MP Employee Strike News: अस्थायी, दैवेभो कर्मचारियों समेत आधा दर्जन मांगों को लेकर हड़ताल का ऐलान

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MP Employee Strike News: पिछले चुनाव से पहले की गई घोषणा को ही भूल गई सरकार, एमपी कर्मचारी मंच खुलकर विरोध में उतरा, विधानसभा सत्र के दौरान कर्मचारियों का होगा राजधानी में जंगी प्रदर्शन, एक लाख भर्ती में विभाग के पुराने कर्मचारियों को हाशिए पर रखने को मुद्दा नहीं बना पाई कांग्रेस

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पत्रकावार्ता को संबोधित करते हुए कर्मचारी नेता अशोक पान्डे।

भोपाल। मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है। इसलिए भाजपा की तरफ से विपक्ष के हर संभावित मुद्दों की हवा निकालने में शिवराज सिंह चौहान सरकार कामयाब रही है। राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी बेरोजगारी को मुद्दा बना रही है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की टीम इस विषय को उठाने में नाकामयाब रही। हालांकि मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच (MP Employee Strike News) के बैनर तले इस विषय पर जरूर प्रयास शुरू कर दिया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में मंच ने 22 दिसंबर को एक दिनी हड़ताल का ऐलान कर दिया है। इसको अब तक दूसरे मंचों का समर्थन मिला है अथवा नहीं यह साफ नहीं हो सका है। लेकिन, विधानसभा सत्र के दौरान कर्मचारियों के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति जरूर बनाई जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया गया हवाला

इसी संबंध में एमपी कर्मचारी मंच ने पत्रकार वार्ता आयोजित की। जिसमें बताया गया कि प्रदेश भर के शासकीय विभागों में कार्यरत लाखों अनियमित कर्मचारी, स्थायीकर्मी अपनी 6 सूत्रीय मांगों के समर्थन में 22 दिसम्बर को एक दिन का अवकाश लेकर विधानसभा सत्र के दौरान हड़ताल पर रहेंगे। इसी दिन पूरे प्रदेश के कर्मचारी भोपाल पहुँचकर चिनार पार्क में जमा होंगे। इसके बाद विशाल धरना देते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौपेंगे। मप्र कर्मचारी मंच के प्रान्ताध्यक्ष अशोक पाण्डेय (Ashoh Pandey) ने बताया कि सरकार शासकीय, अर्द्धशासकीय विभागों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों, स्थायी कर्मियों, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 10 साल की सेवा पूर्ण करने के बाद भी नियमित नहीं कर रही है। बल्कि अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण के अधिकारों का हनन करके वर्तमान में शासकीय विभागों में रिक्त एक लाख पदों पर सीधी भर्ती कर रही है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने उमादेवी विरूद्ध कर्नाटक सरकार के मामले में 10 अप्रैल, 2006 को निर्णय दिया है कि शासकीय विभागों में रिक्त पदों पर 10 साल की सेवा पूर्ण कर चुके अनियमित कर्मचारियों, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया जाए। उसके बावजूद सीधी भर्ती करने का मप्र कर्मचारी मंच विरोध कर रहा है।

अफसरों ने मुख्यमंत्री को नहीं बताया पुराना आदेश

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ग्राफिक डिजाइन टीसीआई।

कर्मचारी मंच इससे पहले 13 दिसंबर को प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को ज्ञापन सौंप चुका था। जिसमें सीधी भर्ती पर रोक लगाने की मांग की थी। इसकी बजाय एमपी के समस्त विभागों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों (MP Employee Strike News) को नियमित करने की सलाह मंच ने दी थी। इससे पहले संविदा हैंडपंप कर्मचारियों ने भी राज्य मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव (Brajendra Singh Yadav) का बंगला घेरा था। जिसमें कर्मचारियों का दावा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) की पहल पर जून, 2018 में एक आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया था। जिसमें सभी विभागों के प्रमुख सचिव और विभाग अध्यक्षों से कहा गया था कि संविदा में कार्यरत कर्मचारियों के जरिए भर्ती की जाए। इस आदेश को सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर भूल गए। वहीं पूरे प्रदेश में अब सीधी भर्ती का अभियान चला दिया गया है।

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इन मांगों को लेकर की जा रही हड़ताल

अशोक पांडे ने बताया कि पहली मांग प्रदेश के शासकीय विभागों के रिक्त एक लाख पदों पर अनियमित कर्मचारियों, स्थायीकर्मियों, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने की है। वहीं सीधी भर्ती पर रोक लगाने की मांग के साथ यह मांग उठाई जा रही है। दूसरी मांग वर्ष 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों, स्थायीकर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए, एनपीएस वापस ली जाए। प्रदेश के स्थायी कर्मियों को छठवाँ वेतन जब से लागू हुआ है, तब से छठवें वेतनमान का लाभ दिया जाए और वर्ष 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ एरियर सहित दिया जाए। चौथी मांग में प्रदेश के दैवेभो को वर्ष 2004 से नियमित न्यूनतम वेतनमान का लाभ एरियर सहित दिया जाए। प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों स्थायीकर्मियों, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों, अंशकालीन कर्मचारियो को अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ दिया जाए। इसके अलावा अंतिम मांग प्रदेश के समस्त विभागों के अंशकालीन कर्मचारियों, वन सुरक्षा श्रमिकों को कलेक्टर दर का न्यूनतम वेतनमान दिया जाए तथा स्थायी वर्गीकृत किया जाए।

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