MP Environment News: मोदी जी, जैसे के लिए तैसे की नीति पर काम करो

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MP Environment News: अमेरिका को बेड़ियों का जवाब देने गैस पीड़ित संगठन ने दिया सुझाव, परीक्षण में ही 80 हजार लीटर डीजल चला है तो यह पूरे रासायनिक कचरे को नष्ट करने में 30 गुना होगा, केंद्र सरकार से अपील करते हुए यूका कचरे को अमेरिका भेजने की मांग दोहराई

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गैस पीड़ित संगठनों की तरफ से आयोजित पत्रकारवार्ता में मीडिया को जानकारी देते हुए संगठन के पदाधिकारी। चित्र गैस पीड़ित संगठन की तरफ से जारी।

भोपाल। अमेरिका तीन बार में भारत के सैंकड़ों नागरिकों को बेड़ियां बांधकर पहुंचा चुका है। जिसके चलते भारतीय नागरिकों में उस चित्र और वीडियो को लेकर काफी गुस्सा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  अमेरिका यात्रा पर भी गए थे। लेकिन, वहां बेडियां बांधकर पहुंचाने के आरोपों को लेकर वे कुछ नहीं बोल सके। इधर, अब भोपाल गैस पीड़ितों (MP Environment News) के लिए काम करने वाले संगठन ने मांग की है कि यूनियन कार्बाइड का रासायनिक कचरा भोपाल से अमेरिका भेजा जाए। जिससे अमेरिका को कूटनीतिक लिहाज से सही जवाब दिया जा सकता है। गैस पीड़ित संगठनों से जुड़े सामाजिक संगठनों ने पीथमपुर भेजे जा रहे कचरे को लेकर भी महत्वपूर्ण खुलासा किया है।

तमिलनाडू मॉडल को अपनाने की अपील

भोपाल से पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) के 337 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को भेजा गया है। इस बात को लेकर यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के चार संगठनों के नेताओं ने सरकार से पर्यावरणीय क्षति से बचने एक कानूनी रास्ता सुझाया। उन्होंने दस्तावेज़ साझा करते हुए बताया दिसंबर, 2024 में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल संरक्षण अधिनियम, 1974 के कई उल्लंघनों के लिए पीथमपुर वेस्ट मैनेजमेंट को कारण बताओ नोटिस थमाया था। इसमें पता चला है कि यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे के दहन के दौरान अत्यधिक मात्रा में डीजल जलने और उसके बाद उत्पन्न होने वाली खतरनाक राख की अत्यधिक मात्रा चिंता पैदा करती है। पीथमपुर और आस-पास क्षेत्रों के निवासियों की वाजिब चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, संगठनों ने सरकार को खतरनाक कचरे को संयुक्त राज्य अमेरिका भेजने की व्यवस्था करने की सलाह दी। उन्होंने बताया 2003 में तमिलनाडू के कोडाइकनाल में यूनिलीवर थर्मामीटर संयंत्र से कचरे के साथ किया गया था।

इतनी भारी मात्रा में निकलेगा रासायनिक कचरा

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष और गोल्डमैन पुरस्कार से सम्मानित रशीदा बी (Rashida Bee) ने कहा सरकारी दस्तावेजों से पता चलता है कि जब 2015 में यूनियन कार्बाइड (MP Environment News) से 10 टन खतरनाक कचरा जलाया गया था। इसमें लगभग 80 हजार लीटर डीजल का उपयोग किया गया था। यह 2010-2012 तक किसी अन्य स्रोत से खतरनाक कचरे के लिए उपयोग किए गए डीजल से 30 गुना अधिक था। अत्यधिक मात्रा में डीजल जलाने से न केवल गंभीर प्रदूषण होगा, बल्कि इसके वजह से भस्मक से निकलने वाली धुएँ में खतरनाक डाइऑक्सिन और फ्यूरन्स के स्तर की सही जानकारी नहीं मिल पाएगी। पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जारी एक दस्तावेज़ के हवाले से, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव (Balkrishna Namdev) ने बताया इससे साफ है कि पीथमपुर के संयंत्र में यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को जलाने से 900 टन से अधिक राख बनने की गुंजाइश है। इसमें भारी मात्रा में भारी धातुएं होंगी जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। पीथमपुर संयन्त्र के संचालकों ने अपने लैंडफिल में मोटी पन्नियों के ज़रिए राख की इस भारी मात्रा को सुरक्षित करने की योजना बनाई है। इस बात की पूरी आशंका है कि इन भारी धातुओं के कारण संयंत्र के आसपास भूजल में ज़हरीला प्रदूषण हो सकता है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नहीं दे रहा इस बात की जानकारी

उन्होंने बताया कि पीथमपुर बचाओ समिति की हालिया भूजल जाँच रिपोर्ट में डाइक्लोरोबेजीन और ट्राइक्लोरोबेंजीन जैसे ज़हरीले रसायनों की उपस्थिति बताई गयी है और यही दोनों  रसायन भोपाल के प्रदूषित भूजल में भी पाए गए हैं। भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा (Rachna Dhingra)  ने बताया लैंडफिल से रिसाव पहले से ही संयन्त्र के आसपास भूजल को प्रदूषित कर रहा था। अगस्त और दिसंबर 2024 की ये रिपोर्टें यह बताती हैं कि संयन्त्र में “स्टॉर्म ड्रेन, सम्प और सर्कुलेटरी सिस्टम” जैसी वैधानिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव है। यह एक तथ्य है कि पीथमपुर का संयन्त्र यूनियन कार्बाइड (MP Environment News) के कचरे के निष्पादन के लिए तैयार है या नहीं इस पर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से अंतिम रिपोर्ट आज तक अनुपलब्ध है। नवाब खान ने यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को अमेरिका भेजने की जोरदार वकालत की। उन्होंने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां यूनिलीवर को लगभग 300 टन खतरनाक कचरे को कोडाइकनाल से न्यूयॉर्क ले जाना पड़ा था। जिसे एक क्लोज़्ड लूप संयंत्र  में सुरक्षित रूप से निपटाया गया। पीथमपुर में स्लो मोशन भोपाल बनाने के बजाय, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तमिलनाडु के बोर्ड की स्थापित मिसाल का पालन क्यों नहीं करता है। “अगर अमेरिकी सरकार हमारे नागरिकों को बेड़ियों में जकड़ कर वापस भेज सकती है, तो क्या हमारी सरकार कानूनी रूप से वैध रास्ता अपनाकर यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा अमेरिका नहीं भेज सकती।

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