MP Loan Scam: जांच के बाद दबी हुई थी एसआईटी की रिपोर्ट, उप चुनाव से पहले ईओडब्ल्यू को एफआईआर की आई याद
भोपाल। मध्य प्रदेश में कई तरह के घोटाले सामने आते रहे हैं। जिस वक्त प्रदेश में व्यापमं घोटाला उजागर हुआ था। उसी वक्त एक और एमपी लोन घोटाला (MP Loan Scam) सामने आया था। इसमें कई रोचक तथ्य हैं जो सरकार की मंशा की कलई को भी खोलते हैं। मामले में एफआईआर आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (Economic Offense Wing) ने दर्ज कर ली है। लेकिन, नाम और उसका खुलासा अभी नहीं किया है। घोटाला मूल किसानों को कागजातों में दर्शाकर दूसरे को लोन (Morena Fake Farmer Loan Case) बांटने से जुड़ा है। यह घोटाला एक तहसील की एक सोसायटी का है जो दो करोड़ रुपए का है। इस एफआईआर को ईओडब्ल्यू (Bhopal EOW) ने लंबे अरसे से दबा रखा था।
चुनाव में इसलिए आई याद
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 12 अक्टूबर को धारा 420/409/467/468/471/120बी/13/ (1) (क) और 13 (2) (जालसाजी, गबन, दस्तावेजों की कूटरचना, मिथ्या दस्तावेज बनाना, साजिश के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। इस मुकदमे में आधा दर्जन से अधिक गंभीर धाराएं है लेकिन आरोपी एकमात्र बृजमोहन भदौरिया (Brijmohan Bhadouriya) है। आरोपी मुरैना स्थित तरैनी के सेवा सहकारी संस्था (Tareni Seva Sanstha Ghotala) का तत्कालीन शाखा प्रबंधक है। घटना वर्ष 2000 से 2010 के बीच अंजाम दिया गया था। घोटाला (MP Loan Ghotala) करीब दो करोड़ रुपए की राशि का है। इस मामले में फिलहाल आरोपी फरार है।
इसलिए ठंडे बस्ते में डाला
इस मामले का खुलासा मुरैना (Morena Scam) तरैनी सेवा सहकारी संस्था के ही सदस्य राजेन्द्र सिंह ने किया था। राजेन्द्र सिंह (Rajendra Singh) पेशे से किसान भी है। उसने शिकायत पहले कई एजेंसियों से की थी। लेकिन, जब निराकरण नहीं हुआ तो राजेन्द्र सिंह ग्वालियर स्थित हाईकोर्ट बेैंच (Gwalior High Court Bench Order) पहुंच गए। जहां से हाईकोर्ट ने मामले को संगीन मानते हुए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने करीब 25 किसानों के विधिवत बयान दर्ज किए। लेकिन, एसआईटी (Morena SIT Scam) की रिपोर्ट को आधार बनाकर एफआईआर दर्ज करने की बजाय ईओडब्ल्यू ने उसको ठंडे बस्ते में डाल दिया।
आरोपी के नाम का खुलासा नहीं
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में मार्च, 2013 में प्राथमिकी दर्ज कर ली थी। लेकिन, कोई एक्शन नहीं लिया। आरोपी बृजमोहन भदौरिया (Brijmohan Bhadouriya) बताकर बाकी जिम्मेदारियों से ईओडब्ल्यू ने पल्ला झाड़ लिया। जबकि एसआईटी की रिपोर्ट में साफ—साफ कहा गया है कि इसमें बैंक कर्मचारियों और अफसरों की भी भूमिका संदिग्ध हैं। इसके बावजूद ईओडब्ल्यू ने एफआईआर में कोई नाम का खुलासा नहीं किया। घोटाले (Morena Kisan Loan Ghotala) में यह साबित हो चुका है कि फर्जी लोन घोटाला करीब एक करोड़, 94 लाखा, 44 हजार रुपए से अधिक का है।
ऐसे पकड़ाया फर्जीवाड़ा
इस मामले में किसान राजेन्द्र सिंह (Rajendra Singh) के बयान दर्ज किए गए। उसने बताया कि वह हस्ताक्षर करता है। लेकिन, उसके नाम पर जो लोन जारी हुआ है उसमें अंगूठा लगाया गया है। इसी तरह रामनिवास शर्मा (Ramnivas Sharma) ने बताया कि उसके चैक पर हस्ताक्षर हैं। जबकि शपथ पत्र में अंगूठा लगाया गया है। ऐसे ही सैंकड़ों किसानों के नाम पर लोन बांटकर इस घोटाले (Morena Kisan Loan Ghotala) को अंजाम दिया गया।
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