मुख्यमंत्री को भेजी गई थी नोटशीट, इसी नोटशीट के वायरल होने के बाद प्रदेश की राजनीति में मचा था बवाल, तीन साल पहले लगा था उज्जैन में सिंहस्थ
भोपाल। मध्यप्रदेश में सिंहस्थ घोटाले (Simhastha Scam) की एक नोटशीट पिछले दिनों वायरल हुई थी। इस नोटशीट के बाद ही वन मंत्री उमंग सिंगार ने मोर्चा खोल दिया था। इसके बाद कांग्रेस के भीतर राजनीतिक बयानबाजी (Madhya Pradesh Political Debate) शुरू हो गई थी। यह अभी थमी ही थी कि ईओडब्ल्यू ने सिंहस्थ घोटाले (Simhastha Scam) में प्राथमिकी दर्ज कर ली।
इन मामलों में प्राथमिकी
ऐसा नहीं है कि सिंहस्थ घोटाले (Simhastha Scam) पर पहली बार दंगल हो रहा हो। इससे पहले भी प्राथमिकी उज्जैन यूनिट पहले दर्ज कर चुकी है। लेकिन, ताजा और बड़ा मामला अभी इसलिए है क्योंकि ईओडब्ल्यू (EOW) ने एक नहीं बल्कि 6 प्राथमिकी दर्ज की है। इसकी जांच के बाद ईओडब्ल्यू एफआईआर दर्ज करेगा। जानकारी के अनुसार यह करीब छह विभागों से जुड़ा मामला है। जिसमें पीएचई, नगर निगम, अजंता वायर एंड फेब्रिकेशन, समेत अन्य हैं। दो हजार एलईडी लाइट साढ़े तीन करोड़ रुपए में खरीदी गई थी। लेकिन, सप्लाई सिंहस्थ खत्म होने के बाद भी की जाती रही। इसी तरह 17 करोड़ रुपए के ठेके पर भी बंदरबाट (Simhastha Scam) करने के आरोप लगे हैं। पानी के मटके, शौचालय निर्माण, टंकी समेत कई अन्य सामग्रियों में अनियमितता की गई।
नया नहीं पर ताजा क्या
ईओडब्ल्यू ने 6 प्राथमिकी दर्ज की है। इससे साफ है कि जांच भी तेज होगी। दरअसल, सरकार इस घोटाले को उजागर करने में ज्यादा रूचि ले रही है। इसकी मदद से वह अपनी राजनीतिक छवि सुधारना चाहती है। सूत्रों के अनुसार यह शुरूआत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खेमे से की गई थी। कार्रवाई करने के लिए नगरीय विकास मंत्री जयवद्धर्न सिंह ने नोटशीट भी मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखी थी। यह नोटशीट सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। जिसके बाद वन मंत्री उमंग सिंगार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ मुखर होकर सामने आ गए थे। उन्होंने साफ—साफ कहा था कि सरकार में बाहरी नेताओं का हस्तक्षेप ज्यादा हो रहा है। सिंगार के बंगले के बाहर पुतला जलाने से लेकर सोशल मीडिया पर जमकर घमासान मचा। इस मुद्दे की आड़ में कांग्रेस का एक गुट अपने हित साधना चाहता था। यह हित आगामी नगरीय निकाय चुनाव में अपने व्यक्ति को सर्वाधिक टिकट दिलाने से जोड़कर देखा जा रहा है।