Bhopal News: सोशल मीडिया में वायरल पोस्ट की पुलिस इंटेलीजेंस को लग गई थी इस बात की भनक तभी तो ताबड़तोड़ सात दर्जन से अधिक डीजे संचालकों के खिलाफ थानों में एफआईआर, परिवार ने इस बात का किया है दावा
भोपाल। यह घटना विकसित हो रहे मानव समाज के लिए काफी झंकझोर देने वाली है। पूरा घटनाक्रम पढ़ेंगें तो हो सकता है विचलित भी हो सकते हैं। मामला भोपाल (Bhopal News) शहर के हबीबगंज थाना क्षेत्र का है। हालांकि पुलिस तक यह प्रकरण पहुंचा नहीं। इसलिए वह यह कहकर बच गई कि उसके पास कोई आया ही नहीं। यहां बारह साल के एक मासूम बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का दावा है कि वह डीजे के तेज आवाज के कारण काल कवलित हुआ। वहीं विषय विशेषज्ञों को सोचने में मजबूर कर दिया कि ऐसा भी हो सकता है। बहरहाल पुलिस को इस बात की भनक सोशल मीडिया के जरिए लग गई थी। इसलिए ताबड़तोड़ कार्रवाई करके पुलिस ने अपने बचाव का तरीका भी निकाल लिया था।
व्हाट्स एप ग्रुप में वायरल हुआ था यह संदेश
यह घटना 14 अक्टूबर की रात को हुई थी। बच्चे की अंत्येष्टि मंगलवार सुबह परिवार ने कर दी है। सोशल मीडिया में वायरल एक संदेश का पीछा करते हुए द क्राइम इंफो परिवार तक पहुंचा था। परिवार बेहद गरीब है। घटना हबीबगंज (Habibganj) थाना क्षेत्र स्थित साईं बाबा नगर (Sai Baba Nagar) बस्ती की है। यहां कैलाश बिल्लोरे (Kailash Billore) का परिवार रहता है। वे ड्राइवर का काम करते हैं। बड़ा बेटा अमर बिल्लोरे (Amar Billore) है जो कक्षा दसवीं का छात्र है। परिवार मूलत: दमोह (Damoh) जिले का रहने वाला है। कैलाश बिल्लोरे का छोटा बेटा समर बिल्लोरे (Samar Billore) है जिसकी उम्र 12 साल थी। वह सेंट जोसेफ स्कूल (St. Joseph School) में कक्षा पांचवीं में पढ़ाई करता था। सोमवार को दुर्गा विसर्जन के लिए डीजे (DJ) आया था, उसमें वह भी गया था। तेज साउंड की आवाज के बीच वह भी चला गया। उसके बाद अचानक बेसुध हुआ और गिर गया। उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन शव घर ले आये। इस घटनाक्रम की जानकारी सोशल मीडिया में आई तो हमने शोकाकुल पिता से संपर्क साधा। वह बातचीत के लिए तैयार नहीं हुए तो बड़े भाई अमर से बातचीत की गई। उसने पुष्टि की डीजे की तेज आवाज में भाई की जान गई है। उसे समझाया कि वे पुलिस प्रशासन को इसकी खबर करें। लेकिन, वो नहीं माने।
नेताओं के डीजे पर पुलिस नहीं कर पाती है कार्रवाई
इस मामले में हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) के डॉक्टर यशवीर जेके (Dr yashveer JK) से संपर्क किया गया। वे नाक—कान, गला रोग विशेषज्ञ भी है। उन्होंने कहा डीजे के साउंड से मौत नहीं हो सकती। इसमें कुछ अन्य कारण होंगे। मेरी समझ से इस विषय पर हृदय रोग विशेषज्ञ ज्यादा प्रकाश डाल सकेंगे। इधर, पर्यावरणविद डॉक्टर सुभाष पांडे (Dr Subhash Pandey) से चर्चा की गई। उन्होंने बताया 2016 में एनजीटी में याचिका लगी थी। उसमें भी प्रतिबंध लगा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट भी प्रतिबंध लगा चुकी है। लेकिन, उस पर कार्रवाई करने की बजाय सिस्टम शून्य हो जाता है। क्योंकि अधिकांश डीजे संचालक किसी न किसी राजनीतिक दल या नेता से जुड़ा होता है। सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि 55 डेसिबल से ज्यादा की आवाज 05 साल से अधिक आयु और 75 साल से ऊपर के वृद्ध की सेहत पर नुकसान पहुंचा सकती है। राजधानी में 125 डेसीबल के डीजे बज रहे हैं। अत्याधिक आवाज से कार्डियक अटैक आने की प्रबल संभावना होती है।
सांध्य दैनिक में रिपोर्ट के बाद पुलिस ने जारी किया अपना रिकॉर्ड
इस बात को लेकर पब्लिक वाणी समाचार पत्र में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित हुआ। यह समाचार पत्र जैसे ही वायरल हुआ तो कुछ देर बाद पुलिस (Bhopal News) ने भी अपना आंकड़ा जारी कर दिया। पुलिस ने बताया कि नवरात्रि, दशहरे के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने 91 डीजे संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की है। जबकि मैदानी हकीकत यह है कि पुलिस ने यह कार्रवाई दुर्गा उत्सव चल समारोह के दौरान सर्वाधिक की है। बाकी दिनों में एक—दो कार्रवाई को अंजाम देकर अपनी जिम्मेदारियों से पुलिस ने पल्ला झाड़ लिया था। पुलिस ने डीजे संचालकों पर कोलाहल अधिनियम के तहत कार्रवाई करके उनके चालान काट दिए। जबकि डीजे संचालकों को नोटिस देकर उनके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कानूनों के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए थी। बहरहाल यह आंकड़े जारी करके भी पुलिस ने अपनी एक बार फिर किरकिरी करा ली है। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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