Bhopal Cyber Fraud: सायबर पुलिस ने छह घंटे बाद उद्योगपति को डिजिटल अरेस्ट से कराया था मुक्त, पड़ोसी की मदद से एडीजी लॉ एंड ऑर्डर तक पहुंचा था मामला, ठगी का शिकार होने से भी बचाया
भोपाल। प्रदेश का यह पहला मामला है, जिसमें भारतीय मूल के दुबई के एक कारोबारी को सायबर पुलिस (Bhopal Cyber Fraud) ने छह घंटे तक अरेस्ट रहने के बाद मुक्त कराकर ठगी का शिकार होने से बचाया। इस मामले में पुलिस के साथ ही उद्यमी की जागरुकता काम कर गई। दरअसल, भोपाल में डिजीटल अरेस्ट यानी फर्जी फोन कॉल पर धोखाधड़ी, ब्लैकमेल और रुपये ऐंठने का मामला सामने आया। भोपाल में इस तरह के करीब दो दर्जन मामले दर्ज हो चुके हैं।
दोस्त पहुंचे तो शक हुआ
सायबर पुलिस (Cyber Police) के मुताबिक अरेरा कालोनी (Arera Colony) निवासी विवेक ओबेरॉय (Vivek Oberoi) दुबई में कापोरेट सेक्टर के उद्यमी हैं। वे दीपावली के त्यौहार के चलते भोपाल आए थे। शनिवार दोपहर वे जब घर अकेले थे। तभी करीब एक बजे उनके मोबाइल पर एक फोन आया था। फोन करने वाले खुद को ट्राई लीगल सेल का अफसर बताते हुए उनसे बात की और इसके बाद उसने दो और लोगों से बात कराई। इस दौरान उन्हें स्काईप वीडियो कॉल के माध्यम से उनसे बात की जा रही थी। जिन दो और लोगों से उनकी बात कराई उन्होंने खुद को मुबंई सायबर क्राइम का सब इंस्पेक्टर विक्रम सिंह (Vikram Singh) और सीबीआई डीसीपी मनेश कलवानिया (Manesh Kalwania) बताया था। बात करते समय दोनों ने पुलिस की ड्रेस पहनी थी और पुलिस दफ्तर का पूरा दृश्य बना रखा था। जालसाझों ने इस दौरान उन्हें आधार कार्ड का उपयोग करके विभिन्न राज्यों में फर्जी बैंक खाते खुलवाने के नाम पर धमकाते हुए डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) कर लिया था। इस दौरान उनसे उनकी तथा परिवार की निजी जानकारियां बैंकों के बारे में पूरा विवरण पूछा गया। वह न बताने पर गिरफ्तार करने की धमकी भी दी गई। ऐसा करते हुए करीब छह घंटे तक वे डिजिटल अरेस्ट रहे। इस दौरान उनके एक पड़ोसी ने कई बार फोन लगाया।लेकिन उनकी बात नहीं हो पा रही थी, उनके घर पहुंच गए। पता किया घर पर काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया ओबेरॉय कमरा अंदर से बंद किए हैं। उनसे सीबीआई वाले मनी लांड्रिंग पर पूछताछ कर रहे हैं। पड़ोसी समझ गए कि उन्हें सायबर जालसाजों ने फंसाया है। इसके बाद सूचना राज्य सायबर पुलिस को दी। जिसके बाद मौके पर उपनिरीक्षक सचिन यादव (Sachin Yadav) अपने एक साथी के साथ पहुंच गए। जबरन उनसे दरवाजा खुलवाया और उन्हें सायबर ठगों के जाल से बाहर निकालकर समझाया। तब उन्हें समझ आया कि वे ठगी का शिकार होने से बच गए हैं। उनका कहना था कि वे बहुत डर गए थे। बचने के लिए वे एक करोड़ तक की राशि देने तैयार थे। ओबेरॉय के मुताबिक उनकी दिल्ली की रात आठ बजे की फ्लाइट में टिकट बुक थी।लेकिन डिजिटल गिरफ्तारी के बाद वे उसे कैंसिल कराने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बचा लिया। वे रात में ही दिल्ली रवाना हो गए। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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