पैरोल के अलावा डीजी के अधिकारों का किया गया इस्तेमाल
भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) दुनिया के लिए चिंता का विषय बनी महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) की दहशत जितनी बाहर है उतनी ही जेल के भीतर भी है। बात हो रही है मध्य प्रदेश् (Madhya Pradesh Crime News In Hindi) की 128 जेलों की हालात को लेकर। इनमें करीब 43 हजार बंदी थे जो क्षमता से अधिक थे। बीमारी को दूर भगाने के लिए सोशल डिस्टेंस ही एकमात्र मंत्र था। इस कारण जेल मुख्यालय को कोविड—19 का प्रकोप सताने लगा। हालांकि कुछ स्वयंसेवी संस्था सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। जिसमें सुनवाई के बाद कोर्ट ने जेलों में मौजूद संख्या को घटाने (Madhya Pradesh Prisoner Realesed Order) के भी आदेश दिए थे। इन आदेशों और डीजी जेल ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने के अलावा पैरोल पर बंदियों को घर पहुंचाने का फैसला लिया। सारे नियमों पर जोड़—घटाव के बाद जेल मुख्यालय 5 हजार से अधिक बंदियों को रिहा करने में कामयाब रहा। पूरे बंदियों से तुलना की जाए तो ऐसे लोगों की संख्या 12 फीसदी हैं।
जानकारी के अनुसार जेल मैन्युअल के अनुसार डीजी के पास भी बंदियों को रिहा करने के अधिकार होते हैं। इसमें शर्त यह होती है कि ऐसे बंदी जिनकी सजा पूरी होने को दो महीना शेष है उन्हें डीजी रिहा कर सकते हैं। प्रदेश में ऐसे बंदियों की संख्या 83 निकली। प्रदेश में डीजी जेल संजय चौधरी (IPS Sanjay Choudhry) है। जेल मुख्यालय का दावा है कि यह वे लोग हैं जिनका आचरण संतोषजनक था। इसके अलावा महामारी को देखते हुए पैरोल पर 2692 बंदियों को रिहा किया गया है। रिहाई से पूर्व उनसे फॉर्म भी भराए गए हैं। वहीं 2476 ऐसे बंदी है जिन्हें अग्रिम जमानत का लाभ दिया गया है। पैरोल पर बंदियों को 60 दिन के लिए रिहा किया गया है। हालांकि रिहा होने वाले बंदियों की गतिविधियों पर पुलिस की निगरानी होगी।
अपील
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