मध्यप्रदेश की विधानसभा में उठे प्रश्न के बाद सरकार ने स्पेशल टास्क फोर्स को सौंपी थी जांच, दो बाबू ने 25 शस्त्र और कारतूसों के लायसेंस में किया हेर—फेर, दोनों आरोपियों के खिलाफ जालसाजी के 25 मुकदमे दर्ज
भोपाल। आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन, यह जांच के बाद लगभग साबित हो गया है। मामला अवैध तरीके से शस्त्र और कारतूस के लायसेंस (MP Arms License Scam) जारी करने से जुड़ा है। यह मामला मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Crime News) के सतना (Satna Crime News) जिले के कलेक्टर कार्यालय का है। यहां तैनात दो बाबू ने दस साल के भीतर एक—दो नहीं बल्कि पूरे 25 लायसेंस में भारी गड़बड़ी (MP Arms And Bullet License Scam) की है। यह गड़बड़ी बिना आर्थिक लाभ के संभव नहीं मानी जा रही है। इस घोटाले की गूंज मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh Hindi News) विधानसभा भवन में सत्र के दौरान सदन में गूंजी थी। जिसके बाद सरकार ने जांच स्पेशल टास्क फोर्स (Madhya Pradesh Special Task Force) से कराने का मन बना लिया था। जांच के बाद स्पेशल टास्क फोर्स (MP STF) ने इस घोटाले सतना कलेक्टर कार्यालय के दो बाबू के खिलाफ एक—एक करके 25 जालसाजी के मुकदमे दर्ज कर लिए हैं। फिलहाल आरोपियों की अभी गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है। यह गड़बड़ी व्यापक पैमाने पर चल रही थी। इसलिए इसमें बड़े रसूखदारों के शामिल नहीं होने से एसटीएफ के अफसरों ने इनकार कर दिया है।
यह जानकारी देते हुए एडीजी एसटीएफ अशोक अवस्थी (ADG Ashok Avasthi) ने पूरी जांच के प्राथमिक बिंदुओं का खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कई तकनीकी पेंच का पता लगाया जाना अभी बाकी है। इसमें मोबाइल कॉल डिटेल, बैंक खाते, संपत्ति का ब्यौरा से लेकर तमाम अन्य जानकारियां है जो खंगाली जा रही है। आरोपियों ने सरकारी कार्यालय से जारी शक्तियों का गलत इस्तेमाल अपने लाभ के लिए किया है। एडीजी ने बताया कि आरोपी युगुल किशोर गर्ग और अभय राज सिंह हैं। अभय राज सिंह सहायक ग्रेड—3 के पद पर तैनात हैं और वह शस्त्र शाखा का प्रभारी भी है। जबकि युगुल किशोर गर्ग सहायक ग्रेड—2 के पद पर तैनात था। गर्ग अभी रिटायर हो चुका है। आरोपियों ने यह फर्जीवाड़ा 2004 से 2014 के बीच अंजाम दिया हैं। इन दोनों बाबूओं के लंबे समय तक एक ही शाखा में तैनात किए जाने के विषय को लेकर भी जांच की जा रही है।
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जम्मू—कश्मीर का लायसेंस कर दिया जारी
एडीजी ने बताया कि मामले की जांच एसपी एसटीएफ भोपाल राजेश सिंह भदौरिया को सौंपी थी। एसपी ने सतना कलेक्टर कार्यालय में डेरा डाल रखा था। लंबी पड़ताल के बाद यह तथ्य साबित हो गया है कि आरोपियों ने गलत तरीके से कारतूसों की संख्या बढ़ाने, शस्त्र लायसेंस के सीमा विस्तार करने का काम किया गया। जबकि नियमानुसार ऐसा बाबू नहीं कर सकते थे। पड़ताल में मालूम हुआ है कि सतना के कोतवाली इलाके में रहने वाले रामाश्रय वर्मा का लायसेंस में जम्मू—कश्मीर राज्य का नाम जोड़ दिया गया। जबकि ऐसा करने से पहले बाबू को जम्मू—कश्मीर के रामवन जिले के कलेक्टर से उसकी अनुमति लेना अनिवार्य था। एडीजी ने कहा कि जिन लायसेंस में संदिग्ध गतिविधियां पाई गई है उसकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी जाएगी। जिसके बाद उन लायसेंस के निरस्त करने की प्रक्रिया होगी।
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डकैतों को पहुंची गोलियां!
