One Nation One Election: देश में चार बार चुनाव आयोग एक साथ चुनाव करा चुका: रावत

Share

One Nation One Election: इले​क्शन कमीशन को भी इनोवेटिव होने की जरूरत, 1970 से अब तक केवल रिपोर्ट बनाने और डिबेट करने तक सीमित रह गया बदलाव, राजनीतिक दलों के रोजगार बंद होने के खतरे की आशंका के चलते टल रहा फैसला

One Nation One Election
माधवराव सप्रे संग्रहालय में आयोजित विमर्श एक देश—एक चुनाव के अवसर पर —दाहिने से प्रथम— सम्मानित सागर के पत्रकार रजनीश जैन। पुरस्कार प्रदान करते हुए क्रमश: वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत, पदमश्री पत्रकार विजयदत्त श्रीधर। चित्र माधवराव सप्रे संग्रहालय की तरफ से जारी।

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने पहले कार्यकाल के बाद एक देश—एक चुनाव (One Nation One Election) पर पहल की थी। हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ। यह कोशिश 1970 में दिनेश गोस्वामी रिपोर्ट के बाद से चल रही है। उक्त जानकारी पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत (EX ECI OP Rawat) ने दी। वे माधवराव सप्रे संग्रहालय एवं शोध संस्थान में आयोजित विमर्श कार्यक्रम एक देश—एक चुनाव विषय को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम भुवनभूषण देवलिया स्मृति में आयोजित किया गया। इस अवसर पर पुस्तक विमोचन के साथ—साथ स्मारिका भी जारी की गई। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव (Mahesh Shrivatava), पदमश्री पत्रकार विजयदत्त श्रीधर समेत अन्य बुद्धिजीवी एवं पत्रकारिता जगत के जाने—माने चेहरे मौजूद थे।

आयोग की योग्यता को कोई चुनौती नहीं दे सकता

कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत थे। उन्होंने कहा कि एक देश—एक चुनाव के गंभीर विषय पर ऐसे ही विमर्श की आवश्यकता है। रावत ने विषय पर केंद्रीत कुछ उदाहरण पेश करते हुए राजनीतिक महत्वाकांक्षा के किस्से भी सुनाए। इसमें से एक किस्सा जीत के पूर्व शर्तों के साथ बांटे गए टोकन को लेकर था। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह देखते हुए हमें चुनाव आयोग को भी इनोवेटिव होना होगा। ओपी रावत ने कहा कि देश में जीएसटी कलेक्शन की रिपोर्ट पढ़ने को मिलती है। यह देखकर ऐसा लगता है कि लॉजिस्टिक जैसी समस्या का समाधान हो सकता है। लॉजिस्टिक से तात्पर्य बताते हुए उन्होंने कहा कि यह ईव्हीएम मशीन से जुड़ी है। अभी देश में 20 लाख ईव्हीएम मशीनों से चुनाव होते है। एक देश—एक चुनाव के लिए चुनाव आयोग को 50 लाख ईव्हीएम मशीनों की आवश्यकता है। रावत ने आयोग की योग्यता बताते हुए जानकारी दी कि 1952 से 1967 तक एक देश—एक चुनाव योजना के तहत निर्वाचन प्रणाली के कार्य करने का अनुभव प्राप्त है।

यह भी पढ़ें:   Bhopal Cyber Fraud: बिना ओटीपी जाने खाते से निकले एक लाख रुपए

देश की राजनीति में आजादी के दो दशक बाद बदलाव

One Nation One Election
विमर्श को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत। चित्र माधवराव सप्रे संग्रहालय की तरफ से जारी।

