MP Cop Gossip: आखिरी समय में तय किया गया नया नाम, कई चेहरों के हाथ लगी मायूसी
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग में भीतर ही भीतर कई तरह की उठापटक चलती है। इस बात की जानकारी कई बार मीडिया में आती है तो कुछ दबी रह जाती है। ऐसे ही विषयों को लेकर हमारा नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) हैं। हमारा मकसद किसी भी संस्था अथवा व्यक्ति को कम—ज्यादा बताना नहीं है। हमारी कोशिश यह होती है कि ऐसे भी विषय मीडिया के पास होते हैं यह उन नीतियां बनाने वालों को पता हो। कुछ ऐसे ही बातों के साथ इस बार का नियमित कॉलम के कुछ अंश।
हल्ला मचा तो कोलाहल अधिनियम
मंगलवार को महाशिवरात्रि पर्व का अवसर था। इस पर्व को हाई प्रोफाइल लोगों के बेटे—बेटियों ने मनाने का फैसला लिया। जिसके बाद शहर के आखिरी छोर के एक गांव में स्थान चिन्हित किया गया। यहां डीजे की धूम पर अंग्रेजी शराब के साथ—साथ भांग और गांजा भी बांटा जा रहा था। शोर की आवाज पुलिस के पास भी पहुंची। लेकिन, बलि का बकरा दो व्यक्तियों को बना दिया गया। जबकि वहां कई बड़े घरों के बेटा—बेटी थे। जिन्हें पकड़कर लाने के बाद अफसरों के फोन घनघनाने लग गए थे। हालांकि दोपहर होने के बाद पूरे घटना की पटकथा बदलकर उसको कोलाहल अधिनियम में तब्दील कर दिया गया।
हवलदार के पास रहता है टीआई का फोन
शहर के एक थाने में तैनात हवलदार के पास टीआई का फोन रहता है। वे चौबीस घंटे रिसीव करते हैं और कार्रवाई को अंजाम भी देते हैं। कोई निगरानी करने वाले अफसर ने भी इस बात की कभी सुध नहीं ली। हालांकि यह बात टीआई को मालूम नहीं हैं। दरअसल, मामला यह है कि हवलदार कभी होशंगाबाद जिले में तैनात थे। जब वे तैनात थे तभी उन्हें नंबर मिला था। यह नंबर उस थाने के टीआई चलाते थे। जिसमें उनके थाने के नाम से लोगों ने नंबर सेव कर लिया। अब हवलदार जब भी किसी को कॉल करते हैं या रिसीव करते हैं तो उनकी जगह टीआई का नाम ट्रू कॉलर में डिस्प्ले होता है।
डीजीपी के लिए दिल्ली से किया रिलीव
मध्यप्रदेश में यह पहली बार नहीं हो रहा है कि प्रदेश का मुखिया दिल्ली से चलकर आ रहा है। दरअसल, मौजूदा डीजीपी विवेक जौहरी रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह नए डीजीपी के नाम को लेकर लंबे अरसे तक फाइल दबी रही। अब अचानक दिल्ली से सुधीर सक्सेना को भोपाल भेजा जा रहा है। हालांकि वे मध्यप्रदेश कैडर के अफसर भी है। अटैचमेंट में वे दिल्ली में तैनात थे। इससे पहले कमलनाथ सरकार ने भी जौहरी को लेकर आने के लिए रातोंरात फेरबदल किया था। उन्हें भी दिल्ली से भोपाल लाया गया था। जबकि वे सेवानिवृत्त होने वाले थे। फिर भी उनका एक्सटेंशन किया गया था। इस परिपाटी के चलते आस लगाकर बैठे कई आईपीएस अफसरों के हाथ मुखिया बनने को लेकर निराशा हाथ लगी।
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