Bhopal News: मां—बेटी को पीटने के मामले में पुलिस ने दर्ज ही नहीं की एफआईआर, डायल—100 के कार्यालय में जॉब करता है हमला करने वाली महिला का पति, सोशल मीडिया में वायरल हुआ वीडियो
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई
भोपाल। महिला हिंसा और पॉक्सो एक्ट को लेकर पुलिस विभाग के मुखिया कैलाश मकवाना के मैदानी अफसरों को साफ संदेश है कि कौताही न बरती जाए। इसके बावजूद एक नाबालिग को उसकी पड़ोसी महिला और उसके परिजनों ने पीट दिया। यह घटना भोपाल (Bhopal News) शहर के रातीबड़ थाना क्षेत्र में हुई। पीड़ित परिवार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने भी पहुंचा। लेकिन, पुलिस ने एनसीआर की कार्रवाई यानि पुलिस अहस्तक्षेप योग्य अपराध बताकर पीड़ित महिला और उसकी बेटी को भगा दिया। अब इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है।
नाबालिग के साथ भी की गई मारपीट
सूत्रों के अनुसार यह घटना नीलकंठ कॉलोनी (Neelkanth Colony) में हुई है। यहां नेहरु नगर (Nehru nagar) में रहने वाले एक व्यक्ति का मकान है। जिसमें कई किराएदार रहते हैं। उनमें से एक महिला तीन बच्चों के साथ रहती है। उसके पति के साथ तीन साल से घरेलू कलह चल रहा है। जिस कारण वह रियल स्टेट सेक्टर में काम करते हुए परिवार को पाल रही है। बड़ी बेटी कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा है जो सीएम राइज स्कूल में पढ़ती है। घटना 07 मार्च को हुई थी। पीड़ित महिला जहां रहती है वहां मोबाइल टॉवर की दिक्कत है। इसलिए पीड़िता की बेटी अपने घर की छत पर आकर बातचीत कर रही थी। तभी उसके पड़ोस में रहने वाली महिला ने गंदा पानी फेंक दिया जो छात्रा पर आया। उसने विरोध किया तो उसके साथ अभद्र भाषा में गाली—गलौज करते हुए धमकाया गया। यह बात उसने मां के काम से लौटकर आने पर बताई। जिसके बाद मां पहुंची तो वह महिला उस वक्त नहीं मिली। थोड़ी देर बाद महिला, उसका पति, बेटा—बहू निकलकर उसके घर आ गए। सभी मिलकर पीड़ित महिला और उसके बच्चों को धमकाने लगे। उसके साथ धक्कामुक्की भी की गई। जिसका वीडियो (Video) उसकी बेटी ने भी बनाया। यह पूरा मामला उसी दिन रातीबड़ (Ratibarh) थाने में भी पहुंचा। लेकिन, पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की बजाय पीड़ित परिवार को भगा दिया। जबकि मामले में महिला से हुई हिंसा और नाबालिग के साथ की गई मारपीट से जुड़ा था। पुलिस सूत्रों की माने तो आरोपी महिला का पति डायल—100 (Dial—100) कार्यालय में जॉब करता है। इसलिए उसके पक्ष में अफसरों की तरफ से कॉल आया था। जिस कारण एफआईआर दर्ज करने की बजाय पुलिस ने एनसीआर काट दिया।
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