DGP Vivek Johri ने सभी यूनिटों के प्रभारियों को भेजा आदेश, प्रोटोकॉल के नियम भी बताएं
भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) ट्रांसफर—पोस्टिंग के लिए यदि मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के पत्र उनके पास आए तो खैर (Bhopal Police News) नहीं होगी। इस आशय का एक आदेश मध्य प्रदेश के डीजीपी विवेक जौहरी की तरफ से जारी किया गया है। यह कवायद भिंड में बने अवैध रेत माफिया के गठबंधन (Madhya Pradesh Hindi Samachar) की बात सामने आने के बाद की गई है। इससे पहले यहां के आईजी, एसपी को हटाया गया था। दरअसल, भिंड में राजनीतिक दबाव के चलते रेत खदानों से जुड़े थानों में पोस्टिंग की गई थी।
जानकारी के अनुसार डीजीपी विवेक जौहरी (DIG Vivek Johri) का यह आदेश गुरुवार 4 जून की तारीख में जारी किया गया है। यह आदेश सीधे डीजीपी ने जारी नहीं किया है। आदेश में एआईजी कार्मिक की तरफ से यह सर्कुलर जारी हुआ है। यह सर्कुलर अक्टूबर, 2008 में तत्कालीन डीजीपी के कार्यकाल में जारी हो चुका है। उसको ही आधार बनाकर उसका पालन करने के लिए कहा गया है। पत्र में चेतावनी से पहले ही तीन नियमों का हवाला देकर कहा गया है कि यह उन व्यक्तियों पर प्रभावी होगा जो इसको नहीं मानेंगे। इसमें अभा सेवा आचरण नियम 1968, एमपी सिविल सेवा आचरण नियम 1965 और पुलिस मैन्यूअल के पैरा क्रमांक 275 का हवाला दिया गया है। इन नियमों के तहत कार्रवाई उन अफसरों पर होगी।
आईजी ही कर सकेंगे मंत्रियों से बात
आदेश में सीधे बोलने की बजाय डीजीपी ने पुलिस मैन्यूअल की गाइड लाइन सर्कुलर में बताया है। इन नियमों के तहत पुलिस विभाग में सिपाही से लेकर टीआई एसपी को अपने परेशानी, जांच समेत अन्य बातों पर चर्चा कर सकेंगे। वहीं राजपत्रित पुलिस अधिकारी आईजी को रिपोर्ट करेंगे। शासन के सदस्यों मतलब मंत्रियों से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी सीधे बातचीत या पत्राचार नहीं करेगा। यह काम बिना आईजी से अनुमति लिए नहीं किया जा सकता। मुलाकात करने के लिए भी प्रतिबंधित किया गया है। यह पुलिस के मैन्यूअल पैरा 275 में बनाए गए नियम है।
सिपाही से लेकर सारे बड़े अफसर लगाते हैं पहुंच
इस आशय का पत्र जारी करने के साथ ही कहा गया है कि सारे पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ऐसा करते हैं। वह अपने प्रमोशन, विभागीय जांच, ट्रांसफर के लिए विभाग की बजाय मंत्रियों और सांसदों से पत्र लिखकर प्रभाव डालते हैं। ऐसा अब किया गया तो कार्रवाई की जाएगी। यह बताने के साथ ही इस आदेश को सभी कर्मचारी और अफसरों को बताने के लिए कहा गया है। इस सर्कुलर जारी होने के बाद कई अफसर खामोश हो गए हैं। यह सर्कुलर आधिकारिक रुप से पुलिस मुख्यालय ने जारी नहीं किया है। यह आदेश सोशल मीडिया में वायरल हुआ है।
पत्र के यह मायने
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द ट्रांसफर—पोस्टिंग करने वाले हैं। सूची पिछले दिनों जारी होने वाली थी। लेकिन, वह राजनीतिक खींचतान के चलते अटक गई। इसके लिए कई रास्तों से पुलिस मुख्यालय के अफसरों और गृह विभाग के अफसरों पर भी दबाव आ रहा है। इस पत्र को लेकर पीएचक्यू में चल रही गुटबाजी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, प्रदेश में इस वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके 22 विधायकों के समर्थन से सरकार चल रही है। राजनीतिक गुटबाजी पार्टी कार्यालय में भी देखी जा रही है। इसी तरह की राजनीति अब पीएचक्यू में भी हो रही है। जिसको रोकने के लिए यह आदेश जारी किया गया है। हालांकि पुलिस मुख्यालय क अफसरों का कहना है कि यह रुटीन प्रक्रिया है।
यह भी निकाला जा रहा मतलब
भिंड में पिछले दिनों बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की गई। इस सर्जरी से यह साफ हो गया था कि वहां राजनीतिक पहुंच के चलते तैनातियां की जा रही थी। जिस कारण गुटबाजी चरम पर थी। जिसका फायदा माफिया उठाने लगा था। इसे खत्म करने के लिए वहां डीआईजी राजेश हिंगणकर को भेजा गया था। डीआईजी की रिपोर्ट के बाद भिंड में बहुत सारे बदलाव किए गए। उसी रिपोर्ट के आधार पर राजनीतिक नियुक्तियों को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया गया। यह क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रभाव वाला भी है।
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