CM Defamation Case: चिरायु अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव होने से लेकर मेडिकल बुलेटिन को लेकर खड़े किए थे सवाल
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोरोना पॉजिटिव (CM Shivraj Singh Chouhan News) केस को लेकर एक युवक को बयान देना महंगा पड़ गया। उसका अलग—अलग दो टुकड़ों में वीडियो सोशल मीडिया (Chirayu Against Video) में बहुत तेजी से वायरल हुआ। जिसके बाद भोपाल क्राइम ब्रांच ने उसके खिलाफ मानहानि (CM Defamation Case) का मुकदमा दर्ज कर लिया। यह पता चलने के बाद प्रदेश में राजनीति भी शुरु हो गई। आरोपी के समर्थन में राज्यसभा सांसद विवेक तनखा (Vivek Tankha) ने बकायदा ट्वीट किया। उन्होंने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि 20—21 साल के लड़के पर एक करोड़ का मुआवजा। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए आगे लिखा बड़ा दिल होना चाहिए। आलोचना से क्रोधित नहीं होना चाहिए।
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कौन सी जानकारी पर आपत्ति
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट (CM Shivraj Singh Chouhan Corona Positive) को लेकर मीडिया में बयान देने वाले व्यक्ति का नाम डॉक्टर राजन सिंह (Dr Rajan Singh) बताया जा रहा है। वह मध्य प्रदेश कुपोषण निवारण समिति का पूर्व अध्यक्ष भी रहा है। डॉक्टर राजन सिंह कोई भौतिक सबूत पत्रकारों को पेश नहीं कर सके थे। वे केवल आईसीएमआर की गाइड लाइन (ICMR Covid Guideline) और उसके प्रारुप का हवाला दे रहे थे। इस हवाले के आधार पर उनका दावा था कि चिरायु अस्पताल के संचालक डॉक्टर अजय गोयनका (Dr Ajay Goenka) कुछ बातें छुपा रहे हैं। यह वीडियो दिनभर लोगों के बीच शेयर होता रहा। जिसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा।
पुलिस बनी है फरियादी
इस मामले में दूसरा रोचक पहलू यह है कि भोपाल क्राइम ब्रांच (Bhopal Crime Branch News) ने यह मुकदमा दर्ज किया है। जिसके फरियादी टीआई अजय मिश्रा (TI Ajay Mishra) बने हैं। आरोपी डॉक्टर राजन सिंह के खिलाफ धारा 500/501/505 (मिथ्या प्रचार करके छवि धूमिल) का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने फिलहाल डॉक्टर राजन सिंह को गिरफ्तार नहीं किया है। इसी मामले को लेकर राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भोपाल पुलिस की इस कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताया है। डॉक्टर राजन सिंह के बयानों के बाद जब मामला आला स्तर पर पहुंचा तो उठापटक शुरु हो गई। जिसके बाद देर रात मुकदमा दर्ज करने की जानकारी मीडिया को दी गई।
सीएम की जान को खतरा
डॉक्टर राजन सिंह ने चिरायु अस्पताल (Chirayu Hospital Case) के संचालक डॉक्टर अजय गोयनका (Dr Ajay Goenka) के साथ कोविड को भ्रम का जाल बताने का दावा किया। हालांकि उनके पास कोई सबूत नहीं थे। वे पत्रकारों को यह भी कहते रहे कि ऐसा करने से सीएम की जान को खतरा है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री कपड़े धो रहे थे और वह वीडियो भी वायरल हुआ। इसके अलावा सभी सरकारी अस्पताल में भर्ती न होकर चिरायु में मुख्यमंत्री के भर्ती होने पर भी सवाल खड़े किए। हालांकि किसी भी उठाए गए सवालों का वह पत्रकारों को सबूत पेश नहीं कर सके।
ऐसा लग रहा है जैसे एफआईआर की मजबूरी थी
वीडियो दिल्ली मीडिया में दिए जाने के बाद वायरल हुआ। क्राइम ब्रांच उसका स्रोत का भी पता लगा रही है। जिसके बाद क्राइम ब्रांच उस व्यक्ति से भी पूछताछ कर सकती है। इधर, सवाल यह भी खड़ा होता है कि मामला सायबर सेल का था। लेकिन, एफआईआर क्राइम ब्रांच में दर्ज की गई। दरअसल, क्राइम ब्रांच स्टेट में आना जाना कर सकती है। दूसरे स्टेट में जाकर जांच करने के अधिकार मध्य प्रदेश में एटीएस, सीआईडी, एसटीएफ, सायबर सेल को है। ऐसे में डॉक्टर राजन सिंह की गिरफ्तारी और उसके केस को साबित करने में पुलिस को काफी पसीना आ सकता है।
जमीन में धांधली
डॉक्टर राजन सिंह ने चिरायु अस्पताल की जांच करने की मांग भी की। उन्होंने दावा किया कि चिरायु ने जो मेडिकल बुलेटिन जारी किया वह फर्जी है। सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि गोयनका ने आईसीएमआर के मानकों का उल्लंघन किया। डॉक्टर राजन सिंह ने वीडियो में यह भी आरोप लगाया था कि चिरायु अस्पताल और मध्य प्रदेश सरकार के रिश्ते कितने और कैसे मधुर है। सिंह ने दावा किया वहां जमीन का घोटाला किया गया। चिरायु अस्पताल के पास सीएम के भर्ती करने के रिकॉर्ड न होने का भी दावा किया गया। हालांकि डॉक्टर राजन सिंह ने किसी भी संगीन आरोपों पर कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं किए।
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