Fake Call Center : एफबीआई के अफसर सायबर सेल में पहुंचे, ऑन लाइन चीटरों की ली जानकारी

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एक साल के भीतर में यह दूसरा मौका जब एफबीआई सायबर सेल आई, स्पेशल डीजी ने दी तकनीकी जानकारियां

भोपाल। मध्यप्रदेश के इंदौर में उजागर (Fake Call Center) नकली कॉल सेंटर के मामले में एफबीआई के अफसर राजधानी पहुंचे। अफसरों ने स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा और उनकी टीम से मुलाकात की। अफसरों ने एफबीआई को ऑन लाइन फ्रॉड करने वाले रैकेट से जुड़ी जानकारी सौंपी हैं।
जानकारी के अनुसार एफबीआई अफसरों के साथ स्पेशल डीजी सायबर सेल पुरूषोत्तम शर्मा, एडीजी एसटीएफ अशोक अवस्थी के अलावा अन्य अफसर भी थे। रैकेट को दबोचने वाले एसपी जितेन्द्र सिंह ने एफबीआई अफसरों को (Fake Call Center) रैकेट से जुड़ी जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि इंदौर सायबर सेल ने दो ठिकानों पर दबिश देकर 78 लोगों को गिरफ्तार किया था। यह आरोपी अमेरिकी नागरिकों को विजीलेंस अफसर बनकर संपर्क करते थे। उनसे जुर्माने के रूप में डॉलरों में पैनाल्टी जमा कराते थे। एक मामले में आरोपियों ने एक अमेरिकी नागरिक से 21 हजार डॉलर मतलब 21 लाख रुपए ऐंठ लिए थे। इंदौर एसपी सायबर सेल जितेन्द्र सिंह (Fake Call Center) के नेतृत्व में 61 लड़के और 19 लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था। दो अन्य चौकीदार थे जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। गिरोह को जावेद, राहिल अब्बासी, भावेश, सन्नी चौहान, शाहरुख, केवल संधू चला रहे थे। जावेद, शाहरूख और भावेश को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया था। दो अन्य आरोपी फिलहाल अहमदाबाद भाग गए हैं। यह सभी आरोपी अमेरिका के एक मास्टर माइंड के इशारे पर काम कर रहे थे।

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ऐसे करते हैं चीटिंग
स्पेशल डीजी पुरूषोत्तम शर्मा ने बताया कि इस तरह के (Fake Call Center) फर्जी कॉल सेंटर में चार तकनीक से चीटिंग की जाती है। पहली तकनीक जो अममून सभी जगह एक जैसी होती है उसे सोशल सिक्यूरिटी नंबर (SSN) नाम से पुकारा जाता है। यह अमेरिका में आधार नंबर की (Fake Call Center) तरह ही जारी होता है। इसकी मदद से अमेरिकी नागरिक की सारी जानकारी उजागर हो जाती है। दूसरी तकनीक इंटरनेशनल रेवेन्यू सर्विस (IRS) होता है। इसमें आयकर ब्योरे (Fake Call Center) से जुड़ी जानकारी होती है। तीसरी तकनीक को टैक्स सपोर्ट सर्विस कहा जाता है। इसमें उन लोगों का डाटा होता है जो इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं। गिरोह उन लोगों को टारगेट करता है जो कॉपीराइट या पाइरेटेड साफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। चौथी और आखिरी तकनीक पैड लोन वाली होती है। इसमें उन लोगों का (Fake Call Center) ब्योरा होता है जिन्होंने लोन लिया हो और कोई राशि जमा करने से चूक गई हो। ऐसे लोगों को प्रतिदिन कॉल सेंटर से फोन किया जाता था।

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