ई-टेंडर घोटाला : पांच साल पहले रची गई साजिश

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घोटाले की परतें खुलना शुरू, कमेटी को नहीं सौंपी गई थी रिपोर्ट, रिमांड पर चल रहे आरोपियों ने किया खुलासा

भोपाल। मध्यप्रदेश के चर्चित ई-टेंडर घोटाले की परतें उधेडऩा का काम आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने शुरू कर दिया है। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि घोटाले के लिए पांच साल पहले ही साजिश रच ली गई थी। इसके लिए कुछ रिपोर्ट जो सबमिट करनी थी वह छुपा ली गई। ईओडब्ल्यू अब उस कमेटी से संबंधित दस्तावेज खंगालने का काम कर रही है।
जानकारी के अनुसार रिमांड पर चल रहे आरोपियों मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रोनिक्स डेव्हल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएसईडीसी) के ओएसडी रहे नंद कुमार ब्रह्मे, विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी से पूछताछ चल रही है। इसी पूछताछ में यह बात सामने आई है कि ई-प्रोक्योरमेंट को लेकर एक कमेटी बनी थी। यह कमेटी आईएएस हरिरंजन राव की निगरानी में काम कर रही थी। कमेटी में विशाल बांगड़, विपिन गुप्ता और नंद कुमार ब्रह्मे को शामिल किया गया था। यह कमेटी 2012 में बनाई गई थी। इस कमेटी को दूसरे राज्यों में जाकर पड़ताल के बाद रिपोर्ट बनाना थी। लेकिन, कमेटी के सदस्यों ने केवल कर्नाटक राज्य का दौरा किया। उसकी भी रिपोर्ट उन्होंने सबमिट नहीं की। नतीजतन, सुरक्षा से संबंधित दूसरे पहलूओं पर कार्रवाई नहीं की जा सकी। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में अब अन्य बड़े अफसरों से पूछताछ की जा सकती है।

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क्या है मामला
ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल, 2019 को ई-टेंडरिंग घोटाले के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। इसमें जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 में दर्ज हुई थी। जांच कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम नई दिल्ली से कराई गई। जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सडक़ विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ ई-टेंडरों में गड़बड़ी करना पाया गया था।

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कौन है आरोपी 

इस मामले में हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। अधिकांश कंपनियों के पते पर आधा दर्जन से अधिक कंपनियां भी चल रही है। इसके अलावा साफ्टवेयर बनाने वाली ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड, एमपी एसईडीसी, एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड और बैगलोर की टीसीएस कंपनी को भी आरोपी बनाया गया है।

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अब तक क्या
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में सबसे पहले 11 अप्रैल, 2019 को भोपाल के मानसरोवर में दबिश दी। यहां से तीन आरोपियों विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी को हिरासत में लिया। तीनों आरोपियों को 12 अप्रैल को अदालत में पेश करके 15 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। इसी बीच 14 अप्रैल को नंदकुमार को गिरफ्तार किया गया। जिसे ओस्मो कंपनी के तीनों आरोपियों के साथ 15 अप्रैल को जिला अदालत में न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे की अदालत में पेश किया गया। यहां से आरोपियों से अनुसंधान से जुड़ी जानकारियों के संबंध में पूछताछ करने के लिए 18 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। यह रिमांड खत्म होने के बाद ईओडब्ल्यू ने संजीव पांडे की अदालत में आरोपियों को पेश किया। यहां से पहले गिरफ्तार तीन आरोपियों को तीसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। इसी तरह नंद कुमार को दूसरी बार पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। चारों आरोपी 22 अप्रैल तक रिमांड पर चल रहे हैं।

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