ही जाना पड़ेगा। यह तकनीकी पेंच जेब से साढ़े पांच लाख रुपए जाने के बाद किसानों को पता चला है। किसानों से एमओयू 20 महीने का किया गया है।

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हरियाणा सीएम से करेंगे मांग

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कंपनी की वेबसाइट से लिया गया चित्र

कंपनी ने एमओयू में 20 से अधिक बिंदु बनाए हैं। जिसमें कहा गया है कि कंपनी 30 हजार रुपए सुरक्षा निधि और 30 हजार रुपए तालाब की लीज का भुगतान करेगी। यानि हर महीने 60 हजार रुपए के हिसाब से 12 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। इसी लालच में आकर किसानों ने कंपनी को यह रकम दी थी। इस मामले में पीड़ित शांतनु खत्री (Shantanu Khatri) ने बताया कि एग्रीमेंट की परिभाषा और एमओयू की परिभाषा में अंतर है। यह बात उनके सामने भी आई है। इसलिए झांसे में आए किसानों का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) से मुलाकात करेगा। किसानों की मांग रहेगी कि वह हरियाणा के मुख्यमंत्री से चर्चा करके वहां कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरु कराए।

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किसानों को मनाने में जुटे मालिक

 

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कंपनी की वेबसाइट से लिया गया चित्र

हमने इस मामले में पहली कड़ी में भाजपा विधायक के नाम के साथ उनके फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। मध्य प्रदेश के सागर, रायसेन, विदिशा, भोपाल, बैतूल समेत कई जिलों के किसानों ने फिश फॉरच्यून कंपनी ने चूना लगाया है। इस कंपनी के सीएमडी बृजेन्द्र कश्यप (Brijendra Kashyap) और सीईओ विनय शर्मा है। इन दोनों अधिकारियों के फोन नंबर 0000000785 और 0000002721 अब बंद आ रहे हैं। विनय शर्मा (Vinay Sharma) पानीपत के रहने वाले हैं। जबकि बृजेन्द्र कश्यप मुरादाबाद में रहते हैं। इस कंपनी ने अनंत त्रिवेदी, भूपेन्द्र पटेल, योगेन्द्र राजपूत, स्वतंत्र सोनी, कपिल दुबे, विकास सिलावट, रोहित लोधी समेत सैंकड़ों किसानों को जालसाजी में फंसाया है। द क्राइम इंफो के पास ऐसे पीड़ितों की संख्या 200 से अधिक है। जालसाज कंपनी के संचालक अब गुपचुप तरीके से किसानों को मना रहे हैं।

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यह है पूरा मामला

 

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भोपाल में मानसरोवर स्थित देवेन्द्र जायसवाल की कंपनी जो पहले खुद नौकरी करते थे

द क्राइम इंफो ने दूसरी कड़ी में बताया था कि कैसे पहली कंपनी के कर्मचारियों ने दूसरी कंपनिया बनाकर फर्जीवाड़ा करना शुरु किया।  फिश फॉरच्यून कंपनी के खिलाफ मध्य प्रदेश के अलग—अलग छोटे—बडे समाचार पत्रों में करीब एक महीने से लगातार रिपोर्टिंग हो रही है। इसी कंपनी में कभी देवेन्द्र जायसवाल नौकरी करते थे। उन्होंने भी कंपनी की ही तर्ज पर मानसरोवर में एक नई दुकान ठगने की खोली है। यहां कमीशन कम देने को लेकर हुए विवाद में पिछले महीने मारपीट की भी घटना हो चुकी है। जिसके तीन केस एमपी नगर थाने में दर्ज किए गए हैं। इसी तर्ज पर काम कर रही कई अन्य कंपनियां खुल गई है। यह कंपनियां चिटफंड की तर्ज पर काम कर रही है। द क्राइम इंफो ने तीसरी कड़ी में नई कंपनियों में हुए गदर के संबंध में बताया था। हमारी यह मुहिम आगे भी जारी रहेगी।

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