MP Health Review News: प्रायवेट अस्पतालों पर नकेल कसने सीएम ने दी हरी झंडी

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MP Health Review News: एमपी के सीएम समीक्षा बैठक में बोले आपदा में साथ नहीं तो होगा एक्शन

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क्राइसिस मैनेजमेंट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान- File Photo

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना का संक्रमण बहुत तेजी से फैला हुआ। इंतजाम के नाम पर भोपाल समेत दूसरे बड़े शहर में आम नागरिकों के लिए पाबंदी है। इन्हें कही लॉक डाउन तो कहीं कोरोना कर्फ्यू नाम से पुकारा जा रहा है। इस बीच शनिवार को समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (MP Health Review News) ने साफ—साफ कह दिया है कि आपदा में कोई भी निजी अस्पताल या लैब साथ नहीं देंगे तो उनसे बात नहीं की जाएगी। सीधी कार्रवाई की जाए ताकि व्यवस्था बनी रहे।

टेस्टिंग और उसके रिजल्ट में देरी नहीं

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने कोरोना टेस्ट को लेकर चल रही खबरों को लेकर सख्त रवैया अपनाया है। उन्होंने कहा है कि 24 घंटे में रिपोर्ट मरीज को मिलना चाहिए। छोटे जिलो में रिपोर्ट में देरी वाली बात पर उसके इंतजाम को ठीक करने के लिए सीएम ने कहा। बैठक में डॉ प्रभुराम चौधरी और विश्वास सारंग समेत कई अन्य आला अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लैब, निजी अस्पतालों से बात करें कि रिपोर्ट समय पर आए। टेस्ट में कोई कमी न आए। ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किए जाए। निजी अस्पताल, निजी लैब टेस्टिंग करने से आनाकानी करे, लेट लतीफी का हवाला दे तो कड़ी कार्यवाई करें। अभी मध्यप्रदेश में 576 अस्पतालों में कोविड का इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा होम आईसोलेशन मॉनिटरिंग बढ़ाने के भी उन्होंने आदेश दिए।

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महाराष्ट्र और एमपी आमने—सामने

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बैठक में चर्चा करते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान- File Image

सूत्रों के अनुसार कोविड अस्पतालों को इलाज के दाम सार्वजनिक करने होंगे। सार्थक पोर्टल के जरिए ऐसा होगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि 1075 पर बेड खाली होने की जानकारी मिलती है। लेकिन, अस्पताल बेड नहीं दे पा रहें हैं तो प्रभारी अधिकारी मरीज को बेड उपलब्ध कराने की सम्पूर्ण व्यवस्था करे। यह व्यवस्था सुनिश्चित और सुदृण की जाए। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 2000 आ चुके है, अब 650 कंसंट्रेटर और आएंगे। 1300 कंसंट्रेटर जिला स्तर पर कलेक्टर ने और खरीदे हैं। महाराष्ट्र सरकार मध्यप्रदेश के कंसंट्रेटर रोकने को लेकर दवाब बना रही है। एमपी ने पहले कंसंट्रेटर के आर्डर दिए थे। अब उन्हें न भेजने के लिए महाराष्ट्र सरकार निर्माता कंपनियों पर दवाब बना रही है।

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