ओपी रावत ने बताया कि देश में निर्वाचन प्रणाली (Indian Election System) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से 2015 में जरूर पहल की गई है। उन्होंने बताया कि यह संभव है बस संविधान और लोक प्रतिनिधित्व कानून के कुछ अधिनियमों में संशोधन की आवश्यकता है। इसमें अविश्वास प्रस्ताव की बजाय विश्वास प्रस्ताव, बीच में भंग होने की अलग—अलग अवस्थाओं के बावजूद सिंक्रोनाइज तारीख तय करने की आवश्यकता होगी। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों से जुड़े रोजगार बंद हो जाते हैं। उन्होंने दक्षिण भारत के एक रोचक किस्से को बताते हुए कहा कि आज का मतदाता बहुत जागरूक है। उसे इस बात का अहसास है कि कौन सा व्यक्ति राज्य तो कौन सा व्यक्ति देश चलाने योग्य हैं। रावत ने अपने उद्बोधन की शुरूआत हाल ही में सु्प्रीम कोर्ट के दिए फैसले से शुरू की। उन्होंने कहा कि संविधान की धारा 324 में इस बात का उल्लेख है कि मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन कैसे किया जाएगा।

इमरजेंसी के बाद भारत के ही लोकतंत्र ने इंदिरा गांधी को सबक सिखाया

One Nation One Election
कार्यक्रम में उपस्थि​त बुद्धिजीवी जिन्होंने विषय की गंभीरता को लेकर अपनी उत्सुकता भी प्रदर्शित की। चित्र माधवराव सप्रे संग्रहालय की तरफ से जारी।

ओपी रावत ने कहा कि अगला चुनाव आयुक्त मार्च, 2024 में बनेगा। इससे पहले देश के नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। अब तक तीन राज्यों के परिणाम आ चुके हैं। इस दौरान प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लगने के कारण विकास, नीति कार्यक्रम बनाने की योजनाएं बंद हो जाती है। इससे एक आम मतदाता (One Nation One Election) को विकास की रफ्तार में पीछे होना पड़ता है। कार्यक्रम में संबोधित करते हुए पदमश्री विजयदत्त श्रीधर (Vijaydutt Shridhar) ने कहा कि ‘सबसे बुरे उम्मीदवारों में से कुछ बुरा चुनने में’ करोड़ों खर्च होते हैंं। यह जनता के टैक्स से होता है। श्रीधर ने डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव हारने के बाद अमेरिकी संसद की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र वहां जैसा कमजोर नहीं हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (EX PM Indira Gandhi) के इमरजेंसी के संदर्भ को बताते हुए कहा कि वे ताकतवर प्रधानमंत्री थी। पूर्व प्रधानमंत्री को ताकतवर कहने के पीछे प्रयोजन उन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्त कराने के फैसले से जोड़कर कहा। लेकिन, एक गलत फैसले लेने के कारण जनता ने उन्हें अपनी ताकत का अहसास कराया था। कार्यक्रम का समापन सागर के पत्रकार रजनीश जैन (Rajnish Jain) को भुवनभूषण देवलिया पत्रकारिता सम्मान के साथ हुआ। भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान के इस 11वें संस्करण में कई समाचार पत्रों की तरफ से शामिल संपादकों ने भी इस विमर्श पर अपनी—अपनी राय व्यक्त की।

यह भी पढ़ें:   Bhopal News: नवजात शिशु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

यह भी पढ़िएः तीन सौ रूपए का बिल जमा नहीं करने पर बिजली काटने के लिए आने वाला अमला, लेकिन करोड़ों रूपए के लोन पर खामोश सिस्टम और सरकार का कड़वा सच

YouTube Video

हमने लाल और हरी गोली का अंतर न समझाया होता तो अस्पताल में वह आती ही नहीं…समाचार के बाद अस्पतालों में दवा का इंतजाम तो हुआ। वीडियो को पूरा एक बार जरूर सुनना। शायद आपको हमारी गंभीर पत्रकारिता के जज्बे का अहसास हो सके।

खबर के लिए ऐसे जुड़े

One Nation One Election
भरोसेमंद सटीक जानकारी देने वाली न्यूज वेबसाइट

हमारी कोशिश है कि शोध परक खबरों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए कई विषयों पर कार्य जारी है। हम आपसे अपील करते हैं कि हमारी मुहिम को आवाज देने के लिए आपका साथ जरुरी है। हमारे www.thecrimeinfo.com के फेसबुक पेज और यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें। आप हमारे व्हाट्स एप्प न्यूज सेक्शन से जुड़ना चाहते हैं या फिर कोई घटना या समाचार की जानकारी देना चाहते हैं तो मोबाइल नंबर 7898656291 पर संपर्क कर सकते हैं।

Don`t copy text!