धनीराम की तलाश में जुटी मध्य प्रदेश की पुलिस, मरे हुए व्यक्ति के नाम पर बेटा चला रहा था बैंक खाता
जबलपुर। (Jabalpur Crime News Hindi ) आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन इस फिल्मी कहानी का सबसे रोचक पात्र का नाम धनीराम (Dhaniram) है। इस धनीराम ने बैंक के चार मैनेजरों को 7 साल के भीतर में लखपति बना दिया। जिन चार मैनेजरों को लखपति बनाया गया उनमें से तीन महिलाएं हैं। यह हैरान और बेहद रोचक मामला देना बैंक (Dena Bank Fraud Case) से जुड़ा हुआ है। धनीराम ने चारों बैंक मैनेजरों को करीब 33 लाख रुपए बांट (Dena Bank Scam) दिए। हालांकि अब मैनेजरों के बुरे दिन आ गए हैं। मामला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Crime News) के जबलपुर (Jabalpur Crime News) जिले का है। इस मामले में आर्थिक प्रकोष्ठ विंग (MP Economic Offense Wing) ने जालसाजी (Jabalpur Fraud Case), दस्तावेजों की कूटरचना, गबन, साजिश करने के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों की गिरफ्तारी अभी नहीं की जा सकी है।
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जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार का यह अड्डा जबलपुर के आधारताल आनंद नगर में स्थित देना बैंक (Dena Bank Manager Cheating Case) में बना हुआ था। भ्रष्टाचारी का यह सिलसिला 2011 से चल रहा था। जिसकी भनक लगने तक चार बैंक मैनेजर मालामाल हो चुके थे। मामले की शिकायत जबलपुर ईओडब्ल्यू (Jabalpur EOW) को जुलाई, 2018 में की गई थी। जांच में आरोप साबित पाए गए। जिसके बाद ईओडब्ल्यू भोपाल (EOW Bhopal) ने मुकदमा दर्ज करके केस डायरी जबलपुर (Jabalpur Dena Bank Fraud Case) भेज दी है। इस मामले में आरोपी मीनाक्षी काछी, प्रदीप साहू (Pradeep Sahu), रवीन्द्र नाथ दास, विमला तिर्की (Vimla Tirki), अनामिका आस्तिक, शानेन्द्र कुडापे, धनीराम अहिरवार, शेख जाहिद (Sheikh Jahid) और अन्य को आरोपी बनाया गया है। इन सभी आरोपियों ने 32 लाख, 79 हजार रुपए से अधिक का घोटाला (Dena Bank Ghotala) किया है। आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से बिना अनुमति ग्राहकों के खाते से रकम निकालकर उसको हड़प लिया है। इन आरोपियों में से चार बैंक मैनेजर हैं। फिलहाल चारों देना बैंक की दूसरी शाखाओं में तैनात हैं। ईओडब्ल्यू को शक है कि इस फर्जीवाड़े में कई अन्य राज उजागर होना अभी बाकी है।
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7 खाते में ट्रांसफर
इस फर्जीवाड़े की मुख्य किरदार की कड़ी मीनाक्षी काछी (Minakshi Kachhi) है। मीनाक्षी देना बैंक में सीनियर मैनेजर स्तर की अधिकारी है। मीनाक्षी ने कई चौंका देने वाले कारनामे किए हैं। उसने देना बैंक की आईडी का इस्तेमाल करके खाते में सेंध लगाई। मीनाक्षी ने निधि तिवारी नाम के एक खाता धारक से करीब 18 लाख रुपए निकाला। उसको 7 संदिग्ध बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। फिर जनवरी, 2014 में उसको एटीएम से निकाला गया। इसी तरह मैनेजर रहे रवीन्द्र नाथ दास (Ravindra Nath Das), अनामिका आस्तिक और विमला तिर्की ने भी किया। एक अन्य आरोपी शानेन्द्र कुडापे (Shanendra Kudape) भी देना बैंक का कर्मचारी है। उसने भी इस घोटाले में आरोपियों का पूरा सहयोग किया।
फर्जीवाड़ा पकड़कर किया घोटाला
ईओडब्ल्यू को जांच में पता चला है कि आरोपियों ने निधि तिवारी, कला बाई और एमएस ट्रेडर्स के खाते से बड़ी—बड़ी रकम निकाली। यह रकम एक दर्जन से अधिक संदिग्ध खातों में जमा की गई। इसमें से ईओडब्ल्यू ने कुछ नामों का पता लगाया। इसमें शंकर लाल साहू (Shankar Lal Sahu), प्रदीप कुमार साहू, दशोदा बाई, लल्लू लाल पटेल, शेख जाहिद और धनीराम अहिरवार प्रमुख हैं। शेख जाहिद का केवाएसी नहीं भरा गया है। इसलिए उसकी पहचान नहीं हो पा रही है। एक अन्य आरोपी प्रदीप कुमार साहू (Pradip Kumar Sahu) को ईओडब्ल्यू ने पकड़ लिया। उसने पूछताछ में बताया कि उसके पिता शंकर लाल साहू हैं। जिनका निधन हो चुका है। उनके निधन के बाद उसने खाता चलाया था। जिसको देना बैंक ने पकड़ लिया था। फिर उसको लालच दिया गया कि वह इस राज को उजागर नहीं करेंगे। बदले में उसके खाते में रकम जमा की जाएगी। इस रकम में से उसको 10 फीसदी कमीशन भी दिया जाएगा। लालच में आकर उसने अपने खाते में रकम जमा कराना शुरु करा दिया। ईओडब्ल्यू ने बताया कि अधिकांश रकम धनीराम अहिरवार के खाते में जमा की गई थी। फिलहाल धनीराम कौन है यह पता नहीं चल सका हैं। पुलिस को शक है कि आरोपियों ने फर्जीवाड़ा करने के लिए धनीराम का फर्जी खाता खोलकर यह घोटाला किया है।
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