Bhopal Cyber Crime: एडीजी से सिफारिश उसके बावजूद थाने पहुंचा दिया मामला

Share

Bhopal Cyber Crime: सीपीडब्ल्यूडी से रिटायर सीनियर आर्किटेक्ट से हुई थी 90 हजार रुपए की धोखाधड़ी

Bhopal Cyber Crime
सांकेतिक फोटो

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज सायबर फ्रॉड (Bhopal Cyber Crime) से जुड़ी है। जालसाज तीन व्यक्ति हैं जिन्होंने अलग—अलग नंबर से वयोवृद्ध पूर्व केंद्रीय कर्मचारी को फोन लगाया था। जालसाजों ने सरकारी मद की बाकी राशि भुगतान करने का बोलकर उनसे 90 हजार रुपए खाते में जमा कराए थे। इस बात की शिकायत उन्होंने एडीजी सीआईडी कैलाश मकवाना (IPS Kailash Makwana) से बोलकर भोपाल सायबर क्राइम में की थी। मामला सायबर क्राइम नहीं सुलझा सकी। अब उसे कोलार थाने भेज दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर नए सिरे से जांच करने का दावा किया है।

पहले साढ़े तीन हजार जमा कराए

कोलार थाना पुलिस ने 29 मई को सायबर क्राइम से संबंधित जालसाजी का एक मुकदमा दर्ज किया है। इसकी शिकायत सबसे पहले भोपाल सायबर क्राइम से की गई थी। पीड़ित 79 वर्षीय राजेन्द्र नागदेवे (Rajendra Nagdeve) है जो कि सीपीडब्ल्यूडी में सीनियर आर्किटेक्ट के पद से रिटायर हुए हैं। उन्हें सबसे पहले 14 अक्टूबर, 2020 को फोन आया था। फोन करने वाले युवती ने अपना परिचय नेहा (Neha) के रुप में दिया था। उसने बताया था कि सरकार के जीपीएफ के अलावा दूसरी मद में पैसा कटता था। वह भुगतान करने के लिए कुछ बैंक की जानकारियां उसने हासिल कर ली थी। नेहा नाम की युवती ने उसी दिन आरबीआई गाइड लाइन का हवाला देकर साढ़े तीन हजार रुपए जमा करा लिए थे।

यह पढ़िए: सरकार दूसरी लहर की नाकामियों को समझकर अब कोई खतरा मोल अपने सर नहीं लेना चाहती, इसलिए अनलॉक का फैसला जनता पर थोप दिया

यह भी पढ़ें:   Bhopal News: सड़क हादसे में नाबालिग की मौत

पत्नी के नाम पर भी मांगी रकम

Bhopal Cyber Crime
कोलार थाना—फाइल फोटो

दानिश नगर निवासी राजेन्द्र नागदेवे ने बताया कि उनसे नेहा के अलावा अविनाश कपूर (Avinash Kapoor) और कविता सिंह (Kavita Singh) ने सरकारी अफसर बनकर बातचीत की थी। आरोपियों ने तीन किस्त में करीब 90 हजार रुपए एसबीआई के बैंक खाते में जमा कराए थे। आरोपियों ने आखिरी बार 23 अक्टूबर को करीब 51 हजार रुपए जमा करने के लिए बोले थे। उन्होंने यह भी कहा था कि ज्वाइंट अकाअंट है इसलिए यह राशि दुगुनी जमा करनी होगी। यहां से उन्हें शक गया। कई बार फोन करके आरोपी पैसा जमा करने के लिए बोलते रहे। इस बीच वे एडीजी सीआईडी कैलाश मकवाना के पास भी गए। वहां से सिफारिश लगाकर उन्होंने भोपाल सायबर क्राइम में शिकायत दर्ज की थी। उसके बावजूद उनका मामला भोपाल सायबर क्राइम नहीं सुलझा सका।

Don`t copy text!