MP Cyber Crime : यदि आप रिटायर हो रहे हैं तो यह समाचार आपके लिए है

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MP Cyber Crime
हरी शर्ट में दाढ़ी वाला आरोपी शशिकांत और मेहरून टी शर्ट पहने सौरभ

बुजुर्गों को निशाना बनाकर पुरानी पॉलिसियों को रिन्यू कराने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का खुलासा

भोपाल। मध्यप्रदेश सायबर सेल (MP Cyber Crime) की इंदौर यूनिट ने एक गिरोह का खुलासा किया है। यह गिरोह लंबे अरसे से वृद्ध नागरिकों को झांसा देकर ठगने का काम कर रहा था। इसके लिए बकायदा नोयडा में कॉल सेंटर भी खोला गया था। पुलिस ने इस मामले में गिरोह के दो सदस्यों को दबोचा है।
यह जानकारी देते हुए स्पेशल डीजी सायबर सेल पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि इंदौर में रहने वाले मैथ्यू, हरि कृष्ण शुक्ला, भोपाल के कोलार निवासी सुजाता देशमुख, कटारा हिल्स निवासी रामप्रताप, जबलपुर निवासी अनिल कुमार, ग्वालियर निवासी केतन के साथ (MP Cyber Crime) जालसाजी की घटनाएं हुई थी। इसकी एफआईआर अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। इनमें लगभग दो करोड़ रुपए ठगने का मामला था। इन शिकायतों पर सायबर सेल की टीम लंबे अरसे से पड़ताल कर रही थी। इसी पड़ताल के दौरान सायबर सेल को दो जालसाजों को दबोचने में कामयाबी मिली है। आरोपी दिल्ली के शाहदरा निवासी शशिकांत और प्रीत विहार दिल्ली निवासी सौरभ गोयल है। आरोपी बेहद शातिर है और उन्होंने भोपाल के एक रिटायर्ड डॉक्टर से करीब पौने दो करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी। यह डॉक्टर अपनी पहचान उजागर करना नहीं चाहते थे जिसकी गुजारिश उन्होंने पुलिस अफसरों से की थी।

ऐसे किया गया फर्जीवाड़ा
एडीजी राजेश गुप्ता ने बताया कि यह गिरोह का (MP Cyber Crime) संचालन शशिकांत कर रहा था। वह दक्षिण भारतीय नागरिक है जो कॉल सेंटर में घाटा होने पर इस कारोबार में उतर आया। आरोपी ने इस साजिश में अपने साथी सौरभ को भी शामिल कर लिया। सौरभ के पास पीओएस मशीन हैं। इसी मशीन से एक महीने के भीतर में 92 लाख रुपए का लेन-देन किया गया। इस लेन-देन ने ही इस रैकेट का खुलासा करने में सायबर सेल को रास्ता मुहैया कराया। आरोपी फोन लगाकर सीनियर सिटीजन को निशाना बनाते थे। इसके लिए वह डूब रही पॉलिसी में ज्यादा फायदा होने का लालच देकर किस्त में रकम जमा कराने का काम शुरू करते थे।

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सायबर क्राइम में ट्रेंड बदला
एडीजी ने बताया कि सायबर सेल के सामने (MP Cyber Crime) जांच में यह आया है कि आरोपियों ने अब अपना ट्रेंड बदल दिया है। दरअसल, इस मामले के खुलासे में पता चला है कि इस गिरोह के तार कई बीमा कंपनियों के कर्मचारियों से जुड़े थे। इन्हीं कर्मचारियों की मदद से यह गिरोह डाटा हासिल करता था। इस डाटा के बदले में मिलने वाली रकम पर बकायदा कमीशन दिया जाता था। ऐसे लोगों की जानकारी मिल गई है जिसके संबंध में जांच में खुलासा किया जाएगा।

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