एडीजी ने कहा कि यह कहना सही है कि सतना जिला दस्यू प्रभावित रहा है। इस कारण कारतूसों की संख्या बढ़ाकर डकैतों को पहुंचाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि यह हमारी जांच का विषय है। इसके लिए हम सारे कारतूसों का रिकॉर्ड भी नए सिरे से खंगाल रहे हैं। ऐसे लायसेंस जिसमें कारतूसों की संख्या बढ़ाई गई उनकी संख्या एक दर्जन से अधिक है। जिन लायसेंस में यह गड़बड़ियां हुई है उनसे भी एसटीएफ के अफसर एक—एक व्यक्ति से पूछताछ करेंगे। पूरी पूछताछ के बाद इस संगठित गिरोह के बाकी कुछ अन्य चेहरों को बेनकाब करने में एसटीएफ को सहयोग मिलेगा। हालांकि हमारी प्राथमिक जांच में दोनों बाबू अभी आरोपी बनाए गए हैं।
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सिपाही भी फर्जीवाड़े में फंसा
एडीजी ने बताया कि अधिकांश शस्त्र लायसेंस वृद्धि और कारतूस वृद्धि के मामले सतना जिले के रहने वाले व्यक्तियों से जुड़े हैं। इनमें कई रसूखदार भी शामिल है। शुरुआती जांच में राजेन्द्र मिश्रा पिता राधेश्याम मिश्रा, मनोज कुमार पिता कामता प्रसाद, रामाश्रय वर्मा पिता श्यामलाल वर्मा, रोशन लाल पांडे पिता लक्ष्मण प्रसाद आदि के नाम पता चले हैं। इसमें से एक नाम योगेन्द्र सिंह भदौरिया पिता प्रेम सिंह भदौरिया का भी है। एसटीएफ को जानकारी मिली हैं कि योगेन्द्र मध्यप्रदेश पुलिस में कांस्टेबल है जो कि 13वीं वाहिनी में भिंड में तैनात हैं। इस फर्जीवाड़े में कार्रवाई के बाद उसकी सेवा में भी असर पड़ने की संभावना से पुलिस अफसरों ने इनकार नहीं किया है।
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थाने की आपत्ति फिर भी जारी
एसटीएफ ने बताया कि जिन लायसेंस में गड़बड़ी हुई उनमें रविकांत द्विवेदी पिता शिव गोपाल, कौशल प्रसाद पिता शिवप्रसाद त्रिपाठी, कृष्ण बहादुर सिंह पिता राजेन्द्र सिंह, संजय त्रिपाठी पिता शेषमणि त्रिपाठी और अन्य के नाम पता चले हैं। इन लायसेंस की पड़ताल एसटीएफ कर रही है। जांच में पता चला है कि माधुरी सिंह पति शिवमोहन सिंह और नीलम सिंह के शस्त्र लायसेंस में भी गड़बड़ी पता चली है। एसटीएफ को जांच में पता चला है कि आरोपी ओमेन्द्र मोहन सिंह पिता हाकिम सिंह ने सतना से उचेहरा थाना क्षेत्र से शस्त्र लायसेंस हासिल किया था। लेकिन, पुलिस थाने को जांच में पता चला कि वह मूलत: उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। थाना पुलिस ने शस्त्र लायसेंस दिए जाने पर अपनी तरफ से आपत्ति लगा दी। इसके बावजूद आरोपी बाबू युगुल किशोर गर्ग और अभयराज सिंह ने लायसेंस जारी कर दिया।
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सूची में कांग्रेसी विधायक का भी नाम
जिन लोगों ने अपने लायसेंस में सीमा और कारतूस बढ़ाए थे उसमें से एक नाम कांग्रेस नेता नीलांशु चतुर्वेदी का भी नाम है। चतुर्वेदी कांग्रेस से विधायक भी है। आरोप है कि बाबू ने सीमा को बढ़ाया। जिसकी मंजूरी गृह विभाग से भी नहीं ली गई। हालांकि जिनके लायसेंस में फर्जीवाड़ा किया गया उन्हें पुलिस ने आरोपी नहीं बनाया है। एसटीएफ का दावा है कि यह जांच के बाद पूरा होगा।
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