Bhopal Private Hospital Negligence: पीलिया मरीज की मेडविन अस्पताल में हुई मौत के मामले में एक साल बाद दर्ज किया गया प्रकरण, तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई कार्रवाई
भोपाल। राजधानी भोपाल के मेडविन अस्पताल में हुई एक युवती की मौत के मामले में पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है। यह घटना भोपाल (Bhopal Private Hospital Negligence) शहर के निशातपुरा थाना क्षेत्र की है। इस मामले में आरोपी अस्पताल के दो संचालकों को बनाया गया है। पुलिस ने यह एफआईआर मेडिकल बोर्ड की कमेटी की रिपोर्ट पर दर्ज की है। जिसमें बताया गया है कि जिन बातों का इलाज अस्पताल को करना था वह हुआ ही नहीं है। इसके बाद पुलिस ने परिजनों के बयान दर्ज कर यह प्रकरण दर्ज किया।
यह था पूरा मामला
निशातपुरा पुलिस मर्ग 01/22 दर्ज कर मामले की जांच कर रही थी। यह घटना 19 जनवरी, 2022 को हुई थी। इसी जांच के दौरान मृतका अंकिता मालवीय (Ankita Malviya) के परिजनों अनिल मालवीय, तरूण कुमार, सुनील मालवीय और पिता गरीब दास मालवीय के बयान दर्ज किए गए। अंकिता मालवीय को पीलिया और मोतीझरा के लक्षण दिखने पर करोंद स्थित मेडविन अस्पताल (Medwin Hospital) में भर्ती कराया गया था। अस्पताल के संचालक डॉक्टर ताबिश (Dr Tabish ) और डॉक्टर दिलशाद (Dr Dilshad) है। अंकिता का पीएम पीपुल्स अस्पताल (People Hospital) में किया गया था। (यहां पढ़े पिछले साल हुए पूरे घटनाक्रम की जानकारी) डॉक्टर रंजन पाराशर (Dr Ranjan Parashar) कोई ठोस वजह मौत की नहीं बता सके थे। इस कारण अंकिता मालवीय का बिसरा और हार्ट सुरक्षित रखकर हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच कराई गई। बिसरा की जांच भदभदा स्थित एफएसएल लैब में हुई। इसमें किसी तरह के जहर नहीं मिले। जबकि हिस्टोपैथोलॉजिकल रिपोर्ट में बताया गया कि ब्ल्ड ट्रांसफ्यूजन के रिएक्शन से मौत हुई है।
डॉक्टरों ने रिपोर्ट में इस बात का किया खुलासा
निशातपुरा थाना पुलिस ने अंकिता मालवीय की मौत का मामला मेडिकल कौंसिल के संचालक को भेजा। जिसके बाद प्रकरण रीवा में स्थित प्रोफेसर श्याम शाह (Shyam Shah) को परीक्षण के लिए भेजा गया। उन्होंने तीन सदस्यीय टीम डॉक्टर पीके बघेल, डॉक्टर हर्षवर्धन खुशालराव खरतडे और डॉक्टर संतोष सिंह की बनाई। टीम की अध्यक्षता डॉक्टर पीके बघेल (Dr PK Baghel) कर रहे थे। टीम (Bhopal Private Hospital Negligence) ने बताया कि अंकिता मालवीय को एनीमिया, एन्ट्रिक फीवर था। जबकि अस्पताल के पर्चे में इस रोग के उपचार की दवा दी ही नहीं गई। खून का परीक्षण सही था लेकिन उसे चढ़ाने और बंद करने की जानकारी मेडविन अस्पताल के रिकॉर्ड में नहीं मिली। मतलब साफ है कि अंकिता मालवीय की निगरानी सही तरीके से नहीं की गई थी। उसको खून चढ़ाने के बाद हुए रिएक्शन का इलाज शुरू ही नहीं किया गया। निशातपुरा पुलिस ने इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर 05 जनवरी को 19/23 धारा 304—ए लापरवाही से कार्य के चलते हुई मौत का मामला दर्ज कर लिया। इस मामले में आरोपी डॉक्टर ताबिश और डॉक्टर दिलशाद को बनाया गया है। (यह बोलकर आरोपी टाल रहे थे पूरा मामला) दोनों आरोपियों के खिलाफ मेडिकल कौंसिल से रिपोर्ट मांगकर चिकित्सीय नियमनों की अवहेलना की धारा अलग से जोड़ी जाएगी।
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