Supreme Court News: बोलने की आजादी से रोकने का कानून

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Supreme Court News: दो सदस्यीय खंडपीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव से तीन सप्ताह के भीतर में मांगा जवाब

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सु्प्रीम कोर्ट का फाइल फोटो

भोपाल/दिल्ली। बोलने की आजादी को रोकने के लिए बने एक कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court News) की डबल बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मामला सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत बनी एक धारा से जुड़ा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है। यह आदेश नाराजगी के साथ जारी हुआ है। मतलब साफ है कि अगली तारीख में किसी न किसी राज्य को इस लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

सात साल पहले बना कानून

मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविन्द्र भट की डबल बैंक में धारा 66-ए को लेकर याचिका लगी थी। यह धारा सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर है। जिसमें सोशल मीडिया अथवा खुले मंच पर कोई विवादित टिप्पणी करने पर इसे पुलिस लगाती थी। कई पेशियों के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस धारा को बोलने की आजादी से रोकने वाला कानून माना था। धारा को मानव के संवैधानिक अधिकारों पर अंकुश करार देते हुए इस प्रकरण में मामला न बनाने का आदेश दिया था। इसके बावजूद कई राज्यों में 66-ए के तहत मुकदमे दर्ज किए थे। जिस कारण अदालत में कई अशासकीय संगठनों ने याचिका लगाई थी। जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव से तीन सप्ताह के भीतर में जवाब देने के लिए कहा है। यह कानून 2015 में बना था। इस धारा 66-ए के तहत मध्यप्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में अभी भी प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं।

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