Political Crime : निकाय एक्ट की आड़ में भाजपा के पूर्व मंत्री की घेराबंदी शुरू

Share

बघेलखंड में बड़ा नेता बनने के चलते कांग्रेस के निशाने पर थे भाजपा के राजेंद्र शुक्ल

Political Crime
भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व मंत्री और विधायक राजेंद्र शुक्ल — फाइल फोटो

रीवा/भोपाल। मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधि​नियम (Madhya Pradesh Municipal Corporation Official Rules) 1956 के तहत बने कानूनों में भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व मंत्री और विधायक राजेंद्र शुक्ल (Former Minister BJP) फंस गए हैं। उनसे रीवा नगर निगम के कमिश्नर ने 4 करोड़, 94 लाख,52 हजार से अधिक की रकम मांगी है। इस संबंध में निगम कमिश्नर ने नोटिस जारी किया है। हालांकि इस पूरे मामले को विशेषज्ञ राजनीतिक (Political Expert) चश्मे से देख रहे हैं। यह नोटिस शुक्ल के 16 साल पहले की गई राजनीतिक घोषणा के बंटे पर्चे को आधार बनाकर जारी किया गया है।
यह है मामला
पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने वर्ष 2013 ​के विधानसभा चुनाव में रतहरा और रतहरी के लोगों से वादा किया था कि जनता ​को उनके मकान मुफ्त में मिलेंगे। इन लोगों को IHSDP  के तहत ईडब्ल्यूएस ​मकान अलॉट हुए थे। अधिकतम राशि सरकार को देना थी, कुछ राशि (Margin Money) आवंटियों से ली जाना थी। इस योजना की नोडल एजेंसी रीवा नगर निगम थी। जनता से बकाया रकम को लेकर नगर निगम ने पत्राचार किया था। इसके बाद पूरे मामले ​की बहुत पहले हकीकत निगम के सामने आ चुकी थी। लेकिन, उस वक्त सत्ता में भाजपा की सरकार हुआ करती थी। इसलिए मामले की फाइल को दबा दिया गया था। उस वक्त ​लोगों ने वह पर्चे भी निगम के अफसरों को दिए थे। इस पर्चे को बांटने का काम पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने ​किया था।

यह भी पढ़ें:   Political Crime : सीवेज की सोशल मीडिया में कांग्रेस कार्यकर्ता ने की पोस्ट तो निर्दलीय पार्षद ने फोन पर धमकाया

यह मानते हैं राजनैतिक विश्लेषक

जानकारों की माने तो यह पूरा मामला राजनीतिक पिच (Political Pitch) तैयार करने के लिए बनाया गया है। दरअसल, पूर्व मंत्री राजेेंद्र शुक्ल बघेल खंड के कद्दावर नेता बन चुके हैं। शुक्ल तत्कालीन भाजपा सरकार में खनिज, वाणिज्य, उद्योग, रोजगार और जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं। शुक्ल भाजपा से पहले कांग्रेस के पदाधिकारी रहे हैं। उन्होेंने बघेल खंड जिसे मध्यप्रदेश का विंध्य प्रांत कहा जाता है, उसको अपना राजनीतिक किला बना लिया है। इसे भेदने की क्षमता 2018 में हुए विधानसभा चुनाव  (Madhya Pradesh Assembly Election) के दौरान किसी भी कांग्रेस नेता के बूते पर नहीं रही। इस क्षेत्र से कांग्रेस को करारी हार मिली। क्योंकि इस क्षेत्र में 30 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें से लगभग 10 फीसदी सीट ही कांग्रेस हासिल कर सकी थी। विंध्य की जिम्मेदारी शुक्ल के पास ही थी।

16 साल पहले ​ही दिखा चुके थे तेवर
पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल 16 साल पहले ही अपना तेवर दिखा चुके थे। शुक्ल रीवा जिले से आते हैं। विंध्य क्षेत्र में ब्राह्मण और ठाकुर जाति ही विधायक तय कर​ती हैं। वहां एक जमाने में कांग्रेस के कद्दावर नेता श्रीनिवास तिवारी का ति​लिस्म बना हुआ था। गुटों में बंटी कांग्रेस के एक धड़े में तिवारी दखल रखा करते ​थे। उन्होंने भी पूरे विंध्य में कोई दूसरा गुट बनने ही नहीं दिया।

Don`t copy text!