मध्यप्रदेश पुलिस के मुखिया वीके सिंह 12 दिनों के सरकारी दौरे पर सेंट टियागो के लिए हुए रवाना, अपना प्रभार किसी भी अफसर को नहीं सौंपा
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) पुलिस के डीजीपी (MP Police) वीके सिंह के बिना इस बार पुलिस स्मृति दिवस परेड समारोह (Police Memorial Day Parade Ceremony) का आयोजन होगा। दरअसल, डीजीपी इंटरपोल (The International Criminal Police Organization) की तरफ से आयोजित एक समारोह में भाग लेने चिली की राजधानी सेंट टियागो (Saint Tiago) रवाना हो गए हैं। उन्होंने जाने से पहले अपना प्रभार किसी भी अफसर को नहीं सौंपा हैं। हालांकि इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया पुलिस मुख्यालय (MP Police Headquarter) के अफसरों ने नहीं दी हैं। डीजीपी के अचानक अवकाश पर जाने की वास्तविक वजह thecrimeinfo.com ने पता लगाई तो विशेष जानकारी (TCI Exclusive) निकलकर सामने आई। क्या हैं इस दौरे का महत्व पूरी बारीकी से जानिए।
मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात
इंटरपोल की तरफ से सेंट टियागो शहर में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस आयोजन को लेकर कुछ महीने पहले दिल्ली में बैठक भी हुई थी। इसी आयोजन में भाग लेने के लिए डीजीपी वीके सिंह रवाना हुए हैं। डीजीपी 12 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक प्रदेश में नहीं रहेंगे। इसमें दूसरा मुख्य बिंदु यह है कि इस आयोजन में भाग लेने के लिए पांच अफसरों का चयन किया गया है। इसमें से तीन अफसर मध्यप्रदेश कैडर के हैं। सेंट टियागो में जाने वाले अफसरों में सीबीआई निदेशक (CBI Director) रिषी शुक्ला, डीजीपी वीके सिंह, सीबीआई में तैनात मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस साई मनोहर के अलावा दिल्ली पुलिस कमिश्नर (Delhi Police Commissioner) अमूल्य पटनायक और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (Police Research & Development Bureau) के एक अफसर शामिल हैं।
क्यों आयोजित हुई है बैठक
बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विजय माल्या (Vijay Malya) देश से भाग गया था। उस वक्त विपक्ष (Opposition) ने सरकार को काफी कोसा था। विपक्ष ने भारत के भगौड़े (Economic Defaulter) मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, विजय माल्या समेत कई अन्य नाम को लेकर घेराबंदी की थी। तभी से भारत भी चाहता था कि इंटरपोल अपनी नीतियों में और सुधार करें। यह बैठक इंटरपोल की नीतियों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए आयोजित की गई है। इसमें विश्व भर की अलग—अलग सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख भाग ले रहे हैं। इसमें आर्थिक, आपराधिक मामलों के भगौड़ों को पकड़ने और उसे संबंधित देश को सौंपने को लेकर तैयार नीतियों पर चर्चा होगी।
क्या होना है
विश्व की पुलिस एजेंसियों के बीच तालमेल बनाने के लिए इंटरपोल नाम से संस्था बनाई गई। इसका मुख्यालय फ्रांस (France) में हैं। यह संस्था दूसरे विश्व युद्ध (World War 2) के बाद 1946 से सक्रिय भूमिका अदा कर रही है। इंटरपोल संस्था की मदद से ही अलग—अलग देशों के लिए एक रंग में पिरोने की कल्पना शुरू की गई। इसमें वर्ष 2004 के पहले तक 6 रंग लाल, नीला, हरा, पीला, काला, नारंगी, बैंगनी रंग हुआ करता था। सातवां रंग यूएन के प्रतिबंधित मामलों से जुड़े होने वाले व्यक्ति के लिए हल्का आसमानी रंग 2004 में शामिल किया गया। इन रंगों से जुड़े व्यक्ति को पकड़कर जल्द कार्रवाई की जाए इसको लेकर चर्चा बैठक में होगी।
पहली बार पुलिस स्मृति परेड में यह भी होगा
डीजीपी वीके सिंह ने अपना प्रभार किसी को नहीं दिया है। उनकी जगह सरकारी निर्णय कौन लेगा यह साफ नहीं हो सका है। इधर, पुलिस स्मृति दिवस परेड समारोह 21 अक्टूबर को आयोजित होगा। पुलिस स्मृति परेड की शुरूआत 21 अक्टूबर, 1959 से शुरू की गई थी। प्रदेश में 60वें परेड समारोह की तैयारियां चल रही है। प्रदेश में यह पहली बार होगा जब पुलिस स्मृति दिवस परेड समारोह में डीजीपी नहीं होंगे। अब डीजीपी वीके सिंह की जगह अतिथि सत्कार की जिम्मेदारी स्पेशल डीजी एसएएफ (Special DG SAF) विजय यादव संभालेंगे। ऐसे हालात कुछ साल पहले भी बने थे। इससे पहले प्रदेश में राज्यपाल (Madhya Pradesh Governor) न होने के कारण मुख्य अतिथि को लेकर भी विचित्र स्थिति बन चुकी है। दरअसल, इस आयोजन के मुख्य अतिथि राज्यपाल होते हैं। लेकिन, राज्यपाल न होने की वजह से यह जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निभाई थी।
पीएचक्यू में कानाफूसी शुरू
मध्यप्रदेश पुलिस के डीजीपी वीके सिंह 12 दिन के अवकाश पर गए हैं। उन्होंने अपना प्रभार किसी को नहीं सौंपा है। इसलिए पीएचक्यू में कानाफूसी भी शुरू हो गई है। एक धड़ा यात्रा को उपलब्धि बताकर प्रचारित कर रहा है तो दूसरा धड़ा मामले को हनी ट्रैप (MP Honey Trap Case) से जोड़कर देख रहा है। दरअसल, इससे पहले तत्कालीन डीजीपी रिषी कुमार शुक्ला चिकित्सकीय अवकाश पर एक महीने के लिए अवकाश पर गए थे। उन्होंने अपना प्रभार वीके सिंह को ही सौंपा था। हालांकि उस वक्त विधानसभा चुनाव चल रहे थे। इधर, प्रदेश में एक हाई प्रोफाइल मामला चल रहा है। यह मामला हनी ट्रैप केस से जुड़ा है। इसमें कई बड़े नेताओं और अफसरों के फंसने की अटकलें लगाई जा रही है। यह मामला मीडिया में तूल पकड़े हुए हैं। इस बीच सरकारी यात्रा पर बिना प्रभार दिए जाना बता रहा है कि हनी ट्रैप केस कितना संवेदनशील मामला है।