Bhopal Cop News: जबलपुर हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से मांग लिया कर्मचारियों का हिसाब, यह भी कहा शपथ पत्र में लिखकर बताए, वहीं कैमरों का रिकॉर्ड भी हाईकोर्ट में जमा करने के लिए बोला गया
भोपाल। भोपाल की क्राइम ब्रांच एक बार फिर अपनी कार्यशैली के चलते विवादों में आ गई है। उस पर लूटने और खसोटने के आरोप लगे हैं। आरोप है कि जांच के नाम पर राजस्थान से अवैध तरीके से एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया। उसको चार दिनों तक अवैध तरीके से कस्टडी में रखकर पैसा मांगा गया। अब पुलिस कमिश्नर को इस पूरे प्रकरण में क्राइम ब्रांच (Bhopal Cop News) के कारण अपनी तरफ से सफाई पेश करना है।
यह बोलकर कोर्ट ने मांगी है जानकारी
सूत्रों के अनुसार राजाराम ने इस संबंध में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के चार कर्मचारियों ने उसे राजस्थान (Rajasthan) से उठाते समय उसकी सोने की चेन, कड़ा, अंगूठी और मोबाइल लूट लिया। इसके अलावा, उसे रिहा करने के बदले में 18 लाख रुपये की मांग की गई थी। इस संबंध में हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपराध शाखा एमपी नगर भोपाल से पांच दिनों की वीडियो फुटेज पेन ड्राइव में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही पुलिस आयुक्त भोपाल को हलफनामा में जवाब प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया है। राजाराम (Rajaram) ग्राम नोखा, जिला बीकानेर, राजस्थान का रहने वाला है। उसने याचिका में बताया कि 4 दिसंबर की शाम को वह अपने तीन दोस्तों के साथ विवाह समारोह में जा रहा था। इसी दौरान सादे कपड़े पहने चार व्यक्तियों ने रोक लिया। उसे जबरदस्ती वाहन में बैठाया। उसके दोस्तों ने इस घटनाक्रम की कुछ तस्वीरें भी ली थीं। राजा राम ने आरोप लगाया है कि रास्ते में चारों व्यक्तियों ने शराब पी। फिर उसकी सोने की चेन, अंगूठी, कड़ा और मोबाइल लूट लिया। उसे भोपाल में एमपी नगर (MP Nagar) स्थित अपराध शाखा के लॉकअप में रखा गया। यहां उसके हाथ-पैर में बेड़ियां डाली। वह 5 दिसंबर से 8 दिसंबर तक लॉकअप में अवैध रूप से रखा गया।
क्राइम ब्रांच में फिर सफाई होना तय
न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं किया गया। इस दौरान उसे मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी। उसके और दो अन्य मोबाइल फोन से परिजनों से संपर्क कर 18 लाख रुपये की अवैध मांग की गई। राजाराम का रिश्तेदार सुखदयाल Sukhdayal() 8 दिसंबर को एमपी नगर स्थित अपराध शाखा पहुंचा। पुलिस ने उसे भी लॉकअप में बंद कर दिया। अगले दिन उन्हें रुपये लाने के लिए छोड़ दिया गया। लेकिन इससे पहले उनसे रुपये की मांग के संबंध में लिखित अंडरटेकिंग ली गई। इसका वीडियो भी बनाया गया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि क्राइम ब्रांच के कर्मचारियों ने उसका अपहरण किया और लूट की। एकलपीठ ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता की तरफ से उजागर किए गए नामों की पहचान सुनिश्चित की जाए। ताकि उन्हें अनावेदक बनाया जा सके। इसके अलावा 04 से 09 दिसंबर तक अपराध शाखा एमपी नगर के वीडियो फुटेज न्यायालय में प्रस्तुत किए जाए। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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